पितृपक्ष में यदि नहीं है श्राद्ध करने का समय, तो जानिए कैसे अपने पितरों को लगाएं भोग

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Published : Sep 26, 2021, 10:06 AM IST

Pandit Brij Gopal Shukla showing how to worship your ancestors in a short time during Pitru Paksha

पितृपक्ष 20 सितंबर से शुरू हो चुका है, ऐसे में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अलग-अलग पूजा पाठ करते हैं, लेकिन इस बीच कई लोग इन श्राद्ध के दिनों में समय के अभाव के चलते पूर्वजों की पूजा-अर्चना सही ढंग से नहीं कर पाते, ऐसे में वे कैसे कम समय में भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध आदि कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है, इस बात की जानकारी दे रहे हैं दक्षिणी दिल्ली स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पंडित बृज गोपाल शुक्ला जी.

नई दिल्ली: अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृपक्ष यानी श्राद्ध के दिनों में लोग अलग-अलग पूजा पाठ करते हैं, अनेक प्रकार से कर्मकांड किए जाते हैं पिंडदान हो या पूर्वजों का तर्पण करना हो. जिससे कि पूर्वज प्रसन्न होकर अपने वंशज को आशीर्वाद देते हैं. लेकिन मौजूदा समय में अधिकतर लोगों को कई बार सही विधि की जानकारी नहीं होती या फिर समय के अभाव के चलते लोग श्राद्ध के दिनों में अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना या उन्हें भोग नहीं लगा पाते है, ऐसे में आप कैसे कम समय में अपने पूर्वजों का श्राद्ध आदि कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं? इसको लेकर ईटीवी भारत ने दक्षिणी दिल्ली स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पंडित जी से जानकारी ली.

पंडित बृज गोपाल शुक्ला ने ईटीवी भारत को बताया श्राद्ध के दिनों में अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग प्रकार की क्रिया की जाती है जिसमें ब्राह्मण, गाय और कुत्ते को भोजन कराना शामिल है, जिससे कि हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं, ब्राह्मण या गाय को भोजन कराने से उनकी आत्मा तृप्त होती है. कहा जाता है पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज हमारे पास आते हैं और अपने भोजन के लिए प्रतीक्षा करते हैं इसीलिए उन्हें भोग लगाने के लिए यह सब क्रियाएं की जाती हैं.

पितृपक्ष में यदि नहीं है श्राद्ध करने का समय

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पंडित जी ने बताया कि यदि आपके पास अधिक समय नहीं है तो आप इन 16 दिनों में रोजाना सुबह उठकर एक लोटे में जल, गंगाजल, काले तिल, चावल चीनी आदि डालकर 'ओम पितृ देवता तर्पयामि' का जाप करें या फिर अपने पूर्वजों का नाम लेकर उनका तर्पण करें, जिसके बाद उस जल को पीपल के पेड़ पर अर्पित कर दे, जिससे कि वह प्रसन्न होंगे और इसे स्वीकार करेंगे.

इसके साथ ही पंडित जी ने बताया कि इन 16 दिनों में अपने पूर्वजों के श्राद्ध की तिथि के दिन यदि आपके पास श्राद्ध करने का समय नहीं है, तो आप सुबह अपने दफ्तर जाते समय गाय माता या किसी ब्राह्मण को भोजन दे दें, अपने पितरों का नाम लेकर भोजन खिला दें, तब भी आपके पूर्वज प्रसन्न होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे.

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