नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली दंगा मामले में आरोपी ताहिर हुसैन (accused in Delhi riots case Tahir Hussain) समेत पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने ताहिर हुसैन, शाह आलम, गुलफाम, तनवीर मलिक, नाजिम और कासिम के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 153ए, 302, 307, 120बी, 153ए और 149 के तहत आरोप तय किए। आरोपी गुलफाम और तनवीर मलिक के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत अतिरिक्त आरोप तय किए गए हैं.
सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि चश्मदीद गवाहों के बयान देरी से दर्ज किए गए थे, यह अभियोजन पक्ष और गवाहों को कारण बताने का अवसर दिए बिना उन्हें अविश्वसनीय घोषित नहीं कर सकता. दूसरा, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रासंगिक समय पर दिल्ली में कुछ दिनों तक दंगे जारी रहे. दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को दंगों को रोकने के लिए सेवा में लगाया गया था. इसलिए पुलिस का ध्यान दंगों को नियंत्रित करने के पहलू पर अधिक था. दंगों की प्रत्येक घटना की जांच शुरू करने के बजाय, घबराहट के समय बहुत सुव्यवस्थित तरीके से सब कुछ होने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों और गवाहों में भी किसी के खिलाफ शिकायत करने का साहस नहीं था. वे अपनी सुरक्षा के बारे में अधिक चिंतित थे. अदालत ने कहा कि एक घटना "अम्ब्रेला कॉन्सपिरेसी" की तरह काम है जिसमें बड़ी साजिश के तहत कई छोटी साजिशें हैं. इसलिए प्राथमिकी को अम्ब्रेला कॉन्सपिरेसी के पहलू को कवर करने के लिए माना जाना चाहिए. इस मामले में आरोपों और सबूतों का आकलन इस मामले में शामिल घटना के लिए विशिष्ट छोटी साजिश के अस्तित्व का पता लगाने के लिए किया जाना है.
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यह था मामलाः फरवरी 2020 में चांद बाग इलाके में अजय झा को गोली लगने के संबंध में शुश्रुत ट्रॉमा सेंटर से सूचना मिलने के बाद दयालपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी. झा ने पुलिस को बताया कि 25 फरवरी, 2020 को वह ताहिर हुसैन के घर के पास पहुंचे. उन्होंने छत पर मौजूद कई लोगों को देखा जो पास के घरों पर गोलियां चला रहे थे और पेट्रोल बम और पथराव कर रहे थे. जिसके बाद ताहिर हुसैन और उनके भाई शाह आलम के खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी थी.