नई दिल्लीः दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुब मीनार के इतिहास को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है. महरौली से बीजेपी की निगम पार्षद आरती सिंह ने यह दावा किया है की कुतुब मीनार दरअसल में पहले मंदिर था. यहां पर सन 2000 तक लाेग पूजा और आरती करने जाते थे. विवाद इस बात पर भी है कि कुतुब मीनार के अंदर जगह जगह देवी देवताओं की मूर्तियां का अवशेष देखने को मिलता है.आरोप यह है की मस्जिद परिसर में भगवान की मूर्तियों को जमीन पर रखकर उन्हें अपमानित किया जा रहा है.
कुतुब मीनार के अंदर इस मस्जिद के बाहर लगे इस बोर्ड पर साफ-साफ लिखा गया है की 27 हिंदू और जैन धर्म के लोगों के मंदिरों को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया है, ऐसा निगम पार्षद की मांग है कि पुरातत्व विभाग यहां पर दोबारा से भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं और पारंपरिक तरीके से यहां पर पूजा और आरती की जाए.
कुतुब मीनार के अंदर भगवान के मूर्तियों का अवशेष जगह जगह देखने को मिलता है. इस बात की पुष्टि यहां पर लगे इस साइन बोर्ड पर भी लिखा हुआ है.महरौली इलाके में कुतुब मीनार के बगल में ही ऐतिहासिक योगमाया मंदिर है.
इनके जो पुजारी है उनके लोगों का कहना है की कुतुब मीनार के अंदर भगवान गणेश की पूजा कई सालों से होती आ रही थी. इनका दावा है कि ऐतिहासिक राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया था. यहां पर पारंपरिक तरीके से पूजा-पाठ होती थी.लेकिन जब भारत में मुगल आए तो इन मंदिरों को तोड़कर इन्हें मस्जिद बना दिया गया. यह लोग वह है जो सन 2000 तक कुतुब मीनार के अंदर भगवान की आरती में हिस्सा ले रहे थे. पारंपरिक पुजारी परिवार की भी मांग है कि जिस मंदिर को मुगलों ने तोड़ा था उसे पुनः स्थापित किया जाए और वहां पर पारंपरिक पूजा और आरती शुरू की जाए.
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कुतुबमीनार में मंदिर और यहां पूजा पाठ को लेकर विवाद एक बार फिर से शुरू हो गया है.वहीं प्राचीन भगवान की मूर्तियों को ऐसे जमीन पर रखना हिंदू धर्म के आस्था के विरुद्ध है. इन सारे मुद्दों को लेकर महरौली के इस महिला निगम पार्षद ने कार्रवाई की मांग की है, ऐसे में पुरातत्व विभाग इनकी शिकायत पर क्या कदम उठाता है यह आने वाला वक्त ही बताएगा. वैसे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष गजेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित संबंधित विभागों को चिट्ठी लिखी है और मांग की है कि जल्द ही इस पर कार्रवाई करें.
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