दिल्ली में पटाखों पर बैन, कारोबारी बाेले- सिर्फ पटाखे नहीं प्रदूषण का कारण

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Published : Sep 16, 2021, 4:24 PM IST

shop of cracker

दिलवालों की दिल्ली में इस बार भी दिवाली का त्याेहार बिना पटाखों के ही मनाया जाएगा. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के मद्देनजर पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी है. पटाखा व्यवसायियाें का मानना है कि प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना, गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं है. कोरोना की मार झेल रहे पटाखा व्यवसायियाें में राेष है.

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के द्वारा राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए इस बार त्योहारी सीजन की शुरुआत से ही पटाखों की बिक्री और भंडारण को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है. पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने से पटाखा कारोबारियों की परेशानियां बढ़ गई हैं. पटाखा कारोबारियों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि प्रदूषण को लेकर पटाखा कारोबार को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि प्रदूषण के जिम्मेदार पराली के साथ गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी है. पटाखों से सिर्फ 3% प्रदूषण होता है, जो कोर्ट ने भी कहा है. प्रदूषण के बाकी कारणों पर कार्रवाई करने की जगह दिल्ली सरकार को सिर्फ पटाखों का कारोबार नजर आता है. पिछले 5 साल में राजधानी में पटाखों का कारोबार खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है.

ये भी जानें

  1. दिल्ली सरकार ने इस बार त्योहारी सीजन की शुरुआत से ही पटाखों के कारोबार पर पूरी तरीके से लगाया प्रतिबंध.
  2. हर साल दिल्ली में त्योहारी सीजन में पटाखों का बड़े स्तर पर होता था कारोबार, बड़ी संख्या में इस व्यापार से लोगों को मिलता है रोजगार.
  3. पटाखा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने से पटाखा कारोबारियों की परेशानी बढ़ने के साथ-साथ बड़े की बेरोजगारी भी बढ़ेगी.
  4. पटाखा कारोबारियों का आरोप, कारोबार से जुड़े लोगों को अनदेखा कर दिल्ली सरकार ने लिया फैसला.
  5. राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के अन्य कारण पराली, गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के साथ अन्य कारणों पर नहीं लिया गया कोई बड़ा एक्शन.
  6. प्रदूषण से जंग लड़ने को लेकर दिल्ली सरकार के द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर बनाया गया सिर्फ एक स्मॉग टावर.


हालांकि कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार, राजधानी दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने सख्त फैसले के तहत राजधानी दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री के ऊपर भी पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं दिल्ली सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले की वजह से राजधानी दिल्ली के पटाखा कारोबारी काफी ज्यादा परेशान और निराश हैं.

पटाखों पर बैन से कारोबारी परेशान

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि "राजधानी दिल्ली में पिछले 3 साल से दिवाली के समय दिल्ली के प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी हर प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके."

"पिछले साल व्यापारियों द्वारा पटाखों के भंडारण के पश्चात प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए देर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया, जिससे व्यापारियों का नुकसान हुआ था. सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए किसी भी तरह का भंडारण न करें"

राजधानी के जामा मस्जिद के इलाके में दिल्ली की पुरानी पटाखा मार्केट है, जहां सन 1875 से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही पटाखा कारोबारियों की दुकानें मिल जाएंगी. वर्तमान में इन दुकानों को पांचवीं पीढ़ी के लोग चला रहे हैं. जामा मस्जिद के क्षेत्र में पटाखा मार्केट है. राजधानी दिल्ली की होलसेल पटाखा मार्केट के रूप में पूरे उत्तर भारत में मशहूर है. यहां हर वैरायटी और हर किस्म के छोटे से लेकर बड़े पटाखे सस्ते दामों पर मिल जाते हैं.

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दिल्ली सरकार के द्वारा लगाए गए पटाखों के ऊपर बैन को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम जामा मस्जिद की सबसे पुरानी पटाखा मार्केट पहुंची तो व्यापारियों ने बातचीत के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर की. पटाखों के कारोबार से जुड़े चौथी पीढ़ी के चित्रेश ने बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि पिछले 5 सालों से पटाखों का कारोबार पूरी तरीके से बैन के चलते थम गया है. दिल्ली सरकार प्रदूषण पर लगाम लगाने के नाम पर सिर्फ पटाखों के ऊपर रोक लगाती है.

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जामा मस्जिद पटाखा मार्केट की सबसे पुरानी दुकान मजिस्टिक फायरवर्क्स की शुरुआत आजादी से पहले सन 1875 में की गई थी. वर्तमान मालिक महेश्वर दयाल ने बताया कि दिल्ली सरकार पिछले 5 सालों से लगातार उन लाेगाें के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. प्रदूषण के नाम पर सिर्फ पटाखों के ऊपर प्रतिबंध लगाया जाता है, जबकि प्रदूषण सिर्फ पटाखों से न होकर गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं की वजह से भी होता है. हर बार साल भर के त्योहार दिवाली से पहले ही पटाखों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जाता है, जिससे कि हमारी रोजी-रोटी पर बुरी तरीके से असर पड़ता है. कोर्ट ने भी कहा है ग्रीन पटाखों से महज 3% प्रदूषण होता है, जबकि प्रदूषण के बाकी कारण भी हैं, जिसमें पराली प्रमुख है.

दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस तरह के फैसले से हम पटाखा कारोबारियों के गुजर-बसर पर संकट छा गया है. हम किस तरह से अपना गुजर-बसर करें. हमारा 35 लोगों का संयुक्त परिवार है, हम किस तरह से अपना खर्चा चलाएंगे. किस तरह से पूरे परिवार का पालन पोषण होगा. पटाखों के व्यापार के ऊपर ही हमारा पूरा परिवार निर्भर है और पिछली कई पीढ़ियों से हम यही कारोबार करते आए हैं. हमें कुछ और नहीं आता है.



जामा मस्जिद क्षेत्र में पटाखों के होलसेल कारोबारियों के पास पूरे साल भर पटाखे बेचने का लाइसेंस होता है. त्योहारी सीजन ही मुख्य रूप से सीजन होता है पटाखों की बिक्री का, जिसमें सबसे ज्यादा बिक्री होती है. लेकिन हर साल दिवाली से पहले ही पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. जिसकी वजह से पटाखा कारोबारी की कमर दिल्ली सरकार ने तोड़ दी है.


पटाखों के होलसेल कारोबारी अमित जैन ने बातचीत के दौरान कहा कि पिछले 5 सालों से लगातार पटाखों पर बैन चला रहा है. वहीं पिछले 2 सालों से कोरोना के चलते व्यापार नहीं हो पाया. ऐसे में इस साल त्योहारी सीजन की शुरुआत से ही बैन लग जाने से पटाखों का कारोबार पूरी तरीके से खत्म हो गया है. सरकार को राजधानी में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर किसी को तो जिम्मेदार ठहराना था ही इसलिए उन्होंने पटाखों को जिम्मेदार ठहरा दिया. यह तो वही बात हो गई कि हजारों करोड़ के घोटाले में किन्ही दो पॉकेटमार को पकड़कर जेल में बंद कर दिया गया हो.

पटाखों पर बैन को लेकर आम लोगों ने बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि दिल्ली सरकार को प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता है. सिर्फ पटाखों पर बैन लगाने से राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं होगा. पटाखे सिर्फ दिवाली वाले दिन 2 से 3 घंटे चलते हैं. साल भर का त्याेहार होता है, छोटे-छोटे बच्चे पटाखे जलाते हैं, इंजॉय करते हैं ऐसे में उन बच्चों से उनकी एंजॉयमेंट छीनना ठीक नहीं है. त्याेहार सभी के लिए जरूरी होते हैं. दिवाली का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाता है और सभी मनाते हैं. ऐसे में इस त्याेहार के दिन कम से कम दो-तीन घंटे पटाखे फोड़ने की इजाज़त दी जानी चाहिए थी. दो-तीन घंटे पटाख़े फोड़ने से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला. अगर प्रदूषण पर लगाम लगानी है, तो पराली और गाड़ियों के साथ फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं पर लगाम लगाने की जरूरत है. नए साल पर विदेशों में बड़ी संख्या में पटाखे फोड़े जाते हैं वहां पर तो प्रदूषण की समस्या नहीं होती. आखिर हिन्दुओं के त्याेहार पर ही क्यों पटाखों के ऊपर प्रतिबंध लगाया जाता है.

देखा जाए तो दिल्ली सरकार के द्वारा राजधानी में पटाखों की बिक्री और भंडारण को लेकर लगाए गए प्रतिबंध की वजह से पटाखा व्यापारियों की परेशानी कई गुना तक बढ़ गई है. जामा मस्जिद इलाके में पटाखों की होलसेल मार्केट के कारोबारियों ने बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि इस तरह का बैन लगाने से उनकी रोजी-रोटी पर संकट बन आया है. किस तरह से उनके परिवार का भरण पोषण होगा, कैसे गुजारा चलेगा इसके बारे में दिल्ली सरकार ने कुछ नहीं सोचा और पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया. दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख कारण पटाखे नहीं है पराली जलाना, गाड़ियों और फैक्टरियों से निकलने वाले धुआं है. पहले से ही कोरोना की वजह से परेशान पटाखा कारोबारियों की कमर दिल्ली सरकार ने पटाखों पर बैन लगा कर तोड़ दी है.

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