विनिर्माण कंपनियों में हायरिंग बढ़ी, बढ़ेंगे रोजगार : सर्वे

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Published : Jun 20, 2022, 7:19 PM IST

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विनिर्माण कंपनियों में फिर से उत्पादन बढ़ा है. उनकी डिमांड बढ़ी है. वे और अधिक लोगों को हायर कर रहे हैं. ये सभी ऐसे संकेतक हैं, जो यह दिखा रहे हैं कि कोविड काल से कंपनियां उबरने लगीं हैं. यह दावा एक सर्वे में किया गया है. हालांकि, कंपनियों की कई चिताएं भी हैं. मसलन, रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ती महंगाई.

नई दिल्ली : कोविड के समय में दो साल तक प्रभावित रहने के बाद इस साल जनवरी से जून के बीच विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों में विकास की रफ्तार फिर से पकड़ने लगी है. इन कंपनियों ने लंबे अंतराल के बाद लोगों को काम पर रखना शुरू कर दिया है. एक सर्वे ने यह दावा किया है.

उद्योग निकाय फिक्की द्वारा किए गए नवीनतम तिमाही सर्वेक्षण के अनुसार, सर्वे में भाग लेने वाले उत्तरदाताओं में से 55 फीसदी ने इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान उच्च उत्पादन की पुष्टि की है. वह भी 10% से अधिक की वृद्धि. पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में देखें, तो यह अच्छा ग्रोथ है.

पिछले छह महीनों के दौरान इन कंपनियों में हायरिंग में काफी सुधार हुआ है. सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 25 फीसदी निर्माण कंपनियां अक्टूबर-दिसंबर के बीच लोगों को नियुक्त करना चाहती हैं. इन कंपनियों ने अप्रैल से जून के दौरान अधिक ऑर्डर की बुकिंग की है.

सर्वेक्षण में मोटर वाहन, पूंजीगत सामान, सीमेंट, रसायन, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स, जूते, मशीन टूल्स, धातु और धातु उत्पाद, कागज उत्पाद, कपड़ा, खिलौने, टायर और विविध जैसे बारह प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया. सर्वेक्षण में 3 लाख करोड़ से अधिक के संयुक्त वार्षिक कारोबार के साथ बड़े और एसएमई दोनों क्षेत्रों की 300 से अधिक विनिर्माण इकाइयों को शामिल किया गया. बेहतर क्षमता उपयोग, जो कि बेहतर आर्थिक गतिविधि का एक स्पष्ट संकेतक है, इसकी बात करें तो अप्रैल-जून की अवधि में मामूली सुधार होकर 77 प्रतिशत हुआ. जबकि पिछली तिमाही में यह 75 प्रतिशत था.

40% कंपनियों ने अगले छह महीनों में क्षमता वृद्धि की योजना को लेकर उम्मीद रखी है. यानी वे पिछली तिमाहियों की तुलना में भविष्य के निवेश दृष्टिकोण में भी सुधार देख रहीं हैं. हालाँकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भारत सहित कई देशों में नए कोविड संक्रमणों की बढ़ती संख्या ने आगे के जोखिम भरे रास्ते को उजागर किया है.

यूरोप में युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित होने की वजह से ऊर्जा और अन्य जिंसों की कीमतें बढ़ गईं हैं. कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत, वित्त की बढ़ी हुई लागत, बोझिल नियम और मंजूरी, कार्यशील पूंजी की कमी, उच्च रसद लागत और ब्लॉक्ड शिपिंग लेन कुछ ऐसे कारक हैं जो विकास को प्रभावित कर रहे हैं. भारतीय विनिर्माण कंपनियों के मामले में, कम घरेलू और वैश्विक मांग, सस्ते आयात की उच्च मात्रा, अस्थिर बाजार, उच्च बिजली टैरिफ और कुशल श्रम की कमी के कारण अतिरिक्त क्षमता आर्थिक पुनरुद्धार को प्रभावित कर रही हैं.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि कुछ धातुओं की अस्थिर कीमतों और अन्य आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के साथ ये फैक्टर भारत में विनिर्माण कंपनियों की विस्तार योजनाओं को प्रभावित कर रहे हैं.

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