Prayagraj Magh Mela : प्रयागराज के माघ मेले में कौन बांट रहा था इस्लामिक किताबें, कहां से हो रही थी फंडिंग, यहां जानें सब कुछ

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Published : Jan 18, 2023, 7:21 AM IST

माघ मेले में कौन बांट रहा था इस्लामिक किताबें

Prayagraj Magh Mela क्षेत्र में इस्लामिक किताबें बांटने में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें मुख्य आरोपी मदरसे का शिक्षक है, जिसके खाते में अबुधाबी से रकम भेजी गई है.

प्रयागराज के माघ मेले में इस्लामिक किताबें बांटने वालों की गिरफ्तारी के संबंध में जानकारी देते एडिशनल डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र

प्रयागराज: माघ मेले में इस्लाम से जुड़ी किताबों के बेचे जाने के मामले में पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है. मेला क्षेत्र में बांटी और बेची जा रहीं इस्लाम से जुड़ी किताबों के लिए विदेश से भी फंडिंग किए जाने के संकेत मिले हैं. पुलिस के मुताबिक हिंदुओं के धार्मिक मेले और मंदिरों के आसपास ये लोग इस्लाम का महिमा मंडन करने वाली किताबों को बेचने के साथ ही मुफ्त में भी वितरित करते थे.

गरीबों को निशुल्क किताबें देने के साथ ही उनकी तस्वीर के साथ डिटेल्स लेते थे. जिसके बाद लोगों से संपर्क कर उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराते थे. इसके लिए उनके पास दूसरे देशों से भी फंड आता था. पुलिस ने इस मामले में मेला क्षेत्र में धार्मिक किताबे बांटने और बंटवाने के काम में लिप्त तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही उनके कब्जे से चार सौ से अधिक पुस्तकें जब्त की हैं.

प्रयागराज में चल रहे आस्था के सबसे बड़े माघ मेले में फुटपाथ व ठेले पर धार्मिक साहित्यों को बेचने की आड़ में इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जा रहा था. मेला क्षेत्र से पकड़े गए दो युवक इस्लाम का महिमा मंडन करने वाली किताबों को मेला क्षेत्र में गरीबों को बांट रहे थे. इस दौरान ये लोग जिन गरीबों को निशुल्क किताबें देते थे उसकी तस्वीर के साथ ही डिटेल्स ले लेते थे. जिसके बाद उनसे संपर्क करके उन्हें इस्लाम से जोड़ने का प्रयास करते थे. एडिशनल डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि पकड़े गए तीन आरोपियों का सरगना मदरसे का शिक्षक महमूद हसन गाजी है, जो युवाओं को पांच हजार रुपए महीना देकर उनसे किताबों का वितरण व बिक्री का काम करवाता था.

बड़े मंदिर और मेले में बांटते थे किताबें

प्रयागराज के एडिशनल डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि ये लोग माघ मेले के अलावा लेटे हुए हनुमान मंदिर के आसपास किताब बांटते थे. ये लोग वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और अस्सी घाट पर किताबों को मुफ्त में बांटने जाते थे. उन्होंने बताया कि पकड़े गए तीन लोगों में एक मदरसे का शिक्षक है जो किताबों को बांटने के साथ ही उन्हें छपवाने और मंगवाने का काम करता था, जिसके बदले उसके खाते में अबुधाबी से फंड आता था. पुलिस को शुरुआती जांच में इसकी जानकारी मिली है.

केंद्रीय जांच एजेंसियां भी कर सकती हैं मामले की पड़ताल

एडीसीपी क्राइम का कहना है कि इस पूरे मामले की जानकारी केंद्रीय जांच एजेंसी को दी जाएगी. क्योंकि अभी तक पुलिस की पड़ताल में इनका कनेक्शन अबुधाबी से निकलकर सामने आया है, जहां से इनकी फंडिंग होती थी. इन लोगों का और किन किन देश से संबंध है, इसकी जांच केंद्रीय जांच एजेंसियां ही करेंगी. इस पूरे मामले की जानकारी एटीएस को भी दी जाएगी. पुलिस ने पकड़े गए लोगों के मोबाइल को कब्जे में लिया है उसकी जांच कर रही है. इसके साथ ही उनके मोबाइल में जो नंबर मिलेंगे उनकी पड़ताल की जाएगी. कॉल डिटेल के सहारे यह भी पता लगाया जाएगा कि उनके संपर्क में और कौन लोग हैं.

मदरसे का शिक्षक है मुख्य आरोपी

पुलिस की अभी तक कि पड़ताल में पता चला है कि गिरफ्तार अभियुक्तों में मुख्य आरोपी मदरसे का शिक्षक महमूद हसन गाजी है, जो बदमें पैगामे बहदानियत संस्था का अध्यक्ष है. इसके साथ ही वो पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र के इस्लामिया हिमदादिया मदरसे का शिक्षक है. उसके द्वारा ही इन पुस्तकों को मेला क्षेत्र में बंटवाया जा रहा था. किताबों में इस्लाम धर्म का महिमा मंडन करते हुए उसको बढ़ाचढ़ा कर दिखाया गया है. यही नहीं हिन्दू धर्म की उपेक्षा की गयी है. किताबों के लेखकों और प्रिंटर का भी गलत नाम अंकित करवाया गया है. पुलिस ने इस मामले में मदरसे के शिक्षक महमूद हसन गाजी के अलावा मो. मोनिश उर्फ आशीष गुप्ता व समीर उर्फ नरेश सरोज को गिरफ्तार किया है. समीर और मोनिश दोनों पहले हिन्दू थे और उन्होंने भी इसी तरह से इस्माल धर्म को अपनाया था. मोनिश आईएसओआ स्टुडेन्ट इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन का पूर्वी यूपी का जोनल सचिव भी है.

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