कारोबारी की हत्या में नाबालिगों को हो सकती है फांसी, जानिए क्या कहता है कानून

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Published : May 9, 2022, 6:47 PM IST

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दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में घर के भीतर घुसकर 77 वर्षीय कारोबारी की हत्या मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन आरोपी 16 वर्षीय नाबालिग निकला. पुलिस इनके खिलाफ अदालत में बालिग के तहत केस चलवाना चाहती है. कानून के जानकार मानते हैं कि अगर इन पर बालिग की तरह केस चलता है तो उन्हें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है.

नई दिल्ली : दिल्ली में नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराधों से निपटना पुलिस के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण हो रहा है. नाबालिग न केवल छोटे अपराधों को बल्कि लूट और हत्या जैसी गंभीर वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं. हाल ही में सिविल लाइंस इलाके में जिस तरीके से कारोबारी की बेरहमी से दो नाबालिगों ने हत्या की, इससे पुलिस भी हैरान है. पुलिस इनके खिलाफ अदालत में बालिग के तहत केस चलवाना चाहती है. कानून के जानकार मानते हैं कि अगर इन पर बालिग की तरह केस चलता है तो उन्हें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है.

जानकारी के अनुसार, बीते एक मई को सिविल लाइन्स इलाके में घर के भीतर घुसकर 77 वर्षीय कारोबारी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. घर से लगभग 11 लाख रुपये, गहने और कीमती घड़ियां लूटी गई थी. वारदात की गंभीरता को देखते हुए लोकल पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल भी छानबीन में जुटी हुई थी. मंगलवार देर शाम पुलिस ने जब इस हत्या के मामले में मुख्य आरोपी को पकड़ा तो वह 16 वर्षीय नाबालिग निकला. उसकी निशानदेही पर जब दूसरे आरोपी को पकड़ा गया तो वह भी 17 वर्षीय नाबालिग निकला. पूछताछ में खुलासा हुआ कि दोनों नाबालिगों ने ही लूट की साजिश रची और हत्याकांड को अंजाम दिया. विशेष आयुक्त दीपेंद्र पाठक का कहना है कि इस मामले में दोनों आरोपियों पर बालिग की तरह केस चलाने के लिए पुलिस अदालत में अपील करेगी.

नाबालिग आरोपियों के लिए क्या है प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि निर्भया कांड के बाद नाबालिगों को लेकर कानून में संशोधन किया गया था. निर्भया कांड के आरोपी को महज तीन साल बाल सुधार गृह में रखने के बाद छोड़ दिया गया था, जबकि बालिग आरोपियों को फांसी की सजा हुई थी. उस समय कानून में संशोधन कर नाबालिगों को गंभीर अपराध में सात साल तक बाल सुधार गृह में रखने का प्रावधान किया गया था. इसके अलावा 16 वर्ष से ऊपर के नाबालिग पर बालिग की तरह मुकद्दमा चलाने का प्रावधान भी किया गया था. लेकिन इसके लिए बाल न्यायालय समिति को शक्ति दी गई है. अदालत को अगर लगे कि नाबालिग दिमाग से वयस्क है तो वह उस पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने की अनुमति दे सकती है.

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अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि बाल न्यायालय समिति यह देखती है कि किन हालातों में नाबालिग ने अपराध किया है. अगर किसी नाबालिग ने किसी शर्त को पूरा करने के लिए अपराध किया तो वह बाल अपराध माना जायेगा. लेकिन अगर कोई साजिश रचने के बाद किसी जघन्य अपराध को अंजाम देता है तो उस नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकद्दमा चलाया जा सकता है. अपराध करने के तरीके को ध्यान में रखते हुए ही समिति अपना निर्णय लेती है.

अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि सिविल लाइन्स मामले में आरोपी नाबालिगों ने साजिश रचने के बाद हत्याकांड को अंजाम दिया है. उन्होंने पहले रेकी की, बाइक चोरी की, मेट्रो से आकर हत्या को अंजाम दिया और बाइक से लौट गए. यह दर्शाता है कि उन्होंने किस तरह से साजिश रची थी. इस वजह से उन्हें लगता है कि दोनों पर बालिग की तरह मुकद्दमा चलाया जा सकता है. लेकिन इसका निर्णय बाल न्यायालय समिति को ही करना है. उन्होंने बताया कि अगर इन नाबालिगों पर बालिग की तरह मुकद्दमा चलता है तो उन्हें उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा अदालत सुना सकती है.

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