कोरिया में हादसे की दहलीज पर हो रही है बच्चों की पढ़ाई

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Published : Sep 22, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 11:09 PM IST

Children forced to study in the water and dampness from the ceiling

शैक्षणिक व्यवस्था (educational system) का हाल सुधार के बजाय बिगड़ती ही जा रही है. कोरिया में हालात यह है कि जर्जर स्कूलों (dilapidated schools) में बरसात के मौसम (rainy season) में तेज बारिश के बीच छतों से टपकते पानी के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं.

कोरियाः शिक्षा व्यवस्था (educational system) की हालत में सुधार होने के बजाय बिगड़ती जा रही है. कोरिया में हालात यह है कि जर्जर स्कूल भवनों में बरसात के मौसम में तेज बारिश (heavy rain) के बीच टपकते पानी (dripping water) में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं.

बरसात में स्कूल के छतों से पानी टपकता रहता है. अगर पढ़ाई के दौरान बरसात कुछ ज्यादा तेज हुई तो उस दिन स्कूल के कमरों में पानी भर जाता है. कोरिया जिले के विकासखंड भरतपुर अंतर्गत गोधौरा में बने माध्यमिक विद्यालय (Secondary school) को महज कुछ साल ही बने हुए हुआ.

कोरिया में हादसे की दहलीज पर हो रही है बच्चों की पढ़ाई

लेकिन बरसात ने लाखों रुपए खर्च कर बनाई गई निर्माण एजेंसी की पोल खोल कर रख दिया है. अब इनका खामियाजा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. गोधौरा प्राथमिक विद्यालय (primary school) की हालत काफी दयनीय है. स्कूल की दीवारों और छतों में दरार पड़ गई है. बारिश ने स्कूल का बुरा हाल कर दिया है.

छत से पानी टपक रहा (water dripping from the ceiling) है. कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के छात्रों को पुराने अतिरिक्त कक्ष पढ़ने को मजबूर हैं. अध्यापकों का कहना है कि स्कूल की इमारत बिल्कुल जर्जर ( building is dilapidated) हो चुकी है. स्कूल में कभी भी बड़ा हादसा हो सकती है. बारिश के मौसम में बच्चे डर के साए में रह कर पढ़ाई करते हैं. जब भी तेज बारिश होती है तो उन्हें भाग कर पुराने अतिरिक्त कक्ष में जाना पड़ता है. बारिश से पूरे क्लास से लेकर कार्यालय तक में पानी भर जाता है.

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जान जोखिम में डाल करते हैं पढ़ाई

इस स्कूल में तीन कमरे और एक कार्यालय है. लेकिन सब जर्जर हालत में हैं. जहां बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल भवनों के हालात तो ऐसी है कि यहां बारिश के मौसम में पढ़ाई करना तो दूर, बैठना भी मुश्किल हो जाता है. बारिश के मौसम में टपकते छत के कारण कई स्कूलों में एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाएं एक साथ चलती हैं.

इतना ही नहीं, इन टपकती छतों और जर्जर भवनों के कारण हमेशा हादसे का अंदेशा भी बना रहता है. जर्जर हो रहे कई विद्यालयों को तो मरम्मत करवाने के लिए राशि भी नहीं मिलती है. जिन मरम्मत के लिए राशि मिलती है, वह इतनी पर्याप्त नहीं होती है कि उससे छत की मरम्मत करवाई जा सके. इस कारण विद्यालय प्रबंधन भी उस राशि से विद्यालय में मामूली मरम्मत का कार्य कराकर इतिश्री कर लेता है.

Last Updated :Sep 22, 2021, 11:09 PM IST
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