नई दिल्ली. राजधानी के गोताखोर अब जीवन-यापन के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. इनकी मांग है कि सरकार यहां के बेरोजगार गौतखोरों को स्थाई रोजगार दें, ताकि लोगों की जान बचाने के साथ-साथ उनका भी घर खर्च चलता रहे. गोताखोरों का कहना है कि सरकार ने आज तक उनके लिए कोई स्थाई समाधान नहीं किया है. उनका जीवन दूसरों की दया पर आश्रित है, जो भी उन्हें श्रद्धा से देता है उसी पर निर्भर रहते हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए यमुना किनारे रहने वाले गौताखोरों ने अपना दर्द बयां किया. सत्तार नामक गोताखोर ने कहा कि वह पिछले कई सालों से यमुना में डूबते लोगों की जान बचा रहे हैं और इसमें उन्हें खुद के डूब जाने का भी खतरा होता है. सरकारी तौर पर उन्हें किसी प्रकार की मदद भी नही मिलती. फ्लड विभाग द्वारा 24 घंटे में कभी भी सूचना आ जाती है कि यमुना में कोई डूब रहा है या कोई डेडबॉडी तैरती हुई आ रही है और उसे बाहर निकलना है. इसमें इनकी जान भी आफत में पड़ जाती है और खुद के डूबने के भी खतरा होता है. उसके बाद भी सरकार की ओर से इनके लिए कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया है.
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इन गोताखोरों की मांग है कि सरकार इन गरीब और मजबूर गोताखोरों पर भी ध्यान दें. इन्हें भी नियमित तौर पर काम दिया जाए, उसे भी मेहनताना मिले. जो काम ये इंसानियत के नाते कर रहे हैं उससे जीवन चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. यदि सरकारी तौर पर इन्हें काम मिलेगा तो घर खर्च भी चलेगा और दूसरों की ओर देखना भी नहीं पड़ेगा. अब सरकार कब तक इन गोताखोरों के स्थाई समाधान करती है, इसका भी इन्हें भी इंतजार है ।