अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का निर्णय राज्यों, हितधारकों से चर्चा के बाद लिया जाएगा : केंद्र

author img

By

Published : May 10, 2022, 6:39 AM IST

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश दिए थे. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई भी निर्णय राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा.

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई भी निर्णय राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा. शीर्ष अदालत ने पूर्व में केंद्र को एक याचिका का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था, जिसमें राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 सी के तहत छह समुदायों को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया है. हलफनामे में कहा गया, 'रिट याचिका में शामिल प्रश्न के पूरे देश में दूरगामी प्रभाव हैं और इसलिए हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बिना लिया गया कोई भी कदम देश के लिए एक अनपेक्षित जटिलता पैदा कर सकता है.'

हलफनामे के मुताबिक, 'अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है, लेकिन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले रुख को राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.' मंत्रालय ने कहा कि यह सुनिश्चित करेगा कि केंद्र सरकार इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दे के संबंध में भविष्य में किसी भी अनपेक्षित जटिलताओं को दूर करने के लिए कई सामाजिक, तार्किक और अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष एक सुविचारित दृष्टिकोण रखने में सक्षम हो.

10 मई को होगी सुनवाई : शीर्ष अदालत मामले पर 10 मई को सुनवाई करेगी और उसने केंद्र सरकार को अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर अपना रुख रिकॉर्ड पर रखने को कहा है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पूर्व में शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य सरकारें संबंधित राज्य के भीतर हिंदुओं सहित किसी भी धार्मिक या भाषाई समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.

मंत्रालय ने यह भी कहा था कि क्या हिंदू धर्म, यहूदी धर्म और बहावी धर्म के अनुयायी उक्त राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन कर सकते हैं तथा राज्य के भीतर अल्पसंख्यक के रूप में उनकी पहचान से संबंधित मामलों पर राज्य स्तर पर विचार किया जा सकता है. उपाध्याय ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम, 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि यह केंद्र को असीमित शक्ति देता है और उन्होंने इसे 'साफ तौर पर मनमाना, तर्कहीन' करार दिया. अधिनियम की धारा 2 (एफ) केंद्र को भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान करने और उन्हें अधिसूचित करने का अधिकार देती है.

पढ़ें- राज्य भी धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकते हैं : केंद्र

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.