नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो के भीतर होने वाले अपराध पर लगाम लगाने के लिए मेट्रो पुलिस और डीएमआरसी मिलकर कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. इसके लिए हाल ही में मेट्रो पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मेमोरी को बढ़ाने की मांग डीएमआरसी के अधिकारियों के समक्ष रखी है. मेट्रो डीसीपी जितेंद्र मणि की माने तो डीएमआरसी ने उन्हें सहयोग का भरोसा दिया है. इस बदलाव के बाद मेट्रो के भीतर होने वाले अपराधों को सुलझाने में पुलिस को काफी मदद मिलेगी.
दिल्ली मेट्रो के डीसीपी जितेंद्र मणि ने बताया कि अभी के समय में किसी भी अपराध को सुलझाने में सीसीटीवी फुटेज सबसे बड़ा मददगार साबित होता है. मेट्रो के भीतर होने वाले अपराधों को सुलझाने में भी पुलिस सीसीटीवी की फुटेज की मदद लेती है. इसकी वजह से उन्हें अपराध को कम करने में काफी मदद भी मिली है. लेकिन कई बार मेट्रो के भीतर होने वाले अपराध की सीसीटीवी फुटेज उन्हें नहीं मिल पाती है. दरअसल मेट्रो ट्रेन के अंदर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की रिकोर्डिंग महज 6 से 8 घंटे तक ही रहती है. कई बार इस अवधि के दौरान पुलिस को अपराध की शिकायत तक नहीं मिली होती. इस अवधि के बाद शिकायत मिलने पर अगर पुलिस फुटेज लेना चाहती है तो यह फुटेज डिलीट हो चुकी होती है. इसकी वजह से पुलिस को सुराग नहीं मिल पाता.
नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो के भीतर होने वाले अपराध पर लगाम लगाने के लिए मेट्रो पुलिस और डीएमआरसी मिलकर कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. इसके लिए हाल ही में मेट्रो पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मेमोरी को बढ़ाने की मांग डीएमआरसी के अधिकारियों के समक्ष रखी है. मेट्रो डीसीपी जितेंद्र मणि की माने तो डीएमआरसी ने उन्हें सहयोग का भरोसा दिया है. इस बदलाव के बाद मेट्रो के भीतर होने वाले अपराधों को सुलझाने में पुलिस को काफी मदद मिलेगी.
दिल्ली मेट्रो के डीसीपी जितेंद्र मणि ने बताया कि अभी के समय में किसी भी अपराध को सुलझाने में सीसीटीवी फुटेज सबसे बड़ा मददगार साबित होता है. मेट्रो के भीतर होने वाले अपराधों को सुलझाने में भी पुलिस सीसीटीवी की फुटेज की मदद लेती है. इसकी वजह से उन्हें अपराध को कम करने में काफी मदद भी मिली है. लेकिन कई बार मेट्रो के भीतर होने वाले अपराध की सीसीटीवी फुटेज उन्हें नहीं मिल पाती है. दरअसल मेट्रो ट्रेन के अंदर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की रिकोर्डिंग महज 6 से 8 घंटे तक ही रहती है. कई बार इस अवधि के दौरान पुलिस को अपराध की शिकायत तक नहीं मिली होती. इस अवधि के बाद शिकायत मिलने पर अगर पुलिस फुटेज लेना चाहती है तो यह फुटेज डिलीट हो चुकी होती है. इसकी वजह से पुलिस को सुराग नहीं मिल पाता.