ध्यान से चुनें रेवेन्यू गारंटी पॉलिसी, जो जरूरत पड़ने पर बने मददगार

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Published : Mar 23, 2022, 4:38 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 5:11 PM IST

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अगर हम किसी स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं तो यह जानना जरूरी है कि हमारा इन्वेस्टमेंट परफॉर्म कर रहा है या नहीं. क्या हम निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? क्या हमें इन्वेस्टमेंट लिस्ट में चेंज करने की जरूरत है? ऐसे सभी सवालों का जवाब जानना हमेशा जरूरी होता है. वक्त के साथ अपने उद्देश्यों के मुताबिक स्कीम का चयन करने की जरूरत होती है. जीवन के बदलते मोड़ पर आपको सुरक्षित, आय की गारंटी वाली योजनाओं की आवश्यकता हो सकती है. यह जानने की जरूरत है कि ये किन मामलों में मददगार हैं, तभी आप इनका लाभ उठा सकते हैं.

हैदराबाद: 'गारंटीड इनकम स्कीम' (guaranteed income scheme) कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसने साथ लाइफ इंश्योरेंस भी कवर होता है. साथ ही, इन स्कीम में पहले से पता होता है कि एक समय के बाद कितना पैसा मिलेगा. यानी पैसे के बढ़ने की गारंटी भी होती है. ऐसी स्कीम रिस्क से भी बचाती है, इसलिए जो लोग जोखिम बिल्कुल भी लेना नहीं चाहते हैं और नियमित प्रीमियम जमा करने पर निश्चित रिटर्न की उम्मीद करते हैं, उन्हें गारंटी रिटर्न वाली स्कीम में निवेश करना चाहिए. जो लोग अपने निवेश में जोखिम ले सकते हैं वे भी इनकम गारंटी स्कीम चुन सकते हैं क्योंकि इससे थोड़ा अधिक रिटर्न मिल सकता है.

इनकम डेफिसिट रिप्लेसमेंट (Income deficit replacement) : रिटायरमेंट के बाद अमूमन इनकम घट जाती है, इसलिए रिटायर होने के बाद भी रेग्युलर इनकम की व्यवस्था करनी चाहिए।. रेवेन्यू गारंटी योजनाओं के बारे में कहा जाता है कि ये आपकी बेसिक इनकम के पूरक होते हैं और परिवार की जरूरतों को पूरा करते हैं. इसका नतीजा यह है कि रिटायरमेंट के बाद भी पर फाइनेंशियल प्रेशर कम रहता है.

इन पॉलिसियां आपकी जरूरतों और फाइनेंशियल गोल को पूरा कर सकती हैं. इन पॉलिसीज में प्रीमियम भुगतान अवधि, प्रीमियम जमा करने का प्रोसेस और संभावित आय की पूरी जानकारी होती है, इसलिए अपने विवेक के आधार पर पॉलिसी का चुनाव करें. आवश्यकता पड़ने पर इससे होने वाली इनकम से बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी और अन्य महत्वपूर्ण काम को निपटाने में मदद मिलती है.

यह कैसे काम करता है: पहले यह तय करने की आवश्यकता है कि आप कब पॉलिसी से पैसा कब वापस लेना चाहते हैं. पॉलिसी की वैल्यू की गणना पॉलिसीधारक की उम्र के आधार पर की जाती है. फिर संभावित रिटर्न के आधार पर प्रीमियम की दर होती है. कई पॉलिसी फ्लेक्सिबल होती हैं, इसके हिसाब से भी रिटर्न प्रभावित होता है जबकि कुछ कुछ पॉलिसियों में आय फिक्स होती हैं. कुछ मामलों में समय के साथ इनकम में एक निश्चित प्रतिशत की वृद्धि होती है.

अतिरिक्त व्यय (Additional Expenses) : अगर वर्तमान में आपकी इनकम दैनिक खर्चों के लिए पर्याप्त है तो भविष्य की जरूरतों के बारे में सोचें. अगर भविष्य में बड़ा खर्च सामने आ गया तो क्या करेंगे. कर्ज हर मर्ज का इलाज नहीं है, क्योंकि उसे चुकाना भी होता है. हेल्थ इमरजेंसी में इलाज के लिए आवश्यक राशि की जरूरत होती है. ऐसे हालात में रेवेन्यू गारंटी पॉलिसी मदद करती है. इसकी मदद से हमेशा जीवन स्तर को बनाए रखने में सक्षम रहेंगे. अनहोनी होने पर नॉमिनी या परिवारवालों को मुआवजा मिलता है, इसलिए रेवेन्यू गारंटी पॉलिसी में निवेश के बारे में जरूर सोचें.

इक्विटी मार्केट में अनिश्चितता कब और कैसे खत्म होगा, यह कहना असंभव है, इसलिए बाजार आधारित स्कीम में सुनिश्चित रिटर्न में भी अनिश्चितता बनी रहती है. याद रखें रेवेन्यू गारंटी पॉलिसी में बाजार से संबंधित उतार-चढ़ाव नहीं होते हैं. पॉलिसी में आय की गारंटी होती और पेमेंट भी रेग्युलर मिलता है.

जब आप लंबे समय में इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आप बीमा योजनाओं का विकल्प चुन सकते हैं, जो रिटर्न की गारंटी देती हैं. इन पॉलिसी में मैच्युरिटी पर प्राप्त लाभ आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) के तहत टैक्स में छूट भी मिलती है.

बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य एजेंसी अधिकारी समीर जोशी के अनुसार, हम देख सकते हैं कि महंगाई कैसे बढ़ रही है. महंगाई के कारण हमारे पैसे का अवमूल्यन हो रहा है. रोजमर्रा की जिंदगी में लागत बढ़ रही है. यदि भविष्य में भी बेहतर जीवनस्तर बनाए रखना है तो इनकम बढ़ाने की आवश्यकता होगी. यह इनकम प्लान आपकी हमेशा मदद करेगा.

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Last Updated :Mar 23, 2022, 5:11 PM IST
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