ravi pradosh vrat 2023: किस तरह के शुभ संयोग में मनाया जाएगा रवि प्रदोष व्रत, जानिए

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Published : Mar 14, 2023, 6:28 PM IST

ravi pradosh vrat 2023

चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वादशी और त्रयोदशी तिथि 19 मार्च को मनाई जाएगी. यह पर्व रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है. इस शुभ दिन धनिष्ठा नक्षत्र, सिद्धि योग तैतिल और ववकरण और मातंग योग का सुंदर प्रभाव बन रहा है. इस शुभ दिन कुंभ राशि में चंद्रमा विराजमान रहेंगे. पंचक प्रवृत्ति भी बन रही है. सुबह 8:07 तक द्विपुष्कर योग पुष्कर योग का प्रभाव रहेगा. रवि प्रदोष व्रत से कई समस्या से मुक्ति मिलेगी.

रवि प्रदोष व्रत 2023 का शुभ मुहुर्त

रायपुर: रवि प्रदोष व्रत भगवान भवानी शंकर की आराधना का मुख्य पर्व है. रवि प्रदोष व्रत के दिन श्री गायत्री मंत्र का पाठ करने पर अनेक सिद्धियां प्राप्त होती हैं. आज के दिन प्रातः काल स्नान ध्यान और योग से निवृत्त होकर शिवालय में जाकर भगवान शिव की स्तुति, प्रार्थना और उपासना करनी चाहिए.


भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए करें अभिषेक: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भवानी शंकर का अभिषेक करने पर भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी आदि नदियों के पवित्र जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव को अभिषेक के द्वारा प्रसन्न किया जा सकता है. संपूर्ण दिवस ओम नमः शिवाय, पंचाक्षरी मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, रुद्राष्टकम, शिव तांडव, शिव महिमा, शिव चालीसा, शिव सहस्त्रनाम आदि का पाठ करना चाहिए.

दोपहर में शयन नहीं करने का है विधान: इस शुभ दिन पर दोपहर में शयन नहीं करने का विधान है. शयन ना करते हुए योग, ध्यान, आसन और प्राणायाम करना चाहिए. योग के आदि गुरु भगवान शिव माने गए हैं. आज के संपूर्ण दिवस शिवजी की अनन्य भक्ति की जाती है. शिवालय में जाकर रोली, चंदन, श्वेत चंदन, गोपी चंदन, अष्ट चंदन, अक्षत, परिमल, गुलाल, श्वेत पुष्प, श्वेत पुष्पों की माला और श्रीफल आदि से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए."

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रवि प्रदोष व्रत से पारिवारिक समस्या से मिलेगी मुक्ति: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "दूध, दही और पंचामृत के द्वारा महामृत्युंजय का अभिषेक करने पर उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. कुंवारी कन्या इस शुभ दिन उपवास रखती हैं, तो उन्हें जल्द ही भगवान भोलेनाथ जैसे वर की प्राप्ति होती है. ऐसे जातक जिनके पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल चल रही हो, पारिवारिक जीवन में वैमनस्यता हो, उन्हें भी इस शुभ दिन प्रदोष व्रत का पालन करना चाहिए."

प्रदोष काल का समय: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "रविवार को होने की वजह से इसे रवि प्रदोष के शुभ नाम से भी जाना जाता है. प्रदोष काल में मान्यता है कि कैलाशपति शिव सुंदर भाव से प्रसन्न मन से नृत्य करते हैं. प्रदोष काल के समय में भगवान शिव की स्तुति और प्रार्थना करनी चाहिए. शाम को 4:58 से लेकर सायंकाल 7:12 तक प्रदोष काल का समय माना जाता है. इस समय में गोधूलि बेला का भी शुभ प्रभाव पड़ता है. इस विशेष काल में भगवान शिव की पूजा, आराधना, ध्यान, योग और प्राणायाम करने पर विशिष्ट फलों की प्राप्ति होती है. सर्व कामनाएं पूर्ण होती है और महामृत्युंजय भगवान का आशीष प्राप्त होता है.

विधि विधान पूर्वक करें व्रत का पारण: इस व्रत का पारण भी विधि विधान पूर्वक करना चाहिए. स्नान के उपरांत एवं शयन से पूर्व दोनों ही समय में शुद्ध मन से महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इस शुभ दिन ऐसी माताएं, जिनकी कोक भरी नहीं है, उन्हें भी शुद्ध मन से भगवान शिव की आराधना और प्रार्थना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान भोलेनाथ भोले होने के साथ-साथ यथाशीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं. आज के शुभ दिन रवि प्रदोष का सुंदर प्रभाव जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है."

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