नई दिल्ली/आगरा : ताजनगरी की शाही जामा मस्जिद का निर्माण शहंशाह शाहजहां की बड़ी और सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने कराया था. जहांआरा मुगल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी थीं. जहांआरा ने अपनी छात्रवृत्ति की रकम से जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद इस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित मस्जिद है.
इतिहासकारों के मुताबिक, मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें हुईं थीं. जिनमें हुरुलनिसा बेगम, जहांआरा, दाराशिकोह, शाह शुजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद, लुतफुल्ला, दौलत अफजा, गौहरा बेगम थीं. इसके अलावा एक बच्चा और एक बच्ची पैदा होने के बाद मर गए थे, जहांआरा पहले भाई दाराशिकोह की करीबी थीं और औरंगजेब की करीब रोशनआरा थी.
समोगढ़ के युद्ध में दाराशिकोह की हार और शाहजहां के कैद करने पर फिर जहांआरा आगरा आ गई. 1666 तक पिता शाहजहां की सेवा की. शाहजहां की मौत के बाद जहांआरा फिर औरंगजेब की करीबी हो गईं. औरंगजेब ने जहांआरा को राजकुमारी की महारानी का खिताब दिया था.
शाहजहां की चहेती थी जहांआरा
मुगल शहंशाह शाहजहां और मुमताज की सबसे बड़ी बेटी जहांआरा थी. इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बताया कि जहांआरा का जन्म दो अप्रैल 1614 को हुआ था. जहांआरा, शाहजहां की सबसे चहेती बेटी थीं. वह मां मुमताज के निधन के समय 17 साल की थीं. मुमताज की मौत के बाद शाहजहां ने उसकी संपत्ति की आधी संपत्ति जहांआरा को दी और बाकी की आधी संपत्ति अन्य बच्चों में बांटी गई थी.
जहांआरा मुगल काल की सबसे अमीरजादी शहजादी थीं. जहांआरा का निधन 16 सितंबर 1681 को दिल्ली में हुआ था. उनकी कब्र दरगाह हजरत निजामुद्दीन में स्थित है.
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पांच साल में पांच लाख रुपये खर्च करके बनवाई थी मस्जिद
इतिहासकार राजे का कहना है कि शाहजहां की चहेती बेटी जहांआरा ने सन् 1643-48 में आगरा की जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद उत्तर भारत की विशाल मस्जिदों में से एक है. जामा मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बनाई गई थी. उसकी दीवार में प्रयुक्त टाइल्स को ज्यामितीय आकृति से सजाया गया है.
जामा मस्जिद की छत टीम गुंबद है. इसके साथ ही मस्जिद में एक बड़ा दलान उसके मध्य में बना हुआ है. आगरा की जामा मस्जिद की खासियत यह है कि यहां पर एक साथ 10 हजार लोग बैठकर नमाज पढ़ सकते हैं.
जामा मस्जिद के बाहर लगे शिलालेख में लिखा है कि जामा मस्जिद का निर्माण पांच साल में हुआ था. तब जामा मस्जिद पांच लाख में बनकर तैयार हुई थी. यह रकम उन्होंने अपनी छात्रवृत्ति से खर्च की थी क्योंकि मुगल काल में शहजादे, शहजादी और बेगमों को खर्चे के लिए वजीफा (छात्रवृत्ति) दी जाती थी.
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जहांआरा बेगम को जन्नत-ए-फिरदौस में जगह
इस्लामिया लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरैशी का कहना है कि जहांआरा ने अपने दहेज के लिए रखे पांच लाख रुपए खर्च करके जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जहांआरा बेगम की जन्नत-ए-फिरदौस में जगह है. जो भी नमाजी यहां नमाज पढ़ता है वो अल्लाह से जहांआरा के लिए दुआ भी करता है.
कहा जाए तो इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समाज से दहेज की प्रथा खत्म करना था क्योंकि लोग दहेज न लें. जो दहेज की रकम है, उसे मस्जिद पर खर्च करें. मुगलकाल की सबसे अमीर शहजादी जहांआरा खूबसूरत थीं. जहांआरा अपने दौर की सबसे फैशनेबल शहजादी भी थीं. वह खूब खर्च भी करती थीं. उन्हें उस समय सबसे ज्यादा पावरफुल महिला के नाम से भी जाना जाता था.