11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे

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Published : May 13, 2022, 8:17 PM IST

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हत्या के मामले में 11 साल जेल में काटने के बाद 7 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है. अदालत में पेश किए गए पुलिस के सारे सबूत और गवाह फर्जी और झूठ साबित हुए. जिसके बाद अदालत ने मोहम्मद अफसर, उमर अली, हरि सिंह और नौशाद, रंजीत उर्फ बिहारी, नीरज और मोहम्मद अकरम को मुकदमे में बरी कर दिया.

नई दिल्ली : हत्या के मामले में 11 साल जेल में काटने के बाद 7 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है. अदालत में पेश किए गए पुलिस के सारे सबूत और गवाह फर्जी और झूठ साबित हुए. जिसके बाद अदालत ने मोहम्मद अफसर, उमर अली, हरि सिंह और नौशाद, रंजीत उर्फ बिहारी, नीरज और मोहम्मद अकरम को मुकदमे में बरी कर दिया.

अशोक विहार की एक फैक्ट्री में हुई कारोबारी की हत्या के मामले में 7 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य एवं गवाह होने का दावा किया था. ट्रायल के दौरान सभी आरोपी लगभग 11 साल जेल में रहे. 11 साल चली सुनवाई के बाद हत्या के सभी आरोपियों को एडिशनल सेशन जज किरण गुप्ता की अदालत ने बरी कर दिया है. पुलिस के साक्ष्य एवं गवाह इनका अपराध अदालत में साबित करने की प्रक्रिया के दौरान झूठे और फर्जी साबित हो गए.

11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे



29 जनवरी 2011 को वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में चार बदमाश एक फैक्ट्री में दाखिल हुए थे. बदमाशों ने फैक्ट्री के मालिक अनिल को गोली मारकर वहां से एक बैग लूट लिया था. उस बैग में लगभग 40 हजार रुपए रखे हुए थे. इस वारदात को लेकर पुलिस ने हत्या एवं लूट का मामला दर्ज किया था. मामले की जांच के दौरान पुलिस ने कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनमें मोहम्मद अफसर, उमर अली, हरि सिंह और नौशाद को मौर्या एन्क्लेव पुलिस ने 21 फरवरी को आर्म्स एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने दावा किया था कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने इस हत्याकांड को अंजाम देने की बात कबूल की थी. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपियों से मिली जानकारी पर रंजीत उर्फ बिहारी, नीरज और मोहम्मद अकरम को भी उन्होंने गिरफ्तार किया.

11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे
11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे

दिल्ली पुलिस के चश्मदीद गवाह निकले झूठे और फर्जी, अदालत में खुली पोल
आरोपी नीरज और उमर के अधिवक्ता रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने 4 लोगों को मुख्य चश्मदीद गवाह बनाया था. अदालत में इन गवाहों के बयानों में विरोधाभास था. एक गवाह ने जहां नीरज के हाथ में पिस्तौल होने की बात कही थी तो वहीं दूसरे ने नीरज के हाथ में चाकू होने का दावा किया था. एक अन्य गवाह ने नीरज के हाथ में हथियार नहीं होने की बात कही थी. उसका कहना था कि वहां से लूटपाट के बाद बैग उठाकर नीरज ले गया था. उन्होंने अदालत में यह दलील दी कि सभी गवाह अलग-अलग बातें कह रहे हैं. इसलिए इनके बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

पिस्तौल से गोली चली ही नहीं थी, फिंगर प्रिंट भी निकले फर्जी
रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में साक्ष्य के तौर पर पुलिस ने पिस्तौल जब्त दिखाई थी. जिससे हत्या को अंजाम देने का दावा भी किया था, लेकिन इसकी फॉरेंसिक रिपोर्ट से पता चला कि हत्या में यह हथियार इस्तेमाल ही नहीं हुआ था. इसके अलावा पुलिस टीम ने मौके से कुछ फिंगरप्रिंट लिए थे. साइंटिफिक जांच से पता चला कि इनमें से कोई भी फिंगरप्रिंट किसी भी आरोपी से मैच नहीं होता है. इस तरह पुलिस के पेश किए गए तमाम गवाह झूठे और सारे सबूत फर्जी साबित हो गए. अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद इस मामले में उनके दोनों क्लाइंट सहित सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है.

11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे
11 साल की क़ैद के बाद हत्या के 7 आरोपी बरी, दिल्ली पुलिस के सबूत निकले फर्जी और गवाह निकले झूठे

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अधिवक्ता रवि द्राल ने बताया कि इस मामले में सभी आरोपी 11 साल तक जेल में बंद रहे. यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि इस अवधि के दौरान उन्हें जमानत भी नहीं मिली. उन्होंने बताया कि उनका क्लाइंट उमर जेल से बाहर आ गया है, लेकिन नीरज पर दूसरा मुकदमा चल रहा है. इस वजह से बरी होने के बावजूद अभी नीरज जेल से बाहर नहीं निकल सका है.

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