जापान के हवाई क्षेत्र में भारत-रूस संबंधों का सुखोई परीक्षण

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Published : Oct 4, 2021, 8:26 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 8:58 PM IST

सुखोई

16 विमानों का एक बेड़ा रविवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र (Taiwan airspace) के ऊपर गरजा. इन 16 विमानों में चार Su-30s, आठ J-16s (सुखोई-27 से डिज़ाइन किए गए), दो Y-8 पनडुब्बी हंटर और दो KJ-500 AEW&C शामिल थे.

नई दिल्ली : 16 विमानों का एक बेड़ा रविवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र (Taiwan airspace) के ऊपर गरजा. इन 16 विमानों में चार Su-30s, आठ J-16s (सुखोई-27 से डिज़ाइन किए गए), दो Y-8 पनडुब्बी हंटर और दो KJ-500 AEW&C शामिल थे.

इस तरह छह महीने से भी कम समय में भारतीय वायु सेना (IAF) के छह सुखोई -30 लड़ाकू विमान एक संयुक्त सैन्य अभ्यास में उत्तरी जापान तट के पास जापान वायु आत्मरक्षा बल (Japan Air Self-Defence Force) के F-15 ईगल लड़ाकू विमानों से लड़े.

यह पहली बार है जब JASDF को रूसी मूल के विमान के साथ क्षमताओं का मिलान करने का मौका मिला. IAF के अलावा Su-30, PLAAF और रूसी सेना में भी उपयोग किया जाता है. PLAAF ने लगभग 100 Su-30s तैनात किए हैं.

वास्तव में जापान के साथ एक दोस्ताना अभ्यास JASDF को सुखोई परिवार के अन्य विमानों के साथ-साथ Su-30 की बुनियादी ताकत और कमजोरियों से परिचित कराएगा.

प्रारंभ में कोमात्सु एयरबेस (Komatsu Airbase) में जून 2020 के लिए स्लेटेड, संयुक्त अभ्यास को बंद करने से पहले हयाकुरी एयरबेस (Hyakuri Airbase) में जुलाई 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

बता दें कि यह अभ्यास चल रही महामारी के कारण पहले ही दो बार स्थगित किया जा चुका है.

गौरतलब है कि यह अभ्‍यास ऐसे समय पर हो रहा है जब पूर्वी चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ क्रमश: जापान और भारत का तनाव काफी बढ़ा हुआ है.

विशेष रूप से जापान चीन या रूस के साथ मित्रवत होने से बहुत दूर है, जबकि जापान-चीन शत्रुता विरासत (Japan-China hostilities) के मुद्दे हैं और क्षेत्रीय असहमति सहित व्यापक-आधारित हैं. वहीं जापान के पास रूस के साथ भूमि क्षेत्रीय मुद्दे हैं.

जापान पहले ही पूर्वी चीन सागर में चीन (East China Sea) के सुखोई-30 लड़ाकू विमानों और विवाद के द्वीपों के पास रूस द्वारा हवाई शत्रुता का अनुभव कर चुका है.

हालांकि जापान एक शांतिवादी राष्ट्र है, जिसने अपने संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार युद्ध की निंदा की है, ऐसे संकेत बढ़ रहे हैं कि यह चीनी युद्ध की पृष्ठभूमि में सैन्य बलों को मजबूत कर सकता है.

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भारत-जापान सैन्य द्विपक्षीय संबंधों (India-Japan military bilateral ties) को विशेष रूप से 'क्वाड' के अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड्रीलैटरल सुरक्षा संवाद (Quadrilateral Security Dialogue ) की औपचारिकता के बाद काफी कर्षण प्राप्त हो रहा है, जिसे चीन विरोधी मंच पर एक समूह के रूप में समझा जाता है. वहीं रूस नवीनतम विकास पर कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह अभी देखना होगा.

ऐतिहासिक रूप से भारत और रूस घनिष्ठ सैन्य सहयोगी रहे हैं. भारतीय वायुसेना की सूची में भारत के परिचालन लड़ाकू विमानों का लगभग 70 प्रतिशत रूसी मूल का है, जिसमें सुखोई, मिग -21, मिग -27 और मिग -29 शामिल हैं, लेकिन माना जाता है कि हाल ही में अमेरिका के साथ भारत की तेजी से बढ़ती नजदीकियों के कारण संबंधों में एक आशंका पैदा हुई है.

दरअसल, अमेरिका ने अक्सर CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के प्रावधानों का हवाला देकर भारत द्वारा रूस से S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 air defence missile system ) खरीदने का जोरदार विरोध किया है.

अमेरिका भी अपनी ओर से रूसी हथियारों पर भारतीय निर्भरता को कम करने का इच्छुक रहा है और जापान अभ्यास के लिए सुखोई-30 विमान भेजने का नवीनतम कदम उस प्रयास को और गति देगा.

Last Updated :Oct 4, 2021, 8:58 PM IST
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