नई दिल्ली: दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर मटियाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला गांव दौराला में लोगों का गुस्सा उस वक्त फूट पड़ा, जब वे शहीद जवान के पार्थिव शरीर के गांव आने के बाद सही तरीके से उसका अंतिम संस्कार (martyred soldier cremation in daraula village) भी नहीं कर पाए. इसपर स्थानीय लोगों ने शमशान घाट पर ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दी.
दरअसल दिल्ली के इस छोटे से गांव की आबादी तो करीब 800 के आसपास है लेकिन यहां हर से एक-दो व्यक्ति फौज में है. देश की सेवा के लिए अपने बेटों को खोने वाले गांव में विडंबना यह है कि यहां के शमशान घाट की स्थिति बहुत बदहाल है. यहां गांव के एक बेटे की शहादत के बाद उसके पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि के लिए उसके घर लाया गया था. लेकिन शमशान घाट की बुरी हालत के कारण से उस जवान की सही तरीके से अंतिम विदाई भी नहीं हो पाई.
इसका कारण यह था कि गांव का एकमात्र श्मशान घाट, सीवर के पानी में डूबा पड़ा है, और आजतक स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी उसकी सुध नहीं ली. लोगों ने कहा कि शहीद जवान के पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि के गांव लाए जाने की जानकारी होने के बाद भी दिल्ली सरकार की तरफ से किसी प्रकार की व्यवस्था की नहीं की गई थी. इन्हीं में एक स्थानीय निवासी ने यह भी कहा कि अगर कोई भी नेता यहां आता है, तो उसकी गर्दन पकड़ कर इस शमशान घाट में लाना चाहिए. उसने यह भी कहा कि नेताओं से पूछना चाहिए कि देश की सेवा में शहीद हुए जवान का क्या दोष था जो हमलोग उसका सम्मान सहित अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए.
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पेट्रोल से किया गया अंतिम संस्कार
हाल ही में फौजी शिव कुमार, देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए थे. उनके पार्थिव शरीर को दौराला गांव लेकर पहुंचे भारतीय सेना के 16 जवानों ने सीवर के गंदे पानी में डूबे शमशान घाट और रास्तों में चल कर किसी तरह शमशान घाट तक पहुंचाया. हालांकि गांव के लोगों ने मिलकर 4 घंटे जेसीबी से शमशान घाट की स्थिति ठीक करने का प्रयास किया जिसके बाद किसी तरह शहीद जवान का अंतिम संस्कार हो पाया. शमशान घाट की हालत इतनी खराब थी कि शहीद जवान का अंतिम संस्कार पेट्रोल से किया गया. इस मार्मिक घटना को देखकर शहीद के परिजनों सहित वहां मौजूद स्थानीय लोग भी अपने रोक न पाए.
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