महासमुंद के किस स्कूल के बच्चे बोलते हैं धाराप्रवाह अंग्रेजी

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Published : Jun 19, 2022, 1:54 PM IST

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महासमुंद के पिथौरा ब्लाक के अंतिम छोर में बसा ग्राम जबलपुर है. यहां सरकारी स्कूल के बच्चे बड़े से बड़े निजी स्कूलों पर भारी पढ़ते नजर आ रहे हैं. यहां के बच्चे धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल रहे हैं. महासमुंद में जबलपुर के सरकारी स्कूल के बच्चे अंग्रेजी बोले रहे हैं.

महासमुंद: पिथौरा ब्लाक के अंतिम छोर में बसा ग्राम जबलपुर के सरकारी स्कूल के बच्चे बड़े से बड़े निजी स्कूलों पर भारी पढ़ते नजर आ रहे हैं. यहां के बच्चे धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल रहे हैंं. यहां शिक्षकों के मेहनत के बदौलत छात्र-छात्रा होनहार भी हो रहे हैं. साथ ही इस स्कूल की हर तरफ तारीफे भी होने लगी है.

बच्चे का धाराप्रवाह अंग्रेजी

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अंग्रेजी बोलते बच्चे: यहां के बच्चों की अंग्रेजी बोलने और संस्कार को देखकर ये कभी नहीं बोलेंगे कि ये बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ते होंगे. इस गांव की जनसंख्या तकरीबन 1 हजार है और स्कूल में पढ़ रहे छात्र छात्राओं की संख्या 80 के करीब. यहां के स्कूल को देखकर आप नहीं बोलेंगे कि यह सरकारी स्कूल है. स्कूल को मॉडल स्कूल की तर्ज पर सजाया गया है, जिसमें वॉल पेंटिंग, गार्डन, स्कूल के चारों तरफ पेड़-पौधे, फूल और दीवारों में ज्ञानवर्धक बातें लिखी गई है. ये सब यहां के शिक्षक अश्विनि प्रधान और उत्कल प्रधान की लगन और दृढ़ संकल्प से पूरा हो पाया है. साथ ही साथ पलकों का भी बड़ा योगदान रहा है.

शिक्षक करते है पालन: शिक्षक शासन के गाइडलाइन अनुसार, सुबह 10 बजे से 4 बजे तक सभी बच्चों को बेसिक शिक्षा तो देते ही हैं. बावजूद इसके शिक्षक अपना समय निकालकर नियमित रूप से सुबह 8 बजे से 9 बजे तक सभी बच्चों को इंटेक्टिव पैनल बोर्ड के माध्यम से स्पोकन इंग्लिश भी सिखा रहे हैं. जिससे सरकारी स्कूल के बच्चे काफी तेजी के साथ अंग्रेजी बोल रहे हैं और सीख रहे हैं. वहीं बच्चों के पालक और शाला समिति के सदस्यों का कहना है कि अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का मन बना रहे थे. लेकिन अब यहां के शिक्षकों के पढ़ाने और बच्चों के लगन को देखते हुए जो पालक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे. वे भी अब अपने गांव जबलपुर के स्कूल में पढ़ा रहे हैं. हमारे बच्चे अब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना सिख रहे हैं जो हमारे लिए गर्व की बात है.

शिक्षक की मेहनत लाई रंग: एक तरफ स्कूल के प्रधान पाठक भी शिक्षक अश्वनी प्रधान और उत्कल प्रधान के मेहनत को देखते हुए अपने शिक्षकों से काफी खुश है. इन्हें प्रेरणा स्वरूप बता रहे हैं. बच्चों को साक्षर करने वाले अश्वनी प्रधान कहते है कि गांव वाले अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भर्ती कर रहे थे. जिससे हमने अपने स्कूल को मॉडल बनाने का सोचा और इसपर मेहनत की. जिससे आज हमारे बच्चे हमसे इंग्लिश में बात करते है, जिससे हमें काफी खुशी होती है.

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