नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में अब बिजली पर सब्सिडी चाहिए तो एक फॉर्म भर के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) का धन्यवाद कीजिए ,जिसके बाद आपको बिजली में छूट मिलेगी. इस मुद्दे को लेकर के भाजप नेता जगदीश ममगाई (BJP leader Jagdish Mamgai) की ओर से आपत्ति जताई गई है और बिजली सब्सिडी फार्म की भाषा (language of the form of electricity subsidy) को लेकर शिकायत की गई है. शिकायत इस बात को लेकर की गई है कि फॉर्म में दिल्ली के मुख्यमंत्री जनता से अपना ही धन्यवाद क्यों करवा रहे हैं जबकि बिजली के बिल में सब्सिडी कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि दिल्ली सरकार देती है.
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मुख्यमंत्री का धन्यवाद आखिर क्यों : सरकार अगर सब्सिडी दे रही है तो ऐसे में मुख्यमंत्री का धन्यवाद आखिर कोई क्यों करें. राजधानी दिल्ली में 1 अक्टूबर से सब्सिडी के लिए फॉर्म भरने शुरू हो गए हैं, जिस किसी को भी बिजली में सब्सिडी चाहिए वह फॉर्म भरेगा और उसके बाद ही उसे सब्सिडी मिलेगी लेकिन अब फोन की भाषा पर आपत्ति भी शुरू हो गई है, भाजपा नेता जगदीश ममगाई ने ट्वीट किया कि हम इस बात से आपत्ति जता रहे हैं. आपत्ति इस बात से नहीं है कि हम धन्यवाद कर रहे हैं लेकिन धन्यवाद मुख्यमंत्री अपना क्यों करवा रहे हैं. हमारे टैक्स के पैसे से दिल्ली सरकार हमें दे रही है. मुख्यमंत्री अपने फंड से तो दे नहीं रहे हैं.अपनी तनख्वाह में से भी हमें सब्सिडी नहीं दे रहे हैं तो सरकार का तो धन्यवाद हो सकता है.
फॉर्म में करेक्शन करने की मांग : दिल्ली की जनता का भी कुछ यही कहना है दिल्ली के बुराड़ी इलाके की केशव नगर में रहने वाले लोगों का कहना है कि वह सब्सिडी लेना चाहते हैं. इसके लिए दिल्ली सरकार का धन्यवाद भी कर रहे हैं, लेकिन इस फार्म में जो भाषा लिखी गई है, उससे लोगों को आपत्ति है. केशव नगर के रहने वाली पूजा सक्सेना ने कहा कि सब्सिडी हमें हमारे ही पैसे से मिलती है न कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सैलरी से. ऐसे में निजी तौर पर मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना सही नहीं लग रहा. इस फॉर्म में करेक्शन करने की लोग मांग कर रहे हैं. यही बात बुराड़ी की रहने वाली नेहा ने भी कही है. उन्होंने कहा कि खुद से अपना धन्यवाद करवाना सही नहीं है. दिल्ली सरकार इसके लिए धन्यवाद की पात्र है और वह दिल्ली सरकार का धन्यवाद भी कर रही हैं.
भाजपा भुना रही मौका :अब देखना यह होगा कि इन आपत्तियों के बाद क्या सब्सिडी के लिए फोन की भाषा में कुछ बदलाव होता है या नहीं. लेकिन सब्सिडी के फॉर्म की भाषा ने भारतीय जनता पार्टी को आरोप लगाने का एक और मौका जरूर दे दिया है जिसे भाजपा भुना भी रही है.
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