नई दिल्ली: भारत में गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित करने की मांग उठ रही है. इसका आयुष मंत्रालय भी समर्थन कर रहा है. एशिया के सबसे बड़े हॉस्पिटल एम्स में भी गिलोय के सेवन से कोविड-19 के काफी मरीज ठीक हुए हैं. समाजसेवी हरपाल राणा लगातार गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने की कोशिश कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि गिलोय पर भारत के 16 राज्यों में शोध शुरू हो गए हैं.
समाजसेवी हरपाल राणा लोगों को गिलोय के बारे में प्रतिदिन जागरूक करते रहते हैं. गिलोय के गुणों से प्रभावित होकर वह इसे राष्ट्रीय औषधि घोषित करने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं. इसकी प्रधानमंत्री कार्यालय ने सराहना भी की है. वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी गिलोय के बारे में विचार विमर्श किया है. भारत सरकार की तरफ से गिलोय के बारे में प्रचार-प्रसार करने का एक अभियान भी चलाया गया है.
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समाज सेवी हरपाल राणा का कहना है कि एम्स में भी कोविड-19 मरीजों को गिलोय की बेल बाटी जा रही है. साथ ही अस्पताल में रहने वाला मेडिकल स्टाफ भी ज्यादा से ज्यादा गिलोय अपने घरों में लगा रहा है. इससे खूब फायदा मरीजों ठीक करने में मिल रहा है.
बता दें कि गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है. यह तैलीय होने के साथ-साथ स्वाद में कड़वा होता है. कहा जाता है कि गिलोय गुणों की खान है. इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने और गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं.
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आयुर्वेद के मुताबिक गिलोय ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है. इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है. यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारू बनाता है. यह शरीर को बैक्टीरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है. लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में भी गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है, जिससे यह डेंगू और स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है. इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है. कहा जा रहा है कि जिस तरीके से भारत सरकार गिलोय के शोध की ओर ध्यान दे रही है, उससे अब वो दिन दूर नहीं, जब गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित कर दिया जाएगा.