hamar clinic in chhattisgarh: अंबिकापुर में हमर क्लीनिक बनकर तैयार, जानिए क्यों पड़ी जरूरत

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Published : Sep 29, 2022, 2:43 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

अंबिकापुर में हमर क्लीनिक बनकर तैयार

hamar clinic in chhattisgarh अम्बिकापुर में प्रदेश का पहला हमर क्लीनिक अगले सप्ताह शुरू करने की तैयारी है. क्लीनिक का काम लगभग पूरा हो गया है. शहरी लोगों को विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से हमर क्लीनिक खोला जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल यह है की तमाम सीएचसी पीएचसी की सुविधाओं के बीच नए हमर क्लीनिक की जरूरत क्यों पड़ रही है?

सरगुजा : छत्तीसगढ़ का पहला हमर क्लीनिक लगभग तैयार (hamar clinic in chhattisgarh) है. अम्बिकापुर के भगवानपुर में इसे बनाया गया है. स्वास्थ्य विभाग अगले सप्ताह तक इस क्लीनिक के शुभारंभ की तैयारियों में जुट गया है. हमर क्लीनिक दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर शुरु होते दिख रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ के हमर क्लीनिक का स्वरूप बिल्कुल अलग होगा. छत्तीसगढ़ के क्लीनिक कहीं बड़े और बेहतर होंगे. इस पर पूरा नियंत्रण स्वास्थ्य विभाग का ही होगा. CHC, PHC के पुराने सेटअप के बाद भी आखिर हमर क्लीनिक जैसी जरूरत क्यों पड़ रही है. इस बात की भी पड़ताल हमने की है. अम्बिकापुर शहर में अब तक 16 हमर क्लीनिक स्वीकृत हैं. हमर क्लीनिक से शहरी लोगों को कम दूरी में, कम समय में, बेहतर निशुल्क इलाज देने की योजना है. इसलिए इसमें शाम की ओपीडी पर विशेष ध्यान दिया गया है.



ग्रामीण के बाद शहर पर फोकस : अब तक आपने ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे अस्पताल देखे होंगे. उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से शासकीय स्वास्थ्य सुविधा मिलती थी. इसके बाद गंभीर बीमारियों के लिये जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज असपतालों में रेफर किये जाते थे. इस स्वरूप में शहर में सिर्फ जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के साथ कुछ शहरी स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधा होती थी.


बड़े अस्पताल का भार होगा कम : वर्षों से देखा गया कि जिला अस्पताल में लोड काफी अधिक रहता है. भीड़ इतनी अधिक होती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है. बीमारियों के सीजन में बेड कम पड़ जाते हैं. जबकि इस भीड़ में बहुत से ऐसे मरीज होते हैं, जिन्हें जिला अस्पताल आने की जरूरत ही नहीं होती. वो छोटे से स्वास्थ्य केंद्र में अपना इलाज करा सकते हैं. लेकिन उपलब्धता नहीं होने की वजह से जिला अस्पताल आना उनकी मजबूरी होती थी.



शाम को चालू रहेगी ओपीडी : अब हमर क्लीनिक के माध्यम से मरीज अपने घर के आसपास ही इलाज और जांच करा सकेंगे. हमर क्लीनिक में ही जांच का सेम्पल लिया जाएगा. सेम्पल की जांच के बाद रिपोर्ट ऑनलाइन उसी हमर क्लीनिक से दे दी जायेगी. इसके साथ ही हमर क्लीनिक में एक एमबीबीएस डॉक्टर, नर्स, सहित अन्य स्टाफ रहेंगे. बड़ी बात यह होगी की इस क्लीनिक में सुबह के अतिरिक्त शाम को भी ओपीडी चालू रहेगी. शाम 5 से रात 8 बजे तक हमर क्लीनिक में लोग ओपीडी का लाभ ले सकेंगे.



प्राइवेट अस्पताओं से निजात : शहरी जीवन ग्रामीण जीवन से अलग होता है. शहर में लोग दिन भर व्यस्त रहते हैं. अपने काम से फ्री होने के बाद शाम को ही ज्यादातर लोग डॉक्टर के पास जाना पसंद करते हैं. ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक में शाम को भारी भीड़ भी देखी जाती है. प्राइवेट में जाकर लोग पैसे खर्च करते हैं. हमर क्लीनिक की सुविधा से अब शहरी लोग शाम को भी शासकीय सुविधा का लाभ ले सकेंगे और उनका यहां निःशुल्क इलाज किया जायेगा.



75 लाख का बजट : एक एक क्लीनिक के लिए लगभग 75 लाख रुपए का बजट केंद्र सरकार से मिल रहा है. इसलिए इसे बेहद आकर्षक और सुविधाजनक बनाया जा रहा है. यहां जुम्बा क्लासेस, योगा, जैसी सुविधाओं के लिये भी विकल्प रखे गए हैं. अस्पताल में साफ सफाई गार्डनिंग पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि शहरी लोग यहां आकर बेहतर अनुभव करें. सुव्यवस्थित वेटिंग एरिया भी बनाया जा रहा है.


ग्रामीण सुविधाएं दुरुस्त : सरगुजा संभाग की बात करें तो बीते 5 वर्षों में धीरे-धीरे स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा परिवर्तन दिख रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर बनाकर तेजी से लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही है. केंद्र सरकार नये नये ऑफर डॉक्टर और प्रबंधन को दे रही है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रहे पुराने ढांचे को अपग्रेड किया गया. बजट भी सीधे तौर पर दिया गया. जिसके कारण अब संभाग के हर जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा हुआ है. कुछ पहुंच विहीन गांव हैं. वहां भी स्वास्थ्य विभाग कैम्प लगाकर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा रहा है.



शहरी स्वास्थ्य सेवा अब भी चिंताजनक : इन सबके बीच शहरी क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिला अस्पतालों पर निर्भरता पर इन अस्पतालों में मरीजों का लोड अधिक देखा गया. आज भी शहर में ज्यादातर लोग शासकीय अस्पताल ना जाकर प्राइवेट अस्पतालों में पैसे खर्च करते हैं. अम्बिकापुर शहर में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा नवापारा शहरी स्वास्थ्य केंद्र और फुण्दूडीहारी अस्पताल के भरोसे ही शहरवासी थे. लेकिन अब इसके साथ ही शहर में सब हेल्थ सेंटरों की संख्या बढ़ाई गई है. अब हमर क्लीनिक के जरिये शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.




15 वें वित्त की राशि से होना है काम : छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdev statement on Hamar Clinic ) से जब पूछा गया कि सीएचसी, पीएचसी के पुराने सेटअप के बावजूद हमर क्लीनिक की जरूरत क्यों पड़ी. स्वास्थ्य मंत्री ने इस सबंध में कहा "इसमें 15 वें वित्त आयोग से राशियां उपलब्ध कराई गई है. स्वास्थ्य के अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिये तो ग्रामीण क्षेत्रों को भी 15 वें वित्त आयोग की राशि मिलती है. शहरी इकाइयों को भी मिलती है, तो हमको राशि मिली है कि जो शहरी इकाइयां हैं, हम उनको सुदृढ़ करें. भवन के मरम्मत और उसके विस्तार के लिए और थोड़े से लोगों की तनख्वाह के लिये. 5 साल तक ये 15 वें वित्त आयोग से राशि मिलेगी. उसके बाद राज्य सरकार को तनख्वाह पूरा देना पड़ेगा. इस तारतम्य में हम लोगों ने यह काम चालू किया है. जैसे हमर लैब हम लोगों ने नाम दिया था. वैसे ही हमर क्लीनिक लोगों के लिये है. हमारे आपके लिये ये क्लीनिक है. पहले एसएसके के नाम से हुआ करता था. अब उसको हमर क्लीनिक के नाम से उसके आकार को विकसित करके एक एमबीबीएस डॉक्टर वहां बैठेंगे. बाकी अस्पतालो में जैसे रहता है, यहां ओपीडी ही है. एडमिट करने की व्यवस्था इसमें नहीं है. शासन से मंजूरी लेकर हर जगह एक एमबीबीएस डॉक्टर तैनात रहेंगे."

Last Updated :Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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