सूरजपुर जिले के बलरामपुर गांव के लोग हर रोज क्यों चलते हैं कई किलोमीटर

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Published : Mar 6, 2022, 11:53 AM IST

Updated : Mar 6, 2022, 1:24 PM IST

drinking Water problem in Pando dominated area of ​​Surajpur

Water shortage in Surajpur during summer: सूरजपुर जिले के बलरामपुर गांव के लोग जिला प्रशासन और एसईसीएल के बीच फंस गए हैं उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही है.

सूरजपुर: गर्मी की शुरुआत होते ही जिले में पीने के पानी की समस्या शुरू हो गई है. जिले के बलरामपुर इलाके में ग्रामीण दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इस गांव के लोग कई किलोमीटर दूर जाकर तालाब से पानी लाते हैं और उसी गंदे पानी को पीते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 6 बोर करवाएं गए लेकिन एक से भी पानी नहीं आता. जिससे उन्हें गंदे पानी के भरोसे ही रहना पड़ता है. बारिश के दिनों में समस्या और बढ़ जाती है जब पानी मटमैला हो जाता है. जिससे पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है.

सूरजपुर में गर्मी के दिनों में पानी की कमी

एक समय बलरामपुर गांव में एसईसीएल ने लोंगवाल सिस्टम से कोयला उत्पादन के मामले में रिकॉर्ड बनाया था. लेकिन आज इलाके के लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है. इसकी सबसे बड़ी वजह एसईसीएल की उदासीनता है. एसईसीएल ने इस क्षेत्र से कोयले का उत्पादन कर पूरी जमीन को खोखला कर दिया है. जिसकी वजह से यहां किसी भी हैंडपंप से पानी नहीं निकलता है. किसी हैंडपंप से पानी निकल भी गया तो वह पीने लायक नहीं रहता. यहीं वजह है कि इस गांव के लोगों को हर रोज कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है.

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सूरजपुर में पीने के पानी की समस्या

ग्रामीणों ने स्थानीय सरपंच से लेकर कलेक्टर तक गुहार लगाई है. बावजूद इसके पीने के पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में पानी और बिजली प्रमुख समस्या है. गर्मी के समय में किसी तरह दूर दराज जाकर पानी ले भी आ रहे हैं लेकिन बारिश में पानी मटमैला हो जाता है. जिससे पीने की पानी की समस्या और बढ़ जाती है. लेकिन कोई उनकी परेशानी की तरफ ध्यान देने वाला नहीं हैं. पानी और बिजली की समस्या से ग्रामीणों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है और उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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सूरजपुर के पंडो बहुल इलाके में मूलभूत सुविधाओं की कमी

एक तरफ बलरामपुर गांव के ग्रामीण पीने के पानी के लिए परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन और एसईसीएल विभाग एक दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. एसईसीएल के अनुसार पीने की पानी की व्यवस्था कराना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है तो वहीं जिले के कलेक्टर के कलेक्टर गौरव कुमार सिंह का कहना है कि 'वो इलाका एसईसीएल क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इसलिए पानी की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी एसईसीएल की है'.

पानी की किल्लत से जूझता ये गांव राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो बहुल इलाका है. इस जनजाति के उत्थान के लिए हर साल राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. बावजूद इसके इस जनजाति के लोगों की वास्तविक स्थिति क्या है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

Last Updated :Mar 6, 2022, 1:24 PM IST
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