नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण के मामले (Corona cases are decreasing) अब बहुत कम हो गए हैं. छोटे बच्चे जो लगभग 18 महीनों से अपने स्कूल से दूर थे अब वे भी स्कूल जाने लगे हैं. इस बात को लेकर माता-पिता भी खुश हैं. एक लंबे समय तक घर की चारदीवारी में सिमटकर बच्चों की आउटडोर एक्टिविटीज लगभग (lockdown) बंद हो गई थी. इससे उसके मानसिक विकास पर असर पड़ रहा था. एक अभिभावक डॉ मुक्ता गुप्ता बताती हैं कि उनके दो बच्चे हैं और शहर के बड़े स्कूल में पढ़ते हैं.
लॉकडाउन (lockdown ) के दौरान स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लास (online education) ली जाती थी. समर वेकेशन में भी स्कूल में बच्चों को बिजी रखने के लिए बहुत सारी एक्टिविटीज रखे थे. बच्चों को आर्ट एंड क्राफ्ट के काम भी दिए गए थे ताकि उनकी क्रिएटिविटी भी उभर कर सामने आए, लेकिन ये सारे काम ऑनलाइन होते थे.
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास (online education) की अपनी ही मुश्किलें थीं. इसमें हमेशा बच्चे इंगेज रहते थे और स्क्रीन पर ज्यादा देर तक नजरें टिकाए रखते थे. इससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ रहा था. बच्चे एक जगह कंसंट्रेट होकर नहीं बैठ पाते थे. इसीलिए स्टडी में फोकस नहीं कर पाते थे. बच्चे के साथ साथ पेरेंट्स को भी बैठना पड़ता था.
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उन्होंने कहा कि कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिसे प्रैक्टिकली ज्यादा अच्छे तरीके से सिखाया जाता है. कंप्यूटर और डाउट क्लीयरिंग ऑफलाइन (offline) ज्यादा बेहतर तरीके से सिखाये जा सकते हैं. ज्यादा समय तक अलग-थलग रहने की वजह से बच्चे में उदासी और थोड़ा थोड़ा डिप्रेशन भी देखने को मिल रहा था. अपने दोस्तों के साथ नहीं खेल पाने की वजह से उनमें चिड़चिड़ापन भी बढ़ गया था. लेकिन स्कूल खुल जाने के बाद जब एक बार फिर से स्कूल जाने लगे हैं तो उनका रूटीन वापस पटरी पर आ गया है. अब बच्चे भी खुश हैं और पेरेंट्स भी.
लीड के फाउंडर एवं सीईओ सुमित मेहता ने बताया कि इस बार चिल्ड्रंस डे (children's day) बहुत खास है, क्योंकि बच्चे अपने स्कूल में लौट आए हैं और अपने स्कूल के दोस्तों के साथ चिल्ड्रेंस डे ज्यादा अच्छे से मना सकेंगे. स्कूल बच्चों के लिए केवल पढ़ने लिखने और सीखने की ही जगह मात्र नहीं है, यहां पर वह अपने दोस्तों के साथ सोशलाइज होना सीखते हैं. स्कूल में उन्हें एक बड़ा दायरा मिलता है. यहां वह अपने दोस्तों के साथ खुलकर बातें कर सकते हैं. स्कूल में बच्चे एक-दूसरे से मिलते मिलते हैं जिसका उन्हें ओवरऑल पर्सनैलिटी डेवलपमेंट (personality development) में बड़ी भूमिका है.
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ऑनलाइन शिक्षा (online education) में इस तरह की सुविधाएं संभव नहीं थी. लगभग 18 से 20 महीने बाद बच्चे स्कूल जा रहे हैं तो पेरेंट्स को भी कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. कुछ बच्चों में सिपरेशन एंजायटी की समस्या हो सकती है. उनकी चिंता और परेशानियों को समझनी चाहिए और उन पर ध्यान देना चाहिए. कोरोना महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है इसकी भरपाई के लिए ब्रिज कोर्स (Bridge course) भी शुरू किए जाने चाहिए.