Between Government And Judiciary : सरकार और न्यायपालिका के बीच नकारात्मक चर्चा से बढ़ेगा संघर्ष: संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह

Between Government And Judiciary : सरकार और न्यायपालिका के बीच नकारात्मक चर्चा से बढ़ेगा संघर्ष: संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह
सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बारे में ईटीवी भारत के गौतम देबरॉय से बात करते हुए, संवैधानिक विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, सत्य प्रकाश सिंह ने कहा कि चर्चा के दौरान, विचारों में मतभेद होना चाहिए. लेकिन मतभेद को नकारात्मक तरीके से विकसित नहीं कर सकते अन्यथा इसका परिणाम सत्ता के लिए संघर्ष होगा.
नई दिल्ली: सरकार और न्यायपालिका के बीच जारी खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ वकील सत्य प्रकाश सिंह ने कहा है कि 'सरकार और न्यायपालिका के बीच बहस और चर्चा हो सकती है और अगर चर्चा सही दिशा में हो, नकारात्मक चर्चा से संघर्ष बढ़ेगा. ईटीवी से बात करते हुए भरत सिंह ने भारतीय संविधान, लोकतंत्र, न्यायपालिका और इसके लोगों के सार के बारे में बात की. जब मैं जीवित उद्देश्य कहता हूं, तो इसका मतलब है कि एक चर्चा है.
सिंह ने वर्तमान झगड़े का जिक्र करते हुए कहा कि चर्चा के दौरान, विचारों में मतभेद होना चाहिए. लेकिन आप एक नकारात्मक तरीके से मतभेद विकसित नहीं कर सकते. यदि यह नकारात्मक अर्थ में जा रहा है तो सत्ता के लिए संघर्ष होगा. विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने जज की नियुक्ति से जुड़े रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया. यह कहते हुए कि भारतीय न्याय प्रणाली की दुनिया भर के देशों द्वारा सराहना की जाती है, सिंह ने कहा कि भारतीय न्यायिक प्रणाली बहुत स्पष्ट है. और यह संवैधानिक भावना के उच्च मूल्यों को गति दे रही है.
उन्होंने कहा कि कभी-कभी न्यायपालिका सरकार की सराहना नहीं करती लेकिन इसका मतलब सरकार को नुकसान पहुंचाना नहीं है. यह स्वीकार करते हुए कि न्यायपालिका और सरकार के बीच संघर्ष हो सकता है, सिंह ने कहा कि सकारात्मक संघर्ष देश में जीवित संरचनाओं का उदाहरण है. संवैधानिक भावना के खिलाफ जाने वाली सरकार की आलोचना होगी. यह हमेशा होगा. उन्होंने सुझाव दिया कि संविधान की उपलब्धि और इस देश की मूलभूत संरचनाओं पर विधायकों का नियमित शिक्षण होना चाहिए.
सिंह ने कहा कि प्रत्येक पार्टी को यह समझना चाहिए कि वे तानाशाही का रवैया नहीं अपना सकते क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जैसा कि भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई अन्य देशों जैसे लैटिन अमेरिका, और यहां तक कि कई एशियाई देशों में उथल-पुथल देखी जा रही है, लेकिन जहां तक भारत का संबंध है, यह उतना ही मजबूत है जितना पहले था. सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान का समग्र प्रभाव यह है कि संविधान की मूल संरचना को बदला नहीं जा सकता है.
अब, सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसकी पुष्टि की है. इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि संविधान की मूल संरचना भाईचारा, स्वतंत्रता और स्वतंत्रता है, सिंह ने कहा कि यह केवल एक नारा नहीं है, बल्कि ये वास्तविक आधार है जिसपर भारतीय लोकतंत्र मौजूद है. भारतीय संविधान समावेशी और स्थिर है.
