दिल्ली की सड़कों का नाम बदलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में बीजेपी, लेकिन AAP और कांग्रेस की ये है मांग

author img

By

Published : May 11, 2022, 4:49 PM IST

bjp-trying-to-take-political-advantage-by-renaming-roads

दिल्ली में एक बार फिर मुस्लिम शासकों के नाम पर बनी सड़कों और इमारतों के साथ ही गांवों का नाम बदलने की राजनीति शुरू की गई है. अंग्रेजों ने वर्ष 1911 में दिल्ली को देश की राजधानी घोषित किया था. अंग्रेजों ने तमाम शासकों के नाम पर सड़कों और जगहों के नाम रखे थे. जिन्हें अब बीजेपी बदलकर दोबारा अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रही है.

नई दिल्ली : दिल्ली में एक बार फिर मुस्लिम शासकों के नाम पर बनी सड़कों और इमारतों के साथ ही गांवों का नाम बदलने की राजनीति शुरू की गई है. अंग्रेजों ने वर्ष 1911 में दिल्ली को देश की राजधानी घोषित किया था. राजधानी के हिसाब से यहां की सड़कों और मुख्यालय का निर्माण कार्य 1912 में शुरू हुआ. यह तकरीबन 1931 तक चला. मुगलों द्वारा बसाई गई दिल्ली से इतर नई दिल्ली नाम देते हुए अंग्रेजों ने यहां से अपनी हुकूमत चलाई.

मौजूदा हालात में दिल्ली की सियासत में मुस्लिम शासकों का नाम दिल्ली से मिटाने की सियासत फिर तेज हो गई है. मुगल शहंशाह और बादशाहों के नाम पर रखे गए मार्गों के नाम और कुछ मुस्लिम नाम वाले गांवों का नाम भी बदलने की राजनीति बीजेपी ने शुरू कर दी है. बीजेपी मुगल काल और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान जिन सड़कों के नाम मुगल शासकों के नाम पर रखे गए थे. उन्हें बदलकर सियासी फायदा लेने की कोशिश में है.

दिल्ली की सड़कों का नाम बदलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में बीजेपी, लेकिन AAP और कांग्रेस की ये है मांग

दिल्ली बीजेपी की ओर से मंगलवार को नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के चेयरमैन को पत्र लिखकर लुटियंस दिल्ली में अकबर रोड, हुमायूं रोड और शाहजहां रोड जैसे मुगल शासकों के नाम वाली छह सड़कों का नाम बदलने की मांग की गई है. राजनीतिक खेल में कुछ समय पहले ही डलहौजी रोड, सेवन रेस कोर्स और औरंगजेब रोड का नाम बदला जा चुका है. नई दिल्ली क्षेत्र की देखभाल एनडीएमसी करती है. इस क्षेत्र में नाम नाम बदलने को लेकर काउंसिल की मीटिंग में ही फैसला लिया जाता है. तो अब कयास है कि आगामी काउंसिल की बैठक में दिल्ली बीजेपी नेताओं के सुझाए गए नए नामों को मंजूरी दे दी जाएगी.

BJP trying to take political advantage by renaming roads
दिल्ली की सड़कों का नाम बदलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में बीजेपी, लेकिन AAP और कांग्रेस की ये है मांग



इसको लेकर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर नामकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है. आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक और जरनैल सिंह का कहना है कि केंद्र में बैठी बीजेपी एनडीएमसी का राजनीतिकरण कर रही है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार का कहना है कि दिल्ली में अतिक्रमण हटाने पर बीजेपी दिल्ली नगर निगम पर दवाब बनाकर गरीब लोगों के घरों पर नफरत का बुलडोजर चला रही है. और जब बीजेपी को लगा कि इसका राजनैतिक लाभ उसे नहीं मिल रहा है तो बीजेपी अब गांवों और दिल्ली की सड़कों का नाम बदलने की राजनीति करके राजधानी में शांति, सद्भाव और सौहार्द को बिगाड़कर साम्प्रदायिक तनाव फैलाना चाहती है.

BJP trying to take political advantage by renaming roads
दिल्ली की सड़कों का नाम बदलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में बीजेपी, लेकिन AAP और कांग्रेस की ये है मांग

अनिल कुमार ने कहा कि बीजेपी दिल्ली के गांवों और सड़कों का नाम बदलने की बजाय नए भवन, सड़क और संस्थाएं बनाए. जिनका नामकरण महापुरुषों के नाम पर रखे. बीजेपी नए सेन्ट्रल विस्टा में बन रहे संसद भवन का नाम पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखकर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि और सम्मान दे. उन्होंने यह भी अपील की कि नए संसद भवन में जितने भी द्वार होंगे उनके नाम भी ऋषि-मुनियों और महापुरुषों के नाम पर रखे जाएं

इसे भी पढ़ें : सुनिए लाल किले का देश के नाम संबोधन..!
सड़कों के नाम बदलने पर इतिहासकार क्या सोचते हैं. इस मुद्दे पर दिल्ली के इतिहासकार फिरोज बख्त अहमद कहते हैं कि नाम बदलना मतलब इतिहास से छेड़छाड़. इस तरह की कोशिश नहीं होनी चाहिए. हर किसी के नाम का कुछ महत्व रहा होगा. सड़कों, इमारतों, विश्वविद्यालयों इत्यादि का नाम हमारे देश की सतरंगी संस्कृति, उसके इतिहास और उसकी आकांक्षा को प्रदर्शित करते हैं. देश की राजधानी में इसका योग दिखना चाहिए.

BJP trying to take political advantage by renaming roads
दिल्ली की सड़कों का नाम बदलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में बीजेपी, लेकिन AAP और कांग्रेस की ये है मांग

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने पत्र लिखकर इन सड़कों के नाम बदलने की मांग की है

1. तुगलक रोड का नाम गुरु गोविंद सिंह (सिखों के दसवें गुरु) के नाम पर रखने की मांग
2. अकबर रोड का नाम महाराणा प्रताप रोड रखने की मांग
3. औरंगज़ेब लेन का नाम डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम लेन रखने की मांग
4. बाबर लेन का नाम क्रांतिकारी खुदीराम बोस के नाम पर रखने की मांग
5. हुमायूं रोड का नाम महर्षि बाल्मीकि के नाम पर रखने की मांग
6. शाहजहां रोड का नाम जनरल विपिन सिंह रावत रखने की मांग

इसे भी पढ़ें : दिल्ली का लाल किला हूं मैं... हूं कुछ 'खौफजदा'...
नई दिल्ली, खासकर लुटियंस जोन में या तो मध्यकालीन मुस्लिम शासकों के नाम हैं या आजादी की लड़ाई या आजादी के बाद के नेताओं के नाम हैं. इसमें स्वाभाविक रूप से ज्यादातर नाम मध्यकालीन मुस्लिम शासकों के हैं या फिर कांग्रेस या उनकी विचारधारा से सहानुभूति रखने वाले नेताओं के नाम हैं. हिंदू शासकों में अशोक और पृथ्वीराज चौहान को जगह दी गई है, लेकिन मुस्लिम शासकों में बहादुर शाह जफर जैसे शासक से लेकर मुगल सल्तनत के आखिरी दौर के वजीर सफदरजंग तक के नाम पर सड़कें हैं.

इसे भी पढ़ें : बार-बार उजड़ती और बार-बार बसती रही, मैं वो दिल्ली हूं

दिल्ली की सत्ता में प्रचंड बहुमत से आई आम आदमी पार्टी की सरकार पिछले कुछ महीनों से अपने विचार धारा में बाबासाहेब अंबेडकर और भगत सिंह को काफी तवज्जो दे रही है. यहां तक कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कैबिनेट ने फैसला लिया कि दिल्ली के तमाम सरकारी कार्यालयों में अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर लगाई जाएगी. तुरंत इस पर अमल भी हुआ, लेकिन आप गूगल करें तो पाएंगे कि दिल्ली में किसी भी सड़क का नाम बाबा साहेब अंबेडकर या शहीद भगत सिंह के नाम पर अभी तक नहीं रखा गया है. हालांकि राजनीति से इतर शिक्षाविदों की बात करें तो वे साफ कहते हैं कि कला, साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वालों के नाम पर सड़कों के नाम कम ही देखने को मिलते हैं. हमारे नेताओं ने प्रेमचंद, शरतचंद्र या निराला के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी. कबीर, विद्यापति या संत तुकाराम हमारी सड़कों या किसी अन्य इमारतों के नामकरण के लायक शायद हैं ही नहीं. इसलिए उनके नाम पर आज तक बात नहीं हुई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.