जेएनयू में सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल, कामन एंट्रेंस में ढेराें खामियां: आइशी घोष

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Published : Jun 17, 2022, 6:05 AM IST

जेएनयू

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष से देश में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि देश में सरकार असल मुद्दे जैसे कि महंगाई और बेरोजगारी से भटकाने के लिए बुलडोजर की राजनीति को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार एक विशेष समुदाय को निशाना बना रही है.

नई दिल्लीः देश में युवाओं को बेहतर शिक्षा और शिक्षा के बाद नौकरी चाहिए जो कि मौजूदा समय में नहीं मिल पा रहा है. शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है. देश में लोगों को जाति और धर्म के नाम पर लड़ाया जा रहा है. एक विशेष समुदाय और मेहनतकश लोगों को बुलडोजर की कार्रवाई के जरिए प्रताड़ित किया जा रहा है. ये बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहीं. उन्होंने कहा कि शिक्षा महंगी हो रही है. शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है. छात्रों को स्कॉलरशिप समय से नहीं मिल रही है. हॉस्टल के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की जरूरत है. विश्वविद्यालय प्रशासन से जब शिकायत की जाती है तो जवाब मिलता है कि फंड नहीं है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि देश में युवाओं को शिक्षा और शिक्षा के बाद नौकरी चाहिए जो कि नहीं मिल रही है. शिक्षा काफी महंगी हो गई है. मौजूदा समय में सरकार ने शिक्षा के निजीकरण पर जोर दिया हुआ है. विश्वविद्यालय में छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए कई माह तक इंतजार करना पड़ रहा है. वहीं जब उनसे सवाल किया कि सरकार कह रही है कि रोजगार बढ़ा है और बेरोजगारी काफी कम है. इस पर उन्होंने कहा कि सरकार यह कह रही है कि आपको अगर रोजगार करना है तो खुद अपने लिए रोजगार क्रिएट करना होगा. यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है लेकिन सरकार को इस बात के लिए नहीं चुना गया था. वर्ष 2014 में मौजूदा सरकार ने कहा था कि सत्ता में आएंगे तो देश की माहौल को बदल देंगे.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष से खास बातचीत.

देश का माहौल जरूर बदला है देश की आज स्थिति काफी खराब हो गई है. देश में धर्म के आधार पर लड़ाया जा रहा है. बेवजह की बयानबाजी की जा रही है जिससे जनता का कोई सरोकार नहीं है. वहीं विश्वविद्यालय में इस वर्ष से बदले दाखिले के नियमों को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि बिना सहमति के ही पिछले कुलपति के द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करवाया गया है. मौजूदा कुलपति प्रोफेसर शांति श्री पंडित से अपील करने के बावजूद उन्होंने छात्रों की बात को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट में कई सारी खामियां है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण का एक रोडमैप है.

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इसके अलावा उन्होंने कहा कि नई कुलपति प्रोफेसर शांति श्री पंडित को छात्रों की समस्या को लेकर एक ज्ञापन सौंपा था. लेकिन आज तक उस मुद्दे पर कोई भी जवाब नहीं मिला है. विश्वविद्यालय में सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल है. हैरानी की बात है कि महिला कुलपति होने के बावजूद इन मामलों पर कोई भी सख्त कदम नहीं उठा रही है. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में हॉस्टल की काफी कमी है. पिछले 3 साल से जो हॉस्टल बन रहे हैं उनकी गति काफी धीमी है. वह अभी तक नहीं बन पाए हैं. छात्रों को हॉस्टल नहीं मिल पा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो हॉस्टल पहले से मौजूद है उनकी स्थिति काफी खराब है. कई बार हॉस्टल की मरम्मत को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत की लेकिन फंड ना होने का बहाना बना दिया गया.


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जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष से देश में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जब सवाल किया तो उन्होंने कहा कि देश में सरकार असल मुद्दे जैसे कि महंगाई और बेरोजगारी से भटकाने के लिए बुलडोजर की राजनीति को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार एक विशेष समुदाय को निशाना बना रही है. लोगों को जाति धर्म के नाम पर लड़ा रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार आए दिन सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में दे रही है. साथ ही कहा कि मौजूदा समय में जो भी व्यक्ति सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहा है उसे दबाया जा रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.


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