नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की घर-घर राशन भेजने की योजना पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहे तो घर-घर राशन भेजने की दूसरी योजना ला सकती है, लेकिन वह केंद्र की ओर से घर-घर राशन योजना के अनाज का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया है.
11 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ ने याचिका दायर करके कहा था कि इस योजना को लाइसेंसी उचित मूल्य के डीलर्स को नजर अंदाज करके स्वीकृति दी गई है. याचिका में कहा गया था कि इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जरूरी संशोधन नहीं किया गया है.
याचिका में दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन की ओर से अक्टूबर 2021 में जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग की गई थी. इस टेंडर में गेहूं और चावल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उनका परिवहन गोडाउन से लेकर सीधे घर तक करने की योजना है. दिल्ली सरकार ने इस योजना को 21 जुलाई 2020 को घोषित किया था. इस योजना के तहत गेहूं, आटा, चावल और चीनी के पैकेट लाभार्थियों के घरों तक सीधे पहुंचाया जाएगा. याचिका में कहा गया था कि ये योजना उचित मूल्य के डीलर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में इस योजना को रोकने की मांग की गई थी.
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की घर-घर राशन भेजने की योजना पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहे तो घर-घर राशन भेजने की दूसरी योजना ला सकती है, लेकिन वह केंद्र की ओर से घर-घर राशन योजना के अनाज का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया है.
11 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ ने याचिका दायर करके कहा था कि इस योजना को लाइसेंसी उचित मूल्य के डीलर्स को नजर अंदाज करके स्वीकृति दी गई है. याचिका में कहा गया था कि इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जरूरी संशोधन नहीं किया गया है.
याचिका में दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन की ओर से अक्टूबर 2021 में जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग की गई थी. इस टेंडर में गेहूं और चावल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उनका परिवहन गोडाउन से लेकर सीधे घर तक करने की योजना है. दिल्ली सरकार ने इस योजना को 21 जुलाई 2020 को घोषित किया था. इस योजना के तहत गेहूं, आटा, चावल और चीनी के पैकेट लाभार्थियों के घरों तक सीधे पहुंचाया जाएगा. याचिका में कहा गया था कि ये योजना उचित मूल्य के डीलर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में इस योजना को रोकने की मांग की गई थी.