नई दिल्ली. राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक अक्टूबर से केवल बीएस 6 मानदंड को पालन करने वाले पड़ोसी राज्यों के बसों को ही प्रवेश मिलेगा. दरअसल, सर्दी के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसको देखते हुए दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि पराली जलाने और एनसीआर से आनेवाले डीजल वाहन से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए ऐसे वाहनों को दिल्ली में अनुमति नहीं होगी, जो बीएस-6 मानक का पालन नहीं करते हैं.
यह पत्र दिल्ली परिवहन के विशेष आयुक्त ओपी मिश्रा ने हरियाणा परिवहन विभाग के प्रधान सचिव नवदीप सिंह विर्क को लिखा है. इसमें कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए और सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए सरकार ने एक अक्तूबर से दिल्ली में केवल बीएस 6 अनुपालन वाली बसों को ही प्रवेश देगी. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2018 को अपने आदेश में एक अप्रैल 2020 से पूरे देश में बीएस 6 अनुपालक वाहनों को बेचने या पंजीकृत करने की अनुमति दी थी.
सेंटर फॉर साइंस की एक स्टडी में पाया गया कि दिल्ली एनसीआर में सर्दियों में अचानक बढ़े प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं का 40 फीसदी योगदान है. प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी है कि सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में कमी की जाए. दिल्ली सरकार द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि एनजीटी पहले ही निर्देश दे चुका है कि दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन नहीं चलेंगे. पत्र में कहा गया है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से सीएनजी में कर दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों से चलने वाली बसों में डीजल का उपयोग जारी है. ऐसे में उन्होंने हरियाणा से कहा कि उनके यहां के सिर्फ बीएस 6 बसों को ही दिल्ली में एंट्री दी जाएगी.
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परिवहन विभाग के मंत्री कैलाश गहलोत के अनुसार, दिल्ली में हर साल पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 के स्तर में वृद्धि हो जाती है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी निर्देशों व एनजीटी के आदेश के बाद ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाता है. इसलिए इस साल परिवहन विभाग ने वायु गुणवत्ता के स्तर के खराब होने की स्थति से पहले निवारक कदम उठाए हैं. अधिकारियों के अनुसार, लगभग 70-80 बस और हजारों ट्रक हर दिन राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करते हैं.
बीएस का मतलब होता है भारत स्टेज. इसका सीधा संबंध उत्सर्जन मानकों से होता है. दरअसल बीएस-6 इंजन से लैस वाहनों में खास फिल्टर लगे होते हैं. जिससे 80-90 फीसदी पीएम 2.5 जैसे कण रोके जा सकते हैं. इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड पर नियंत्रण लग सकेगा. जिसकी वजह से प्रदूषण पर काफी रोक लगती है.