जब भारतीय पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति दोनों ने कहा कि इंदिरा नूई उनमें से एक हैं

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Published : Sep 26, 2021, 4:36 PM IST

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पेप्सिको की पूर्व अध्यक्ष और सीईओ भारतीय मूल की अमेरिकी इंदिरा नूई को 2009 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हुई मुलाकात याद है. यह काफी दिलचस्प मुलाकात थी.

वाशिंगटन : पेप्सिको की पूर्व सीईओ इंदिरा नूई कहती हैं कि मैं दोनों दुनियाओं से ताल्लुक रखती हूं. भारत के चेन्नई में जन्मी 65 वर्षीय नूई अपने नए संस्मरण माई लाइफ इन फुल : वर्क, फैमिली एंड अवर फ्यूचर में लिखती हैं कि नवंबर 2009 की यादगार घटना आज भी याद है. जब तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने अपने पहले राजकीय रात्रिभोज के लिए तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की मेजबानी की थी.

अगले मंगलवार को किताब के दुकान पर आने की जानकारी देते हुए नूई ने कहा कि किताब में उन घटनाओं का वर्णन किया है, जिन्होंने बचपन से लेकर पेप्सिको के सीईओ बनने तक के उनके जीवन को आकार दिया. एक ऐसी स्थिति जहां से वह 2018 में सेवानिवृत्त हुईं. 300 से अधिक पृष्ठों में यह संस्मरण समेटा गया है.

नूई कहती हैं कि वह नवंबर 2009 की एक धूमिल शाम थी. वाशिंगटन डीसी में दो दर्जन शीर्ष अमेरिकी और भारतीय व्यापारिक अधिकारियों के साथ घंटों की बैठकों के बाद मैंने खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री के बीच खड़ा पाया.

बराक ओबामा और मनमोहन सिंह हमारे समूह से मिलकर एक कमरे में प्रवेश कर गए. राष्ट्रपति ओबामा ने अपने भारतीय समकक्ष को अमेरिकी टीम का परिचय देना शुरू किया. जब वे मेरे पास आए तो बोले कि पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई हैं. तब प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि ओह! लेकिन वह हम में से एक है! इस पर प्रेसीडेंट ने एक बड़ी मुस्कान के साथ और जवाब दिया, आह, लेकिन वह हम में से भी एक है!

यह एक ऐसा क्षण था जब मैं दो महान देशों के नेताओं की सहज दयालुता को कभी नहीं भूल सकती. जिन्होंने मुझे इतना कुछ दिया है. नूई अपने संस्मरण में यह सब लिखती हैं. मैं अभी भी वह लड़की हूं जो भारत के दक्षिण में मद्रास में एक परिवार में पली-बढ़ी है. मैं अपनी युवावस्था के पाठों और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई हूं. मैं वह महिला भी हूं जो तेईस साल की उम्र में पढ़ाई और काम करने के लिए अमेरिका आई और एक प्रतिष्ठित कंपनी का नेतृत्व करने तक पहुंची.

इंदिरा नूई की किताब : माई लाइफ इन फुल
इंदिरा नूई की किताब : माई लाइफ इन फुल

एक यात्रा जो मुझे विश्वास है कि केवल अमेरिका में ही संभव है. मैं दोनों दुनिया से ताल्लुक रखती हूं, वह अपनी अप्रवासी कहानी सुनाते हुए लिखती हैं. बूज एलन हैमिल्टन में साड़ी पहने इंटर्न से लेकर पेप्सिको के सीईओ के पद तक पहुंचने तक नूई लिखती हैं कि जब से उन्होंने अपना पेशेवर करियर शुरू किया है, तब से अमेरिका में महिलाओं के लिए व्यापार की दुनिया में काफी सुधार हुआ है.

नूई लिखती हैं कि हाल ही में #MeToo आंदोलन और टाइम अप कैंपेन ने महिलाओं के यौन हिंसा और उत्पीड़न के स्तर को उजागर करने पर गहरा प्रभाव डाला है. वह देखती हैं कि आंदोलन और अभियानों ने जीवित बचे लोगों के लिए एक आवश्यक समुदाय बनाया है. मेरा कभी यौन शोषण नहीं हुआ.

मैंने कॉरपोरेट जगत में अपने शुरुआती दिनों में बहुत सारे पुरुष व्यवहार के बारे में देखा और सुना, जिसने मेरी शालीनता और मेरे मूल्यों को ठेस पहुंचाई. नूई लिखती हैं कि बाद में मैंने आक्रामक व्यवहार को देखते ही इसे बंद करना प्राथमिकता बना दिया.

नूई का कहना है कि पेप्सिको की अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अनुपालन विभाग को निर्देश दिया कि वे उनकी गुमनाम स्पीक अप लाइन पर की गई उत्पीड़न की शिकायतों का तुरंत समाधान करें. हम पुष्टि किए गए उत्पीड़कों को सजा देने की जल्दी में थे.

किताब में वह इस बात पर अफसोस जताती हैं कि अमेरिकी कॉरपोरेट बोर्ड की सीटों में महिलाओं के पास सिर्फ 26 फीसदी हिस्सेदारी है. मेरे विचार में कंपनियों को पन्द्रह वर्ष के बोर्ड सदस्यों की अवधि सीमा निर्धारित करने और बहत्तर वर्ष की अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु पर विचार करना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि तुरंत, वे योग्य लोगों के लिए जगह बनाने के लिए एक या दो सदस्यों द्वारा अपने बोर्ड का विस्तार कर सकते हैं जो कामकाजी महिलाओं और युवा परिवारों के मुद्दों को बेहतर ढंग से समझते हैं.

(PTI)

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