नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 100 करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में जिस आरोपी प्रदीप को गिरफ्तार किया है, वह बीते सात साल से फरार चल रहा था. इस फरारी के दौरान वह न केवल ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहा था बल्कि पुलिस को भी लगातार चकमा दे रहा था. लेकिन आर्थिक अपराध शाखा की डेढ़ महीने की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार उसे शाहदरा इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया. उसके अन्य साथी विनायक को भी पकड़ा गया जिसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया है.
संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा ने बताया कि शकुंतला नामक एक महिला ने आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज कराई थी. उसने बताया कि उसे आरोपी ने 20 करोड़ रुपये में एक जमीन बेची थी. उसने बताया था कि यहां पर ग्रेनाइट की माइनिंग होती है और उसे 50 लाख रुपये महीना किराया मिलेगा. उन्होंने यह जमीन खरीद ली लेकिन जब वह मौके पर पहुंची तो पता चला कि यहां पर किसी प्रकार के ग्रेनाइट की माइनिंग नहीं है. इसके बाद उन्होंने आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर कराई थी.
छाया शर्मा ने बताया कि आर्थिक अपराध शाखा में आरोपी के खिलाफ दो मामले दर्ज हैं. इनमें से एक में उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था जबकि दूसरे में उसकी तलाश चल रही थी. इसके अलावा गुरुग्राम, करोल बाग में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज था. सीबीआई ने भी बैंक से 25 करोड़ रुपये का लोन लेने के मामले में उसके खिलाफ एफआईआर 2018 में दर्ज की थी.
संयुक्त आयुक्त ने बताया कि आरोपी को पकड़ना बेहद ही चुनौतीपूर्ण था क्योंकि भारत का सिम कार्ड वह इस्तेमाल नहीं कर रहा था. उसे इस बात की जानकारी थी कि टेक्निकल सर्विलांस की मदद से वह पकड़ा जा सकता है. इसलिए उसने अपने एक कर्मचारी को जिम्बाब्वे भेजा था जो वहां से चालू सिम कार्ड बड़ी संख्या में लेकर आया था. इनमें से सात से आठ सिम कार्ड वह एक बारी में इस्तेमाल करता था. इनके नंबर से उसने व्हाट्सएप और टेलीग्राम एप डाउनलोड कर रखे थे जिनका इस्तेमाल कॉल करने के लिए वह करता था.
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संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा ने बताया कि पुलिस ने उसकी एलओसी खोल रखी थी जिसकी वजह से वह हवाई जहाज से सफर नहीं करता था. इतना ही नहीं पकड़े जाने के डर से वह ट्रेन में भी नहीं जाता था. वह सड़क के रास्ते ही अपनी पजेरो कार से सफर करता था जो उसके एक रिश्तेदार के नाम पर पंजीकृत है. पुलिस को पता चला था कि वह शाहदरा इलाके में मौजूद है जिसके बाद सोमवार को छापा मारकर पुलिस टीम ने उसे विनायक भट्ट के साथ गिरफ्तार किया था. विनायक भट्ट को पुलिस ने सीबीआई के हवाले कर दिया है.
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आरोपी ने पुलिस को बताया कि उनसे बचने के लिए वह परमानेंट ड्राइवर तक भी नहीं रखता था. वह आए दिन किराए पर ड्राइवर लेता था और फिर अगले कुछ दिनों में उसे बदल देता था. वह किसी भी एक जगह पर 12 से 24 घंटे तक ही रूकता था. यही वजह थी कि पुलिस अगर उसका पीछा भी करे तो उस तक नहीं पहुंच पाती थी. आरोपी महज 11वीं कक्षा तक पढ़ा है. उसने 11 कंपनियां खोल रखी हैं जिनमें वह निदेशक है. सुल्तानपुर इलाके में आरोपी का अपना मॉल भी है. पुलिस से बचने के लिए वह अपने परिवार से भी कम ही संपर्क करता था.
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