डीटीसी के बेड़े में 300 लो फ्लोर इलेक्ट्रिक एसी बसों को शामिल करने की मंजूरी

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Published : Mar 26, 2021, 10:00 PM IST

Chief Minister Arvind Kejriwal

दिल्ली कैबिनेट ने डीटीसी के बेड़े में 300 लो फ्लोर एसी बसों को शामिल करने को मंजूरी दे दी है. बता दें कि अब तक दो बार टेंडर प्रक्रिया रद्द हो चुकी है.

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में भारत सरकार की ‘फास्ट एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम) फेज-2’ योजना के तहत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वातानुकूलित 300 लो फ्लोर बसों को बेड़े में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हम टिकाऊ और अत्याधुनिक सुविधाओं को सुनिश्चित करने और गैर-प्रदूषणकारी इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए कई उपाय कर रहे हैं.



2 बार रद्द हुई थी टेंडर प्रक्रिया

डीटीसी द्वारा अक्टूबर 2019 में जारी पहले टेंडर को सही नहीं पाया गया था. इसलिए प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी. जून 2020 में जारी दूसरे टेंडर को भी रद्द कर दिया गया था, क्योंकि दरें प्रतिस्पर्धी नहीं पाई गई थीं. तीसरी बार दिसंबर 2020 में टेंडर जारी गया था, जिसे सही और प्रतिस्पर्धी पाया गया था. ओपेक्स मॉडल पर डीटीसी के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती डीटीसी द्वारा बसों के संचालन के संबंध में एक प्रमुख नीतिगत बदलाव है. अभी तक डीटीसी केवल अपने स्वामित्व वाली बसों का संचालन करता रहा है. बिजली से चलने वाली बसों को पहली बार डीटीसी के बेड़े में शामिल किया जा रहा है.

एक साथ डीटीसी द्वारा 300 इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करना किसी भी राज्य सरकार या राज्य परिवहन उपक्रम (एसटीयू) द्वारा इलेक्ट्रिक बसों की सबसे बड़ी संख्या है.सबसे कम बोली लगाने वाले मेसर्स जेबीएम हैं, जिसकी बोली 68.58 रुपये प्रति किमी है. दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी मेसर्स टाटा मोटर्स है, जिसने मेसर्स जेबीएम द्वारा दी गई दर से मिलान करने पर सहमति जताई है. टेंडर की शर्तों के अनुसार मेसर्स जेबीएम 200 बसों का संचालन करेगी, जबकि 100 बसों का संचालन मेसर्स टाटा मोटर्स द्वारा किया जाएगा.

अक्टूबर में आएगी पहली खेप

इस योजना के तहत, एक बार पूर्णतः चार्ज होने के बाद बसों का कम से कम 140 किमी तक संचालन हो सकेगा. ऑपरेटर चालक प्रदान करेगा और डीटीसी बसों में अपना कंडक्टर तैनात करेगा. ऑपरेटर 10 साल तक बसों या बैटरी के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा. ऑपरेटर समय पर बैटरी बदलने के लिए बाध्य होगा, जो समान्य रूप से 5 साल बाद बदली जाती है. इन बसों के संचालन के लिए बिजली की खपत का खर्च डीटीसी द्वारा वास्तविक बसों पर 14 किलोवाट/किमी तक वहन किया जाएगा. हालांकि, 14 किलोवाट प्रति किमी से अधिक की दक्षता के लिए बिजली की अधिक खपत की राशि वार्षिक खपत के आधार पर ऑपरेटर से वसूल की जाएगी. चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत, चार्जिंग उपकरण और ट्रांसफार्मर आदि की लागत ऑपरेटर द्वारा वहन किया जाएगा.

डीटीसी निकटतम ग्रिड से डिपो तक एक बिजली कनेक्शन प्रदान करेगा. ऑपरेटर तेज या स्लो चार्जर का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगा, लेकिन उसे प्रतिदिन कम से कम 200 किमी तक बसों का संचालन करना होगा.डीटीसी द्वारा जून 2021 में बसों का प्रोटोटाइप प्राप्त होने की संभावना है.118 बसों की पहली खेप अक्टूबर 2021 में आएगी, जबकि नवंबर में 100 बसों को जोड़ा जाएगा.दिसंबर में 60 बसें आ जाएंगी, जबकि शेष 20 बसें जनवरी 2022 तक प्राप्त होने की संभावना है. ये बसें सुभाष प्लेस डिपो, मायापुरी डिपो, रोहिणी-2 डिपो, राजघाट -2 डिपो और मुंडेला कलां डिपो में खड़ी होंगी.

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