नई दिल्लीः मंगलवार को हर भारतीय हिंदी दिवस मना रहा है. हिंदी देश की शान है. हिंदी देश का मान है. हिंदी भाषा देश के लोगों को एकसूत्र में पिरोने का काम करता है. भाषा के उत्थान के लिये कई लोग दिनरात लगे रहते हैं. इसी कड़ी में समाजसेवी हरपाल राणा हिंदी को हर सरकारी विभाग में पूर्ण रूप से मान्यता दिलाने के लिए पिछले कई साल से लड़ाई लड़ रहे हैं. इसके बावजूद आज भी कई सरकारी विभागों में हिंदी भाषा में आदेश जारी नहीं किये जाते.
हर भारतीय नागरिक आज हिंदी दिवस मना रहा है. दुर्भाग्य की बात है कि भारत जैसे देश में हिंदी भाषा को सरकारी विभागों में पूर्ण रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाता है. एक सर्वे के मुताबिक 90% से ज्यादा लोग सिर्फ हिंदी भाषा पूरी तरीके से जानते हैं. महज 2 से 3 पर्सेंट ही ऐसे लोग हैं, जो कि हिंदी भाषा को सही से नहीं समझ पाते हैं. इसके बावजूद सरकारी विभागों से लेकर न्यायालयों तक में हिंदी भाषा का पूर्ण रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसकी लड़ाई हरपाल राणा पिछले कई सालों से लड़ रहे हैं.
हरपाल राणा ने बताया कि हिंदी भाषा को ही महत्व देने के लिए कई आंदोलन भी किए गये. शुरुआती दौर में 15 साल के लिए अंग्रेजी भाषा को मान्यता दी गई थी, लेकिन सरकारी लचर रवैये के चलते अब तक उस आदेश का पालन किया जा रहा है. कई ऐसी सरकारी योजनाएं हैं, जिसके पत्राचार और आदेश अंग्रेजी भाषा में ही जारी किये जाते हैं. इससे आम तौर पर जनता सरकारी योजनाओं का फायदा तक नहीं उठा पाती है. ये कहीं न कहीं नागरिकों के अधिकारों का भी हनन है.
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अब यह देखना लाजिमी होगा कि देश में हिंदी भाषा को पूर्ण रूप से कब मान्यता मिलती है. इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों में कब से हिंदी भाषा में आदेश और पत्राचार किए जाने शुरू होंगे.
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