नई दिल्ली: दिल्ली के राजघाट स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय (National Gandhi Museum) आम दर्शकों के लिए हमेशा खुला रहता है. यहां सोमवार को छोड़कर प्रतिदिन भारी संख्या में स्कूली और कॉलेज के छात्र पहुंचकर गांधीजी से जुड़े उनके मूल दस्तावेज और व्यक्तिगत अवशेष से रूबरू होते हैं. एक चीज बेहद ही खास है, वह है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आवाज (Gandhi voice be heard in National Gandhi Museum) और दिल की धड़कनों को सुन पाना. इसे सुनने के लिए लोगों की लंबी लाइन तक लगी रहती है.
राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के क्यूरेटर अंसार अली ने ईटीवी भारत को बताया कि राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय महात्मा गांधी के जीवन, उनके कार्य और दर्शन का एक सम्पूर्ण परिदृश्य प्रस्तुत करता है. साल 1948 में गांधी जी की शहादत के तत्काल बाद एक विनम्र प्रयास के तौर पर शुरू हुए इन संग्रहों को मौजूदा राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय में साल 1961 में स्थानांतरित किया गया.
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा संग्रहालय है, जिसमें न सिर्फ गांधीजी से जुड़े मूल दस्तावेज बल्कि उनके निकट के सहयोगियों से जुड़े अवशेषों को भी संग्रहित किया गया है. संग्रहालय में गांधी जी का सम्पूर्ण जीवन, व्यक्तिगत अवशेषों, फोटोग्रॉफ, दृश्य माध्यमों, साहित्य अनुकृति के माध्यम से दर्शाया गया है.
इसके अलावा संग्रहालय के पुस्तकालय में लगभग 44 हजार दुर्लभ पुस्तकें तथा पत्रिकाएं हैं. यहां गांधीजी द्वारा संपादित अथवा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रों का संग्रह, दुनिया के प्रसिद्ध नेताओं से हुए उनके पत्र व्यवहारों की फोटो प्रतियों का संग्रह भी है.
जीवन से जुड़ी 300 फोटो की प्रदर्शनीः फोटो प्रदर्शनी में गांधी की के बाल्यावस्था से लेकर उनकी मृत्यु तक के 300 फोटो को प्रदर्शित किया गया है. इसमें गांधीजी के स्मृति चिन्ह भी प्रदर्शित हैं. गांधीजी का चश्मा, माइक्रोस्कोप, कलम, घड़ियां, चप्पल, बर्तन, किताबें, डायरियां, छड़ी जो दांडी यात्रा के दौरान प्रयोग की गई थी. इन सभी को यहां पर प्रदर्शित की गई हैं. यहां खास तौर पर जो आकर्षण का केंद्र बनता है, वह है गांधी जी द्वारा भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी को उनके विवाह पर भेंट की गई साड़ी. अनेकों वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है.
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तत्कालीन अखबारों की कतरनें भी: गैलरी में गांधीजी की अस्थियों के कलश, खून से सनी चादर, धोती, उनकी मृत्यु का कारण बनी गोलियां में से एक गोली, जेब घड़ी जो जीवन के अंतिम पल में उनके पास थी. इन सभी को यहां पर देखा जा सकता है. खास बात है कि यहां पर समकालीन अखबारों की कतरनें, भारत तथा विदेशों से उनके बलिदान पर भेजे गए संदेशों तथा उनके प्रिय को भी प्रदर्शित किया गया है.
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फोन का रिसीवर उठाकर गांधीजी की आवाज सुनेंः संग्रहालय के दूसरे तल पर चार टेलीफोन रखे हुए हैं. इन टेलीफोन का रिसीवर कान पर लगाने के दौरान गांधीजी के रिकॉर्ड किए गए भाषण सुनाई पड़ते हैं. 11 जून 1947 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में गांधीजी द्वारा दिए गए भाषण के अंश इसमें सुनाई देता है. आम दर्शकों और बच्चे कई मिनट तक इन आवाज को सुनते हुए दिख जाते हैं. इसके अलावा गांधी जी की दिल की धड़कन भी सुनाई पड़ती है, जिसके लिए आपको दूसरी गैलरी में जाना होगा. इसके अलावा यहां पर गांधी जी तथा दूसरे नेताओं से संबंधित छोटी फिल्में भी दिखाई जाती है.