'भारत विश्व गुरु था, विश्व गुरु रहेगा', कार्यक्रम में बोले मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक

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Published : Aug 4, 2019, 3:22 PM IST

केंद्रीय मंत्री डॉ. पोखरियाल ने कहा कि हमारे पास ऐसी प्रतिभाएं हैं. जिनके पास अपना विजन है. अपनी सोच है. अपना शोध है. लेकिन बस उन्हें केवल मार्गदर्शन की जरूरत है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने भारतीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र दिल्ली में अनुसंधान परियोजनाओं, प्रदर्शनी और उच्चतर आविष्कार योजना का उद्घाटन किया.

केंद्रीय मंत्री ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन

IIT संस्थानों ने लिया हिस्सा
आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान परियोजनाओं की प्रदर्शनी के अंतर्गत बड़ी संख्या में प्रदर्शनी लगाई गई. जिसमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर ,आईआईटी खड़गपुर ,आईआईटी मद्रास ने हिस्सा लिया.

'भारत विश्व गुरु था, विश्व गुरु रहेगा'
मानव संसाधन मंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत विश्व गुरु था, विश्व गुरु रहेगा. हमारे देश के युवाओं के बड़े सपने हैं. उन सपनों को साकार कर मेक इन चाइना, मेक इन जापान को ध्वस्त कर मेक इन इंडिया बनाना होगा'.

Students need to have positive thinking for research
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

'छात्रों को सुरक्षा कारणों से हटाया गया'
उन्होंने कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर कहा कि एनआईटी श्रीनगर के छात्रों को वहां से सुरक्षा कारणों से कुछ समय के लिए हटा लिया गया है. वो सभी छात्र सुरक्षित हैं और कोई चिंता की बात नहीं है.

'भारत ने विश्व को रास्ता दिखाया'
उन्होंने कहा कि यह वही भारत है जिसने विश्व को शिक्षा अनुसंधान और तमाम क्षेत्रों में रास्ता दिखाया है. आज हम विश्व के कुछ देशों से रास्ता देखने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन हमें उम्मीद है की जो माल हम बाहर से आयात करते हैं. हम उसे अपने ही देश में उच्च स्तर का बना सकते हैं.

Students need to have positive thinking for research
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'

'छात्रों को मार्गदर्शन की जरूरत है'
केंद्रीय मंत्री डॉ. पोखरियाल ने कहा कि हमारे पास ऐसी प्रतिभाएं हैं. जिनके पास अपना विजन है. अपनी सोच है. अपना शोध है. लेकिन बस उन्हें केवल मार्गदर्शन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला पूरे विश्व के लिए एक समय में प्रेरणास्रोत बने थे.


'...और विदेशी हम भारतीयों को सिखा रहे हैं'
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पाणिनी, सुश्रुत, कर्णाभ और आर्यभट्ट ने जो शोध कई साल पहले ही कर लिए थे. उन्हीं को आधार बनाकर विदेशी शोध कर रहे हैं. और वे लोग हम भारतीयों को सिखा रहे हैं.

हमें हमारे ग्रंथों में दिए गए तकनीकी सूत्रों को लेकर आगे बढ़ना है. और अपने कृतित्व, व्यक्तित्व और कुशल कौशल से, अनुसंधान से, हम तकनीकी क्षेत्र में प्राचीन काल से मौजूदा दौर में खाई को दूर कर सकते हैं.

Intro:नई दिल्ली ।

भारत विश्व गुरु था, विश्व गुरु रहेगा हमारे देश के युवाओं को बड़े सपने और उन सपनों को साकार कर मेक इन चाइना, मेक इन जापान को ध्वस्त कर मेक इन इंडिया बनाना होगा यह बात केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने भारतीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र आईआईटी दिल्ली में टेक एक्स अनुसंधान परियोजनाओं प्रदर्शनी इंप्रिंट और उच्चतर आविष्कार योजना के उद्घाटन के दौरान कही. वहीं उन्होंने कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर कहा कि एनआईटी श्रीनगर के छात्रों को वहां से सुरक्षा कारणों से कुछ समय के लिए हटा लिया गया है. वह सभी छात्र सुरक्षित है और कोई चिंता की बात नहीं है.


Body:उन्होंने कहा कि यह वही भारत है जिसने विश्व को शिक्षा अनुसंधान और तमाम क्षेत्रों में रास्ता दिखाया है और आज हम विश्व के कुछ देशों से रास्ता देखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें उम्मीद है की जो हम बाहर से आयात करते हैं हम उसे अपने ही देश में उच्च स्तर का बना सकते हैं क्योंकि विदेशों में जो अनुसंधान कर रहे हैं उनमें ज्यादातर भारतीय ही है हमें इस खाई को पाटने का रास्ता खोजना होगा और अविष्कारों को अपने ही देशों में करने के लिए उन लोगों को प्रेरित करना होगा.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि हमारे पास ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनके पास अपना विजन है अपनी सोच है अपना शोध है लेकिन बस उन्हें केवल मार्गदर्शन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला पूरे विश्व के लिए एक समय में प्रेरणास्रोत बने थे हमें फिर से उसी गौरव को प्राप्त करना है. जिसमें आईआईटी ने उद्योग संस्थान, डीएसपी और अनुसंधान का समन्वय बनकर अपने देश में एक नई शुरुआत कर दी है.

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पाणी, सुश्रुत, कर्णाभ और आर्यभट्ट ने जो शोध कई साल पहले ही कर लिए थे उन्हीं को आधार बनाकर विदेशी शोध कर रहे हैं. और वह लोग हम भारतीयों को सिखा रहे हैं हमें हमारे ग्रंथों में दिए गए तकनीकी सूत्रों को लेकर आगे बढ़ना है और अपने कृतित्व, व्यक्तित्व और कुशल कौशल से अनुसंधान से हम तकनीकी क्षेत्र में प्राचीन काल से मौजूदा दौर में खाई को दूर कर सकते हैं. उन्होंने छात्रों से कहा कि आपकी क्षमता में विचार विजन और सोच को मैं रुकने नहीं दूंगा व्यक्ति की प्रवृत्ति उसकी शक्ति है इसीलिए छात्रों सकारात्मक सोच जरूरी है वह जिंदगी में विभिन्न बाधाओं को पार करके आगे बढ़ाने में सहयोग करती है.


Conclusion:बता दें कि आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान परियोजनाओं की प्रदर्शनी के अंतर्गत प्रभावी अनुसंधान नवप्रवर्तन और प्रौद्योगिकी और उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत के तहत बड़ी संख्या में प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर ,आईआईटी खड़गपुर ,आईआईटी मद्रास आदि ने हिस्सा लिया.
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