दर्री एनीकट बह गया, बदल गई शिवनाथ नदी की दिशा!

author img

By

Published : Sep 14, 2022, 1:04 PM IST

Anicut Baha built on Shivnath river

राजनांदगांव में लगातार बारिश होने से शिवनाथ नदी उफान पर है. शिवनाथ नदी पर बना दर्री एनीकट बह गया. किसानों ने जल संसाधन विभाग पर व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही का आरोप लगाया है. एनीकट का हाल देखने के बाद सीधे शासन से आस लगाए हुए है.

राजनांदगांव: जल संसाधन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते शिवनाथ नदी पर बना दर्री एनीकट बह गया. यह एनीकट जीता जागता उदाहरण है. शिवनाथ नदी पर हो रहे रेत के अवैध उत्खनन और विभागीय लापरवाही ने किसानों को वह मंजर दिखाया जिनसे उनकी रूह कांप गई. सैकड़ों एकड़ की फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इस एनीकट का हाल देखने के बाद सीधे शासन की ओर क्षेत्र की जनता अब कार्रवाई की आस लगाई बैठी है. इस मामले को लेकर भाजपा के नेताओं ने भी लगातार प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया. फिर भी प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

दर्री एनीकट बह गया

ऐसी रही लापरवाही: शिवनाथ नदी पर बने दर्री एनीकट के समीप शिवनाथ नदी ने अपना रास्ता ही बदल लिया है. एनीकट के समीप लगे खेतों में लगातार कटाव जारी है. यह स्थिति और भी भयावह इसलिए हो चुकी है. चूंकि बारिश के मौसम के बावजूद एनीकट के गेट ही नहीं खोले गए हैं. पिछले एक महीने पहले भी नदी का पानी करोड़ों के एनीकट को नुकसान पहुंचाता रहा. एनीकट के बाहर से अपना रास्ता बनाकर बहना शुरू कर चुका था. इस स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने कोई सीख नहीं ली. मौके पर पानी कम होने के बाद बोरियों में रेत भरकर पानी को साधने की कोशिश में लगे रहे.

अवैध उत्खनन सबसे बड़ा कारण: शिवनाथ नदी के उद्गम स्थल के बाद से लगातार शिवनाथ नदी पर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है. अंबागढ़ चौकी पानाबरस देवरी ऐसे स्पॉट हैं, जहां पर रेत का अवैध उत्खनन लगातार किया जा रहा है. पानाबरस इलाके में तो लीज पर ली गई खदान के रकबे से कहीं ज्यादा जगह पर रेत का अवैध उत्खनन किया गया है. इसके चलते बारिश का पानी लगातार एनीकट ऊपर दबाव बनाए हुए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण दर्री एनीकट के रूप में सामने आ रहा है. तबाही का ऐसा मंजर किसानों को देखने को मिल रहा है जो आज तक इस इलाके में नहीं देखा गया. अब शिवनाथ नदी पर खेती करने वाले सैकड़ों किसानों को चिंता सताने लगी है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में बिजली 23 पैसे यूनिट महंगी, बढ़ाया वीसीए चार्ज

पूरी फसल हुई चौपट: किसानों का कहना है कि लगभग एक एकड़ की जमीन इस कटाव में बह गई है, जिसमें धान का फसल लगाया गया था. किसान ने शासन से अपने खेत का पटाव और मुआवजे की मांग की है. इस साल की बाढ़ के चलते फसल सहित पूरा खेत ही बह गया है. अब भरण पोषण की समस्या हो जायेगी. ऐसे में उनकी आजीविका कैसे चल पाएगी. यह सबसे बड़ा प्रश्न बन गया है. करीब 5 एकड़ की जमीन किसानों की एनीकट बहने से बाढ़ की चपेट में आ गई है. वही खड़ी फसल को भी काफी नुकसान पहुंचा है.

अधिकारी के अपने ही बोल: एनीकट के मामले में जल संसाधन विभाग के ईई जीडी रामटेके ने बताया कि "कटाव को लेकर के उनके पास पहले से जानकारी नहीं थी. गड्ढे की वजह से पानी का प्रेशर बढ़ा और कटाव बढ़ गया. दो गेट पहले ही खोले गए थे लेकिन यहां पर समय रहते क्यों सभी गेटों को नहीं खोला गया. विभागीय प्लानिंग क्यों फेल हुई इस बात पर चुप्पी साध ली है. गेट खुलने और बंद होने से इस घटना का कोई भी संबंध नहीं है. जबकि भाजपा नेताओं और किसानों का सीधा आरोप विभागीय अधिकारियों पर ही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.