कोरोना वायरस : आयात-निर्यात पर पाबंदी से कृषि क्षेत्र पर छा सकता है संकट

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Published : Mar 18, 2020, 6:26 PM IST

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पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से दहशत का माहौल है. आयात-निर्यात पर भी पाबंदी लगाई जा रही है. ऐसे में बड़ा संकट कृषि क्षेत्र पर पड़ने की आशंका है. अगर समय पर बीज नहीं मिला, तो किसानों की आर्थिक दशा और भी खराब हो सकती है. क्या पड़ेगा असर, आइए इस पर डालते हैं एक नजर...

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दहशत का माहौल बना दिया है. क्योंकि यह बीमारी लोगों के संपर्क में आने से तेजी से फैलता है, लिहाजा हर देश अपने आप को एक दूसरे से अलग करने की कोशिश में लगा हुआ है. आयात-निर्यात पर भी पाबंदी लगाई जा रही है. ऐसे में बड़ा संकट कृषि क्षेत्र पर पड़ने की आशंका है. बीजों की आपूर्ति आने वाले समय में बड़ी समस्या हो सकती है. अगर समय पर बीज नहीं मिला, तो किसानों की आर्थिक दशा और भी खराब हो सकती है. क्या पड़ेगा असर, आइए इस पर डालते हैं एक नजर.

कोरोना वायरस पूरी मानवता के लिए घातक चुनौती बनकर आया है. कोविद 19 दुनिया के अधिकांश हिस्से में दस्तक दे चुका है. अर्थव्यवस्था के लगातार गिरने की वजह से चिंताएं बढ़ गई हैं. मीडिया से मिल रही जानकारी के आधार पर इसे महसूस किया जा सकता है. कोरोना वायरस की दहशत के दौर में छींकना और खांसी भी निंदनीय माना जाने लगा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य देशों की तरह भारत ने भी इसके प्रसार को रोकने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए हैं. फिर भी खतरा मंडरा रहा है. चीन जैसी बड़ी विश्व शक्ति इसकी चपेट में आ चुका है. ईरान में तबाही मची है. आशंका है कि कहीं यह सार्क देशों पर हमला ना कर दे. और ऐसा होता है कि भारत में बड़ी तबाही आ सकती है.

इस खबर के आते ही काला बाजारी भी शुरू हो चुकी है. मास्क, साबुन, सैनिटाइजर, कीटाणुनाशक की कीमतें बढ़ चुकी हैं. कई लोगों ने इसकी होर्डिंग कर ली है. कुछ जगहों पर इसकी गुणवत्ता सही नहीं पाई गई है. सीओवीआईडी ​​-19 के डर ने भारत और दुनिया को अपने नियंत्रण में ले लिया है. कोरोना वायरस ने दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा प्रस्तुत कर दिया है. बहुत जल्द ही आवश्यक दवाओं, खाद्य पदार्थों इत्यादि की भी काला बाजारी होने की आशंका है. अगर मौत की दरें बढ़ीं तो ये सब हो सकता है. कहीं ऐसा ना हो कि कृषि क्षेत्र और बीजों पर कोरोना का असर दिखने लगे.

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कृषि हमारे अस्तित्व की रीढ़ है. आज की हमारी अधिकतर कृषि गुणवत्ता के बीज और वैश्विक स्तर पर संगठित बीज क्षेत्र पर निर्भर करती है. हमारे खाद्य उत्पादन भी मानव संसाधन या कृषि श्रम की उपलब्धता और कृषि उत्पादों की मुफ्त आवाजाही पर निर्भर है. इनमें बीज, उर्वरक, आदि शामिल हैं, जो इस समय प्रतिबंधित हैं. अमेरिका ने यूरोपीय संघ के बाद उसकी सीमा को बंद कर दिया है और अब दुनिया वीजा रद कर रही है और लोगों के आंदोलन को प्रतिबंधित कर रही है. यहां तक ​​कि देशों के भीतर, लोग बाहर उद्यम करने से डरते हैं और विशेष रूप से भीड़ भरे स्थानों से बच रहे हैं. वियतनाम से लेकर इटली तक स्कूल बंद हैं और सड़कें सुनसान हैं. वर्तमान परिवेश ने खेत की उपलब्धता कम की है. इस मौसम में मजदूरी में बढ़ोतरी होगी और खाद्य पदार्थों के उत्पादन की लागत बढ़ सकती है. यह खतरा पॉल्ट्री क्षेत्र में और भी अधिक है. दिल्ली में चिकन की कीमतें भी कम हो गई हैं. खेत मजदूर पॉल्ट्री फार्मों पर काम करने के लिए अधिक अनिच्छुक होंगे. उनके अंदर भय व्याप्त है.

वैश्विक बीज क्षेत्र उत्पादन क्षेत्रों की वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर निर्भर है और कोई भी देश अपने आप में बीज संप्रभु नहीं है. बंदरगाहों और बीज लदान की कमी से इस साल के अंत तक कृषि उत्पादकता को पटरी से उतार सकती है. दुनियाभर में मार्च और अप्रैल वसंत फसलों जैसे मक्का, सूरजमुखी, सोयाबीन, कैनोला, वसंत गेहूं और जौ, खुले क्षेत्र की सब्जियां, आदि भूमध्य रेखा के उत्तर में और दक्षिण में शरद ऋतु की फसलों के रोपण के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है. भारत में भी, हम जल्द ही जायद मौसम की फसलों की बुवाई देखेंगे. यदि किसानों को देरी हो रही है या क्योंकि बीजों की देरी से डिलीवरी या बिल्कुल भी बीज नहीं है, तो हम संभवतः इस साल के अंत में एक गंभीर भोजन और चारा की कमी और खाद्य मूल्य में वृद्धि देख सकते हैं.

वैसे राहत की बात ये है कि इंटरनेशनल सीड फेडरेशन ने यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण, सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, और बुंडेसइंस्टीट्यूट फॉर रिशिकोबेवर्टंग का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में कोई सबूत नहीं है कि बीज सहित भोजन वायरस के संचरण का एक संभावित स्रोत या मार्ग है. सतहों के माध्यम से संचरण संभव है. खासकर जो वायरस से दूषित हो गया है. स्मीयर संक्रमण के माध्यम से भी खतरा है. यह केवल कंटेमिनेशन के बाद कम अवधि के दौरान होने की संभावना है. पर्यावरण में कोरोना वायरस ज्यादा देर तक नहीं टिकता है. इसका ये मतलब नहीं है कि बीज से बीमारी नहीं फैल सकती है, हमें सावधान रहने की जरूरत है.

ये कठिन समय है. हमें साहस बनाए रखना है. सच्चाई का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. हमें वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि कोविद 19 किसी अन्य वीभत्स रूप में विकसित न हो. जो न केवल हमारे स्वास्थ्य बल्कि हमारी कृषि के लिए भी खतरा हो सकता है. भारत सरकार और दुनिया की अन्य सरकारों को बीज सहित कृषि उत्पादों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. बीज कंपनियों और निर्यातकों को शिपमेंट में शामिल श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. बड़े पैमाने पर शिपमेंट और लोगों की स्क्रीनिंग के काम के कारण पोर्ट अधिकारियों के लिए आगे आने वाले महीने चुनौती भरे होंगे. उन्हें सहायता की जरूरत है. वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए नवीनतम डब्ल्यूएचओ निर्देशों को प्रसारित किया जाना चाहिए और लोगों और श्रमिकों को उनके बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. बीज लदान में वैसे भी वायरस फैलने का बहुत कम जोखिम होता है और इसलिए इसे रोका या विलंब नहीं किया जाना चाहिए. संकट के इस समय में दुनिया को एक साथ आना होगा और न केवल कोरोना वायरस से लड़ना होगा, बल्कि उससे सावधान भी रहना होगा.

(लेखक- इंद्रशेखर सिंह, पॉलिसी एंड आउटरिच, नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया के निदेशक)

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