ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग पर शिवसेना का हमला- मुंह से झाग, किसके?

author img

By

Published : Sep 21, 2021, 10:54 AM IST

शिवसेना का हमला

'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने चंद्रकांत पाटील से पूछा कि आपको ईडी के बारे में इतना तजुर्बा कब से हो गया? आगे लिखा कि 'ईडी' के कारण किसी के मुंह से झाग निकलता है क्या? ये बाद में देखेंगे, परंतु महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार 'केंद्रीय' जोर लगाने के बाद भी गिर नहीं रही है.

मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के दुरुपयोग पर एक लेख लिखा है. शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार को गिराने की 'केंद्रीय' कोशिशों के बावजूद कुछ हासिल नही हो रहा इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों पर ईडी और सीबीआई के छापे डलवाने शुरु कर दिए हैं. इसके साथ-साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील खुलेआम कह रहे हैं कि ईडी और सीबीआई से लड़ते-लड़ते आपके मुंह से झाग आने लगेगा.

पाटील के इस बयान पर शिवसेना ने पलटवार किया है. 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने चंद्रकांत पाटील से पूछा कि आपको ईडी के बारे में इतना तजुर्बा कब से हो गया? आगे लिखा कि 'ईडी' के कारण किसी के मुंह से झाग निकलता है क्या? ये बाद में देखेंगे, परंतु महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार 'केंद्रीय' जोर लगाने के बाद भी गिर नहीं रही है इसलिए विपक्ष के मुंह से निकलने वाला झाग स्पष्ट दिखाई दे रहा है. शिवसेना ने पाटील और बीजेपी पर तंज कसा है.

'ईडी' और 'सीबीआई' जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां हमारी जेब में ही हैं और उनकी शह पर हम राजनीतिक विरोधियों को धमकी दे सकते हैं, ऐसा महाराष्ट्र के भाजपाई नेताओं को लगता है और वे लोग इसी तरह से धमकियों का सिलसिला चला रहे हैं. कुछ भी होने पर ये लोग सिर्फ 'ईडीट और 'सीबीआई' के नाम पर धमकी देते हैं. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील ने कोल्हापुर के हसन मुश्रीफ को धमकी दी है कि 'ईडी' से लड़ते समय मुंह से झाग आने लगेगा.

पाटील को 'ईडी' के बारे में इतना तजुर्बा कब से हो गया? हसन मुश्रीफ पर पूर्व सांसद सोमैया ने कुछ आरोप लगाए हैं. ये आरोप चंद्रकांत पाटील के कहने पर लगाए गए होंगे, ऐसा मुश्रीफ को विश्वास है क्योंकि आरोप लगानेवाले दोनों लोगों के ही मुंह में 'ईडी' का नाम है. मुश्रीफ मंत्री हैं और कोल्हापुर में उनका राजनीतिक दबदबा है. बीते विधानसभा चुनाव में कोल्हापुर में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया और चंद्रकांत पाटील को कोल्हापुर से भागकर कोथरुड जाकर चुनाव लड़ना पड़ा. कोथरुड में जीत हासिल करने के दौरान पाटील के मुंह से वैसे झाग ही झाग निकला था.

चुनावी अखाड़े में ऐसा होता ही है. सवाल ये न होकर केंद्रीय जांच एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग का है. 'ईडी' से लड़ते समय मुंह से झाग आएगा, चंद्रकांत पाटील का ऐसा कहना अहंकार है. 'हमारी 'ऊपर' सत्ता है, हम कुछ भी कर सकते हैं', ऐसी बातें पाटील इससे पहले कई बार कह चुके हैं. 'केंद्रीय जांच एजेंसियों के शस्त्र चलाकर हम विरोधियों की अंतड़ियां निकाल देंगे, बेजार कर देंगे.' यह उनकी नीयत है और महाराष्ट्र की परंपरा को अहंकार शोभा नहीं देता है. शरद पवार ने मृणाल ताई गोरे सभागृह के उद्घाटन के मौके पर ठीक यही दुख व्यक्त किया है.

पवार एकदम अतीत में गए और बोले कि उस दौर में कई बार विवाद हुआ. मृणाल ताई के रहने के दौरान सदन में कई बार विवाद होता था, परंतु वह राज्य के हित में होता था. एक सामंजस्यपूर्ण माहौल देखने को मिलता था. वह सामंजस्य आज देखने को नहीं मिलता है. अब अंतड़ियां निकालने की बात की जाती है. पवार की यह व्यथा उचित ही है. सामंजस्य खत्म हो गया है और राजनीति में द्वेष तथा अहंकार ने जगह ले ली है. महाराष्ट्र में भाजपाई लोग संसदीय लोकतंत्र के सभी चिह्नों को पैरों तले रौंद रहे हैं.

राज्य की पुलिस, जांच एजेंसियां, प्रशासकीय व्यवस्था पर अविश्वास दर्शाकर सीधे दिल्ली का कान खुजा रहे हैं. राज्यपाल से लेकर विपक्ष के नेता तक सभी लोग महाराष्ट्र सरकार को शत्रु मानकर बर्ताव कर रहे हैं. राज्य को खोखला करना है, राज्य का विकास रोकना है, बेबुनियाद आरोप लगाकर खलबली मचाना, यही उनकी नीति है। किसी मंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने कुछ गलत काम किया होगा तो राज्य में उसके लिए कानूनी हस्तक्षेप करनेवाला तंत्र मौजूद है.

पुलिस, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग, आर्थिक अपराध शाखा, लोकायुक्त उसके लिए हैं. परंतु विपक्ष सीधे 'ईडी' व 'सीबीआई' की धमकी देता है! चंद्रकांत दादा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं इसका भान उन्हें तो रखना चाहिए, लेकिन चंद्रकांत दादा का बर्ताव, बोलना व फड़फड़ाने को राज्य में कोई गंभीरता से नहीं लेता है. उनके मुंह से भाजपा के चीथड़े ही लटकते हैं या तो वे 'ईडी' या 'सीबीआई' जैसी संस्थाओं को बदनाम कर रहे हैं. इन संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा, ऐसा उनका बर्ताव है.

दूसरी एक गंभीर बात पाटील ने कही. वर्तमान सरकार के पास पैसे खाने का स्किल भी नहीं है. पाटील कहते हैं, वैसा स्किल पूर्व मंत्री की हैसियत से उनके पास है व इस संदर्भ में उन्होंने 'पीएचडी' की होगी इसलिए पाटील व अन्य पूर्व मंत्रियों द्वारा खाए गए पैसे का 'ईडी' को एक बार हिसाब लेना चाहिए और पहले की सरकार के मंत्रियों के मुंह से झाग निकालना चाहिए. खुद फडणवीस मुख्यमंत्री थे इसलिए राज्य का प्रशासन उन्हें पता है.

जिस प्रशासन के मार्फत उन्होंने राजकाज चलाया, वही प्रशासन आज भी है. उस पर प्रशासन के अधिकारी विपक्ष के नेता से गुप्त रूप से मिलते ही हैं, ऐसा धमाका भी उन्होंने ही किया था. फिर आए दिन 'ईडी', ‘सीबीआई’ की धमकी क्यों देते हैं? केंद्रीय जांच एजेंसियों का ये दुरुपयोग नहीं है तो क्या है? महाराष्ट्र के मंत्रियों पर, सरकार पर आरोप लगानेवालों को केंद्र सरकार तुरंत ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करके अपना ही उपहास करवाती है.

सत्य यह है कि ‘ईडी’ के कारण किसी के मुंह से झाग निकलता है क्या? ये बाद में देखेंगे, परंतु महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ‘केंद्रीय’ जोर लगाने के बाद भी गिर नहीं रही है इसलिए यहां के विपक्ष के मुंह से निकलनेवाला झाग स्पष्ट दिखाई दे रही है. भाजपा के पूर्व सांसद सोमैया के आरोप व बातें नागपुर की गोटमारी जैसी ही है. जिन पर आरोप लगाया जाता है उनमें से कई लोगों ने उन्हें कोर्ट में खींचा है. कोल्हापुर के पहलवान खिलाड़ी मुश्रीफ तो किसी की नहीं सुनेंगे.

सोमैया कोल्हापुर में पहुंच ही गए होते तो वह कोल्हापुर के देवताओं पर भी आरोप लगा देते. वे उठते-बैठते, जागते-सोते आरोप लगाते हैं इसलिए कानून-सुव्यवस्था और पुलिस पर दबाव बढ़ता है. मुंबई में आतंकवादियों का नेटवर्क पकड़ा गया है. मुंबई लोकल में जहरीली गैस छोड़ने की आतंकियों की साजिश थी. पुलिस उसकी जांच में जुटी है. उसी दौरान विपक्ष राज्य में अलग ही सवाल खड़े करके पुलिस के तनाव को बढ़ा रही है. विरोधियों द्वारा निर्माण की गई दुर्गंध से ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकेगा. विरोधियों को राज्य की जनता के जीवन से खेलना है क्या? ऐसा एक बार वे घोषित कर दें, मतलब हो गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.