पहले व्हाट्सएप पर आया अश्लील वीडियो कॉल, फिर ब्लैकमेल कर ऐंठ लिए 18 लाख रुपये

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Published : Sep 21, 2022, 8:14 PM IST

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आजकल फ्रॉड सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव हो गए हैं. वह लोगों को अपना शिकार बनाकर ब्लैकमेल कर रहे हैं. लोगों को अंजान नंबर से वीडियो कॉल आ रहा है. अगर कोई शख्स गलती से भी उसको उठा लेता है तो वो ठगी का शिकार हो जाता है. ऐसे ही एक रैकेट का खुलासा द्वारका की साइबर पुलिस ने किया है. first obscene video call on WhatsApp

नई दिल्ली : अगर आपके पास भी किसी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आता है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि सेक्सटॉर्शन रैकेट के आप भी शिकार हो सकते हैं. ऐसे ही एक रैकेट का द्वारका जिले के साइबर थाने की पुलिस ने पर्दाफाश किया है. इसमें इस गिरोह के सदस्यों ने मिलकर एक शख्स से 18 लाख रुपये ऐंठ लिए. इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान मुस्तकीम के रूप में हुई है. वह राजस्थान के अलवर का रहने वाला है.



डीसीपी एम. हर्षवर्धन के अनुसार, द्वारका जिले की साइबर थाने को दी गई शिकायत में एक शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके वाट्सएप नंबर पर अनजान नंबर से अश्लील वीडियो कॉल आया था. इसमें कुछ देर तक लड़की से बात की और फिर कॉल को समाप्त कर दिया था. इसके बाद एक अगस्त को शिकायतकर्ता के नंबर पर एक मोबाइल नंबर से कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को पुणे पुलिस का एसएचओ अरुण रावत बताया और कहा कि एक लड़की ने आत्महत्या कर ली है. उसका नंबर लड़की के मोबाइल के कॉल लॉग में मिला है. आगे उसने कहा कि उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया जाएगा. कॉलर ने शिकायतकर्ता को पुणे पहुंचने का निर्देश दिया और साथ ही उसने एसआई विक्रम राठौर नाम शख्स से संपर्क करने के लिए उसका मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराया.

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इसके बाद शिकायतकर्ता ने उस नंबर पर बात की. जिसने उस पर दबाव डालते हुए, उससे 18 लाख रुपये ऐंठ लिए. जिसे आरोपी द्वारा बताए गए दो अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर किया गया था. इसके बाद शिकायतकर्ता को फिर एक कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी के रूप में बताते हुए उसे मुंबई आने के लिए कहा. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने फिर से विक्रम राठौर से संपर्क किया. जिस पर उससे तीन लाख रुपए और मांगे गए. इसके बाद शिकायतकर्ता को खुद को ठगे जाने का एहसास हुआ और उन्होंने साइबर थाने में इसकी शिकायत दी.

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इस मामले में 19 अगस्त को साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी ऑपरेशन राम अवतार की देखरेख में एसएचओ जगदीश कुमार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह, एसआई विकास कुमार, हेड कॉन्स्टेबल अमित और प्रवेश की टीम का गठन किया गया था. जांच के दौरान पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड और कथित मोबाइल नंबर से संबंधित जानकारियों को प्राप्त किया. सभी मोबाइल नंबर बंद पाए गए. जिसके बाद मोबाइल नंबरों पर टेक्निकल सर्विलांस लगाया गया, जिसमें से एक मोबाइल नंबर राजस्थान के अलवर स्थित रामगढ़ तहसील के अलावारा में सक्रिय होने का पता चला. इस पर प्रतिक्रिया करते हुए पुलिस ने राजस्थान के अलवर स्थित गांव में छापा मारकर एक आरोपी को दबोच लिया. जिसकी पहचान मुस्तकीम के रूप में हुई.

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पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वो इस ऑनलाइन चीटिंग का हिस्सा है और यह भी खुलासा किया साहुन नाम का शख्स उसके मोबाइल में फर्जी नामों से लिए गए सिम कार्ड के सहारे इन वारदातों को अंजाम देता है. उसने बताया की कुल 13 सिम कार्ड के बदले साहुन ने उसे 2600 रुपए दिए थे. साहुन इन फर्जी सिम कार्ड को आगे अन्य लोगों को भी सप्लाई करता था. पुलिस ने आरोपी मुस्तकीम को गिरफ्तार कोर्ट में पेशी के बाद, उसके साथियों की पकड़ के लिए 2 दिनों की रिमांड पर लिया है. पुलिस साहुन की गिरफ्तारी के लिए, अलवर के इलाकों में छापेमारी भी कर रही है. लेकिन आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बच रहा है.

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