नवरात्रि विशेष : जानें कालकाजी मंदिर की पौराणिक मान्यताएं, असुर मर्दन के लिए लिया था कौशिकी रूप

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Published : Sep 25, 2022, 2:25 PM IST

Updated : Sep 26, 2022, 6:33 AM IST

कालकाजी मंदिर

26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही ईटीवी भारत आपको दिल्ली एनसीआर स्थित माता मंदिरों के दर्शन कराएगा. इस कड़ी में आज बारी है दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर की.

नई दिल्ली: राजधानी के कालकाजी मंदिर में यूं तो सालों भर भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रों में लाखों भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं. रक्तबीज का वध करने के लिए माता ने अपने मुख का विस्तार किया था. कालकाजी पीठ में माता के उसी मुख रूप की पूजा होती हैं. वहीं, कालकाजी मंदिर को लेकर मान्यताएं है कि यहां पर आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाओं को माता पूर्ण करती हैं. आखिर क्या है कालकाजी मंदिर का पौराणिक महत्व इस पर पीठाधीश्वर सुरेंद्र नाथ जी से ईटीवी भारत ने बात की.

कालकाजी पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ और उसने बताया कि पौराणिक मान्यताएं हैं कि कालकाजी पीठ अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकुट नाम के पर्वत पर स्थित है. कहा जाता है कि यहां निवास करने वाले अत्यंत बलशाली और प्रतापी असुरों ने देवताओं पर काफी अत्याचार किया था. इससे आहत होकर देवता ब्रह्मा जी के पास गए और ब्रह्मा जी से असुरों से मुक्ति पाने का मार्ग पूछा, फिर ब्रह्मा जी के बताए हुए कथन अनुसार देवताओं ने सूर्यकुट पर्वत पर माता की आराधना की फिर माता ने प्रसन्न होकर कौशिकी रूप में अवतरित हुई थीं.

कालकाजी मंदिर से विशेष

मां कौशिकी ने अत्यंत प्रतापी और बलसाली कई असुरों का वध किया, लेकिन वह रक्तबीज का वध नहीं कर सकीं क्योंकि रक्तबीज को यह वरदान था कि उसके रक्त का एक भी कतरा धरती पर गिरेगा तो उसके जैसे कई असुर पैदा हो जाएंगे. फिर माता कौशिकी ने मां पार्वती के तरफ निहारा और फिर मां काली का अवतरण हुआ. फिर मां काली ने रक्तबीज का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई, क्योंकि मां कालका ने रक्तबीज के रक्त का पान करने के लिए विशेष रूप से अपने मुख का विस्तार किया था. इसीलिए कालकाजी पीठ पर माता के मुखाकृति की पूजा विशेष रूप से की जाती है. कालकाजी मंदिर में माता का मुख स्थापित है.

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यूं तो सालों भर भक्त कालका मां के दर्शन के लिए हैं, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि में लाखों की संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए कालकाजी मंदिर आते हैं. कालकाजी मंदिर दिल्ली के दक्षिण पूर्व जिले के अंतर्गत कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में स्थित है, जो एशिया के सबसे बड़े आईटी मार्केट नेहरू प्लेस मार्केट के पास है. यहां आने के लिए सड़क और मेट्रो दोनों की सुविधाएं उपलब्ध हैं. कालकाजी मंदिर नाम से यहां मेट्रो स्टेशन है, जिसके जरिए मेट्रो से लोग यहां आ सकते हैं. इसके अलावे यहां पर तीन मेट्रो स्टेशन पास में है. नेहरू प्लेस, गोविंदपुरी और एनआईसी ओखला इन तीनों मेट्रो स्टेशनों के जरिए भी कालकाजी मंदिर आया जा सकता है.

वहीं, सड़क मार्ग से आने के लिए यह मंदिर आउटर रिंग रोड पर स्थित है. इसकी शुरुआत मोदी मिल फ्लाईओवर से होती है जो दिल्ली एयरपोर्ट को जाता है. डीटीसी बस से आने के लिए भी यहां पर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से डीटीसी की बस आती है नेहरू प्लेस बीटीसी का डीपो भी है, जो कालकाजी मंदिर के पास ही है. वहां से पैदल कालकाजी मंदिर जाया जा सकता है. माताजी मंदिर में प्रवेश के लिए 4 तरफ से इंट्री है लेकिन नवरात्रों में विशेष रूप से भक्तों की भीड़ की वजह से राम प्याऊ के तरफ से प्रवेश दिया जाता है, जिसके लिए लोगों को लोटस टेंपल के तरफ से लाइन लगना होता है. वहीं मंदिर गाड़ी से आने वाले लोग अपनी गाड़ी को नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशन के पार्किंग में पार्क कर सकते हैं, जहां मेट्रो द्वारा निर्धारित पार्किंग चार्ज लगता है. इसके अलावा भी नेहरू प्लेस मार्केट की कई पार्किंग है और मंदिर के आसपास भी पार्किंग की व्यवस्था होती है. हालांकि के सब पार्किंग मेट्रो के पार्किंग से महंगा होता है.

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Last Updated :Sep 26, 2022, 6:33 AM IST
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