Gandhi Jayanti Special: राजघाट पर आज भी सुनाई देती है राष्ट्रपिता की धड़कनें

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Published : Oct 2, 2022, 5:50 AM IST

Etv Bharat

दो अक्टूबर (रविवार) को महात्मा गांधी की 154वीं जयंती है. यह एक ऐसी तारीख है, जिसका इंतजार हर साल देशवासी करते हैं और धूमधाम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाते हैं. देश के विभिन्न राज्यों और राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर भव्य कार्यक्रम होता है. इस साल जयंती पर राजघाट के पास बने राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय (National Gandhi Museum) से ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट पढ़िए...

नई दिल्ली: दिल्ली के राजघाट स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय (National Gandhi Museum) आम दर्शकों के लिए हमेशा खुला रहता है. यहां सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन भारी संख्या में स्कूली और कॉलेज के छात्र पहुंचकर गांधीजी से जुड़े उनके मूल दस्तावेज और व्यक्तिगत अवशेष से रूबरू होते हैं. एक चीज बेहद ही खास है, वह है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आवाज (Gandhi voice be heard in National Gandhi Museum) और दिल की धड़कनों को सुन पाना. इसे सुनने के लिए लोगों की लंबी लाइन तक लगी रहती है.

राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के क्यूरेटर अंसार अली ने ईटीवी भारत को बताया कि राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय महात्मा गांधी के जीवन, उनके कार्य और दर्शन का एक सम्पूर्ण परिदृश्य प्रस्तुत करता है. साल 1948 में गांधी जी की शहादत के तत्काल बाद एक विनम्र प्रयास के तौर पर शुरू हुए इन संग्रहों को मौजूदा राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय में साल 1961 में स्थानांतरित किया गया.

फोन का रिसीवर उठाकर गांधीजी की आवाज सुनें.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा संग्रहालय है, जिसमें न सिर्फ गांधीजी से जुड़े मूल दस्तावेज बल्कि उनके निकट के सहयोगियों से जुड़े अवशेषों को भी संग्रहित किया गया है. संग्रहालय में गांधी जी का सम्पूर्ण जीवन, व्यक्तिगत अवशेषों, फोटोग्रॉफ, दृश्य माध्यमों, साहित्य अनुकृति के माध्यम से दर्शाया गया है.

इसके अलावा संग्रहालय के पुस्तकालय में लगभग 44 हजार दुर्लभ पुस्तकें तथा पत्रिकाएं हैं. यहां गांधीजी द्वारा संपादित अथवा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रों का संग्रह, दुनिया के प्रसिद्ध नेताओं से हुए उनके पत्र व्यवहारों की फोटो प्रतियों का संग्रह भी है.

यहां सुन सकते हैं गांधीजी की धड़कनें.
यहां सुन सकते हैं गांधीजी की धड़कनें.
दर्शकों के लिए क्या है खासः चरखा गैलरी एक अलग प्रकार के संघर्ष की कहानी को बयां करता है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में चरखे ने एक अनूठी भूमिका निभाई. इस गैलरी में चरखे के विकास और उसके इतिहास को दर्शाया गया है. यहां दर्शक पंडित जवाहर लाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, तथा अन्य नेताओं के हाथों से कते सूत देख सकते हैं. साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार के चरखे का भी दर्शक दीदार कर सकते हैं. इसके अलावा फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से भी गांधी जी का जीवन दिखाया गया है.
गांधीजी के चरखा कातनेवाला सामान.
गांधीजी के चरखा कातनेवाला सामान.


जीवन से जुड़ी 300 फोटो की प्रदर्शनीः फोटो प्रदर्शनी में गांधी की के बाल्यावस्था से लेकर उनकी मृत्यु तक के 300 फोटो को प्रदर्शित किया गया है. इसमें गांधीजी के स्मृति चिन्ह भी प्रदर्शित हैं. गांधीजी का चश्मा, माइक्रोस्कोप, कलम, घड़ियां, चप्पल, बर्तन, किताबें, डायरियां, छड़ी जो दांडी यात्रा के दौरान प्रयोग की गई थी. इन सभी को यहां पर प्रदर्शित की गई हैं. यहां खास तौर पर जो आकर्षण का केंद्र बनता है, वह है गांधी जी द्वारा भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी को उनके विवाह पर भेंट की गई साड़ी. अनेकों वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है.

गांधीजी के अस्थि कलश को इसी खादी के कपड़े से ढका गया था.
गांधीजी के अस्थि कलश को इसी खादी के कपड़े से ढका गया था.
यह गैलरी है खासः संग्रहालय के दूसरे तल पर इस गैलरी में महात्मा गांधी के अंतिम प्रयाण की तस्वीरें हैं. उस रेल कोच का मॉडल, जिसमें उनकी अस्थियों को संगम तट इलाहाबाद तक ले जाया गया था. इसमें कपड़े, चादर एवं अन्य शो केस में प्रदर्शित किए गए हैं. उनके सम्मान में विभिन्न राष्ट्रों द्वारा जारी की गई डाक टिकटें, भारतीय रुपए, सम्मान पत्र भी यहां पर देखे जा सकते हैं.
चरखा वाला ध्वज
चरखा वाला ध्वज

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तत्कालीन अखबारों की कतरनें भी: गैलरी में गांधीजी की अस्थियों के कलश, खून से सनी चादर, धोती, उनकी मृत्यु का कारण बनी गोलियां में से एक गोली, जेब घड़ी जो जीवन के अंतिम पल में उनके पास थी. इन सभी को यहां पर देखा जा सकता है. खास बात है कि यहां पर समकालीन अखबारों की कतरनें, भारत तथा विदेशों से उनके बलिदान पर भेजे गए संदेशों तथा उनके प्रिय को भी प्रदर्शित किया गया है.

संग्रहालय के प्रांगण में गांधीजी की प्रतिमा.
संग्रहालय के प्रांगण में गांधीजी की प्रतिमा.
साबरमती का दीदार भी होगाः अगर आप गुजरात नहीं गए और साबरमती आश्रम देखने की इच्छा है तो यहां पर आ जाए. गांधी जी द्वारा स्थापित पांच आश्रमों की तस्वीरों के साथ फीनिक्स, साबरमती तथा सेवाग्राम आश्रमों के मॉडल यहां दिखाए गए हैं. यहां पर अतिरिक्त विभिन्न माध्यमों से बनाए गए कई कलाकारों के द्वारा बनाए गई गांधी जी की तस्वीरें भी हैं.

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फोन का रिसीवर उठाकर गांधीजी की आवाज सुनेंः संग्रहालय के दूसरे तल पर चार टेलीफोन रखे हुए हैं. इन टेलीफोन का रिसीवर कान पर लगाने के दौरान गांधीजी के रिकॉर्ड किए गए भाषण सुनाई पड़ते हैं. 11 जून 1947 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में गांधीजी द्वारा दिए गए भाषण के अंश इसमें सुनाई देता है. आम दर्शकों और बच्चे कई मिनट तक इन आवाज को सुनते हुए दिख जाते हैं. इसके अलावा गांधी जी की दिल की धड़कन भी सुनाई पड़ती है, जिसके लिए आपको दूसरी गैलरी में जाना होगा. इसके अलावा यहां पर गांधी जी तथा दूसरे नेताओं से संबंधित छोटी फिल्में भी दिखाई जाती है.

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