नई दिल्ली : बात चाहे कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित लोगों के इलाज की हो, या फिर युद्ध में घायलों की सेवा क़ी. सभी जगह डॉक्टर्स से ज्यादा नर्सेज़ की जरूरत होती है. नर्सेस के बिना किसी भी रोग का इलाज संभव नहीं है. आज जहां दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. वहीं नर्सेज़ कोरोना वॉरियर्स बनकर सभी मरीजों की सेवा करके उन्हें स्वस्थ्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. इन्हीं नर्सेस के योगदान को याद करके और इनका सम्मान करने के लिए ही इंटरनेशनल नर्सेस डे हर साल 12 मई को मनाया जाता है. इस बार भी कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक निपटने में अहम भूमिका निभाने वाली नर्सेज के सम्मान में सभी हॉस्पिटल्स में अंतराष्ट्रीय नर्सेज दिवस मनाया गया.
इस अवसर पर कुछ अस्पतालों में नर्स ने अंगदान जैसे महादान और इसके जरिए लोगों को नया जीवन देने के लिए प्रेरित करने के लिए नर्सेज ने सामूहिक रूप से अंग दान का संकल्प लेकर पूरी मानवता के लिए एक बड़ा संदेश दिया. मेदांता अस्पताल में लगभग 700 नर्सेज में अंगदान करने का संकल्प लिया है. वहीं देश के सबसे बड़े अस्पताल में नर्स ने मरीजों की निस्वार्थ सेवा करने का शपथ लिया.
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर नर्सों ने लिया निस्वार्थ सेवा और अंगदान का संकल्प नर्सेज़ मानवता के लिए अपना जीवन तक समर्पित कर देती हैं. इस अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर, 12 मई 2022 को, मेदांता हॉस्पिटल में ऑर्गन इंडिया की ओर से अंगदान के विषय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. मेदांता की नर्सेज़ ने निस्वार्थ कार्य का एक अतिरिक्त कदम उठाने का सामूहिक निर्णय लिया। लगभग 700 नर्सेज़ ने अंग दान करने का संकल्प लिया. नर्सेज़ अपना जीवन समाज की सेवा में तो समर्पित करते ही है, पर उनके न होने के बाद भी वे समाज की सेवा करना चाहते हैं. अंगदान करे एक ज़िंदगी. एम्स की नर्सेज ने अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज डे के अवसर पर अपनी सेवा और कर्तव्य के निर्वहन को लेकर संकल्प लेते हुए कहा कि वह पूरी निष्ठा एवं समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे.
जानबूझकर किसी भी मरीज को कोई नुकसान पहुंचाने वाली दवाई नहीं देंगे. निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करेंगे. व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं एवं परिवार की बातें अपने कर्तव्यों के निर्वहन के रास्ते में नहीं आने देंगे. अपना पूरा जीवन उन मरीजों की सेवा में समर्पित करते हैं जिन की देखभाल की जिम्मेदारी उनके पास है.मेदांता अस्पताल के नर्सिंग डायरेक्टर विनोद कुमार बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कई अस्पतालों ने कोरोना संक्रमित मरीजों को एडमिट करने से मना कर दिया था, लेकिन उनके अस्पताल में किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज से मना नहीं किया गया. इस कार्य में नर्स ने बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने इस बात की परवाह किए बिना कि वे भी इस खतरनाक संक्रमण की जद में आ सकती हैं मरीजों की सेवा में दिन रात लगी रही. यही सेवा भाव नर्स के कर्तव्य को महान बनाता है.
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