राजनांदगाव के 8 गांवों में शाम होते ही पसर जाता है सन्नाटा, बिन बिजली यहां है सब सून

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Published : Sep 10, 2021, 3:05 PM IST

There is no electricity in the villages since the time of grandfather

राजनांदगांव (Rajnandgaon) के औंधी में करोड़ों खर्च के बाद भी 8 गांवों के लोगों को बिजली सुविधा (electricity facility) उपलब्ध नहीं हो सकी है. सरकार ने यहां सोलर लाइट तो लगवाई है, लेकिन बैटरी में खराबी के कारण यह लाइट भी रात 8 बजे के बाद बंद हो जाती है.

राजनांदगांव : राजनांदगांव (Rajnandgaon) के औंधी में सरकार भले ही बिजली की समस्या (electricity problem) को गंभीरता से लेते हुए करोड़ों रुपये पानी तरह खर्च कर रही है. लेकिन विद्युत विभाग के करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 8 गांवों को बिजली की समस्या से निजात नहीं मिल रही है. आजादी के 75 साल बाद भी इन गांवों में बिजली नही पहुंच पाई है. ग्रामीण बिजली की समस्या को लेकर शासन-प्रशासन को आवेदन दे-देकर थक गए हैं.

गांवों में दादा-परदादा के समय से नहीं है बिजली

जिम्मेदारों की लापरवाही की पोल खोल रही बिजली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई गई सौभाग्य योजना के तहत बिजली विभाग निशुल्क कनेक्शन कर भले ही घर-घर बिजली पहुंचाने का दावा कर रहा हो, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और बदहाल बिजली व्यवस्था उनके दावों की पोल खोल रही है. इसका उदाहरण राजनांदगांव जिले के मानपुर ब्लॉक के औंधी क्षेत्र के 8 गांव हैं, जहां आजादी के 75 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची है.

विकास से दूर हैं यहां के लोग

विकास के नाम पर गांव तक प्राथमिक स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, मुख्यमंत्री सड़क योजना पहुंच चुकी है, लेकिन बिजली नहीं है. शाम होते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है. लाइट न होने के चलते ग्रामीण शाम के बाद घर से बाहर नहीं निकलते हैं. वहीं जंगल होने व बारिश के दिनों में अंधेरे में जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा रहता है. गांव में किसी योजना अंतर्गत इन गांवों में सोलर सिस्टम लगाया गया है, ताकि रात में अंधेरा न रहे. लेकिन रात 8 बजे के बाद सोलर सिस्टम की बैटरी में खराबी के चलते यह लाइट भी बंद हो जाती है. इन सिस्टम के बाद भी अधिकांश घरों में हमेशा अंधेरा रहता है.

लालटेन युग में जी रहे हैं लोग
बिजली नहीं होने के कारण इन गांवों के लोग लालटेन युग में जी रहे हैं. वहीं ग्रामीणों को चिमनी या लालटेन जलाने के लिए पर्याप्त मिट्टी तेल नहीं मिलता है. लगभग दो से तीन लीटर मिट्टी तेल पंचायत के द्वारा पीडीएस योजना में दिया जाता है. यदि प्राप्त मिट्टी तेल का नियमित उपयोग करें तो 10 दिन भी पूरा नहीं होता है. इसके कारण ग्रामीण मिट्टी तेल बरसात के समय के लिए बचाकर रखते हैं और नियत समय पर ही उपयोग करते हैं. बाकी समय में ग्रामीण चूल्हे की अंगीठी में रात गुजारने को मजबूर हैं. वहीं विद्यार्थी रात के समय पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

दादा परदादा के जमाने से नहीं हैं बिजली- दसरू राम

ग्रामीण दसरू राम ने बताया कि दादा-परदादा के जमाने से बिजली नही है. हमें भी बिजली के बिना रहने की आदत पड़ गई है. लेकिन अब बिजली अगर गांव न पहुंची तो वह हर मामले में पीछे रह जाएंगे. बच्चों की पढ़ाई से लेकर देश-दुनिया की जानकारी जो टीवी पर मिलती है, वह भी नहीं मिल पा रही है. ग्रामीणों के मुताबिक बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए काफी दिनों से शासन-प्रशासन को आवेदन देकर गांव में बिजली लगवाने प्रयास कर रहे हैं. लेकिन जब आसपास के गांवों में बिजली पहुंचाई जा रही है तो हमारे गांव को आखिर क्यों छोड़ा गया.

पेंदोड़ी ग्राम पंचायत के आश्रित गांव मूंदेली, आमपायली, ढोढरी, नैनगुड़ा, कोहका टोला, मेटातोड़के, बागडोंगरी ग्राम पंचायत के घोटिया कन्हार व जामड़ी ग्राम पंचायत के राय मनहोरा इन गांवों के ग्रामीण समय-समय पर जनप्रतिनिधियों सहित आला अधिकारियों को ज्ञापन देते रहे हैं. कई बार प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को सड़क और पानी की स्वीकृति तो मिल गई, लेकिन बिजली लगाने की घोषणा और आश्वासन के अलावा ग्रामीणों को कुछ नहीं मिला. इन पंचायतों के पड़ोसी ग्रामों में बिजली है और सीमा से सटा ग्राम होने के बाद भी इन गांवों में बिजली नहीं है. वहीं इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन जांच करने की बात कह रहा है.

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