First Millets Cafe of Raipur : रायपुर का पहला मिलेट्स कैफे,लोगों को भा रहा है स्वाद

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Published : Jan 24, 2023, 3:45 PM IST

Updated : Jan 28, 2023, 1:15 PM IST

People likes dishes first Millets Cafe of Raipur

छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलेट्स फसल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में मिलेट्स कैफे खोलने का फैसला किया है. इसी कड़ी में रायपुर में पहला मिलेट्स कैफे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में खुला है.जहां पब्लिक डिमांड पर मिलेट्स के प्रोडक्ट्स बनाए और बेचे जा रहे हैं. कैफे में आने वाले लोगों को मिलेट्स का स्वाद भी काफी पसंद आ रहा है. International Year of Millets 2023

रायपुर का पहला मिलेट्स कैफे

रायपुर: दुनियाभर में साल 2023 इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना दिवस के मौके पर मिलेट्स कैफे की शुरुआत की है. इस मिलेट्स कैफे में कोदो, कुटकी ,रागी समेत अन्य लघु धान्य फसलों से निर्मित व्यंजन जैसे इडली, डोसा, पोहा, उपमा ,भजिया खीर ,हलवा, कुकीज , मोल्ड के साथ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन आम जनता के लिए उपलब्ध हैं. ईटीवी भारत ने राजधानी में खुले पहले मिलेट्स कैफे का जायजा लिया..



छत्तीसगढ़ की मिलेट्स एंटरप्रेन्योर कविता देव ने बताया " इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा मिलेट्स कैफे की शुरूआत की गई है. मैं विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर इसमें मदद कर रही हूं. कैफे में कोदो से पकौड़ा, कुटकी और रागी मिलाकर अप्पम , कंगनी का डोसा बना रहे हैं.आने वाले दिनों में सैंडविच, पॉपकॉर्न भी बनाया जाएगा.मिलेट्स कैफे के साथ वैट कैफे के साथ ड्राई कैफे भी हैं.जिसमें कुकीज, पास्ता, नूडल्स,लड्डू है. घर में इडली बनाने के लिए अलग-अलग मिलेट्स का रवा और पोहा उपलब्ध है.''

मिलेट्स व्यंजन पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक



स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है यह प्रोडक्ट : कविता देव ने बताया " हमने कोदो कुटकी रागी और कंगनी से लड्डू तैयार किया है और कुकीज बनाया है. इन सभी प्रोडक्ट की खास बात यह है कि यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. इसमें किसी भी प्रकार से आटे, मैदा, शुगर और चावल का इस्तेमाल नही किया गया है, लड्डू में भी गुड का इस्तेमाल किया गया है स्वास्थ्य की दृष्टि से यह बहुत फायदेमंद हैं.''


कैफे में पहुंचे डॉ एके दवे ने कहा "इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने मिलेट्स कैफे की शुरुआत की है. यह अच्छी शुरुआत है. उम्मीद है कि पब्लिक डिमांड के साथ यहां वैरायटी भी बढ़ती जाएगी. मैंने डोसा खाया है और इसका स्वाद उसी की तरह मिलता हुआ है.लेकिन गर्म खाने में ही यह बहुत अच्छा है. जितने मिलेट्स है. सभी स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छे हैं."


कैफे में आई अर्चना जाधव ने बताया " मिलेट्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और इससे बने उत्पाद का सेवन करना भी फायदेमंद है. इसलिए इस कैफे में आई हूं. हमने डोसा, इडली ओर पकौड़ा खाया. जिसका स्वाद मिलता जुलता है. लेकिन थोड़ा अलग भी है. लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमन्द है.''


इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सीनियर साइंटिस्ट डॉ गौतम रॉय ने बताया " अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 33वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मिलेट्स कैफे की शुरुआत की गई. लघु धान्य फसल कोदो ,कुटकी, रागी पर फोकस करते हुए किसानों को और कंस्यूमर को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. मिलेट्स का स्वादिष्ट व्यंजन फ़ूड चेन में किस तरह बढ़ाया जा सकता है. लोगों के डाइट में मिलेट्स को स्थान दिलाने का काम कर रहे हैं. जो इन्हें मिलना चाहिए.''

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कैसे संचालित हो रहा है कैफे : मिलेट्स कैफे दो तरह से संचालित हो रहे हैं. इनमें ड्राई कैफे और वैट कैफे है. ड्राई कैफे में रागी आटा, कोदो राइस, पोहा, और कुकीज कृषि विश्वविद्यालय के अलग-अलग संस्थाओं से आए उत्पादों को उचित दाम में उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके साथ ही उन्हें बनाने के तरीके वैट कैफे के माध्यम से बताया जा रहा है. इसमें रागी,कोदो से बने डोसा, पकौड़ा, रागी माल्ट और अन्य खाद्य व्यंजन बनाए जा रहे हैं. डॉ गौतम रॉय ने बताया कि '' मिलेट्स कैफे के साथ फ़ूड टेक्नोलॉजी कॉलेज, कृषि विज्ञान केंद्र, विश्वविद्यालय के अलग-अलग फ़ूड, इंजीनियरिंग, एग्रीबिजनेस डिपार्टमेंट सभी मिलकर आईजीकेवि में यह प्रयास किया है. उम्मीद है यह प्रयास सफल होगा और लोगों तक पहुंचेगा''

Last Updated :Jan 28, 2023, 1:15 PM IST
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