कोरबा में जल जीवन मिशन को ऑक्सीजन की जरूरत !

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Published : Jul 23, 2022, 12:08 AM IST

Jal Jeevan Mission on verge of death

कोरबा में जल जीवन मिशन योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. यहां हालात ये है कि 703 गांव में से केवल 11 गांव में जल जीवन मिशन का काम पूरा हो पाया है. ऐसे में लोगों को घर तक साफ पानी पहुंचाने की योजना को कोरबा में ऑक्सीजन की जरूरत है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

कोरबा: छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन दम तोड़ने की कगार पर है. हालात यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य देश में घरेलू नल कनेक्शन देने के मामले में सबसे (Jal Jeevan Mission on verge of death) फिसड्डी है. केंद्र सरकार की मंशा है कि स्वच्छ पेयजल के लिए 2024 तक हर घर में कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन(FHTC) प्रदान किया जाए. इसके लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. लेकिन राज्य में जल जीवन मिशन की स्थिति संतोषजनक नहीं हैं. केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह जब कोरबा दौरे पर थे. तब भी उन्होंने इस योजना के प्रति उदासीनता बरतने के लिए राज्य के अधिकारियों पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी.

कोरबा में जल जीवन मिशन की सुस्त रफ्तार


छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के काम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी(PHE) विभाग द्वारा किया जा रहा है. जिसके मंत्री रुद्रगुरु ने विधानसभा में हंगामे के बीच जवाब दिया कि "छत्तीसगढ़ में 65 लाख से अधिक नल कनेक्शन प्रदाय करने का लक्ष्य है. लेकिन इसके विरुद्ध अब तक 6 लाख कनेक्शन ही दिए (Jal Jeevan Mission on verge of death)जा सके हैं. कोरबा में भी 703 गांव में से केवल 11 गांव में जल जीवन मिशन का काम पूरा हुआ है.



पूरा दिन निकल जाता है, पानी के इंतजाम में : कोरबा जिले के ग्राम कुरुडीह में भी लोग पानी की समस्या से खासे परेशान हैं. यहां रहने वाली फूलबाई कहती हैं कि "कुछ समय पहले गांव में पानी टंकी लगी, जिसे पंचायत ने लगाया है. लेकिन इसमें भी पानी नहीं मिलता. पानी आता भी है, तो उसमें कीड़े रहते हैं. हैंडपंप से ही पानी ढोने की मजबूरी है, लेकिन हैंडपंप में भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. कई बार घंटों इंतजार करने के बाद पानी (Jal Jeevan Mission on verge of death) मिलता है. मेरे पति को सुबह काम पर जाना होता है, लेकिन कई बार पानी नहीं होने की वजह से खाना पकाने में देर हो जाती है. इससे काफी परेशानी होती है. कई दिन तो मेरे साथ ऐसा होता है कि पानी का इंतजाम करने में ही दिन भर का समय निकल जाता है".

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घर घर पानी तो क्या, हैंडपंप से भी नहीं मिलता : गांव डोड़काखार के भोला सिंह ठाकुर कहते हैं कि "हमारे गांव में पानी की बहुत समस्या है. कुआं और हैंडपंप से पानी का इंतजाम करना पड़ता है. गर्मियों में हैंडपंप का पानी भी सूख जाता है. नहाने के लिए हम मजबूरी में तालाब जाते हैं, लेकिन तालाब का पानी भी दूषित (Jal Jeevan Mission on verge of death) है. इसी तरह हमारा जीवन चल रहा है. पानी के लिए सिर्फ मैं ही नहीं, आसपास के गांव के लोग भी परेशान रहते हैं. हैंडपंप से भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. पूरे दिन हम किसी तरह बचा-बचा कर पानी का उपयोग करते हैं.

कोरबा में ग्राउंड लेवल वाटर की स्थिति खराब: यदि बात करें कोरबा जिले की, तो यहां कुल मिलाकर 703 गांव जल जीवन मिशन के तहत चयनित किए गए हैं. जहां घर-घर नल पहुंचाने का लक्ष्य है. दुर्भाग्य यह है कि इसमें से केवल 11 गांव में जल जीवन मिशन का काम पूर्ण हो सका है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जब दौरे पर आए थे, तब उन्होंने गहरी नाराजगी जाहिर की थी. जब उन्होंने पूछा कि "सिर्फ 11 गांव में ही काम पूर्ण क्यों हुआ है? तब पीएचई के कार्यपालन अभियंता अनिल कुमार ने जवाब दिया था कि "कोरबा जिले में ग्राउंड लेवल वाटर की स्थिति बेहद खराब है. यहां से तीन विकासखंड कटघोरा, पाली और पोड़ी उपरोड़ा में ग्राउंड वाटर लेवल काफी (Jal Jeevan Mission on verge of death)नीचे है. जिसके कारण 3 ब्लॉक में जल प्रदाय योजना के तहत बांगो बांध से पानी लेकर घर-घर पहुंचाने की योजना है. योजना बनाने में समय लगा, इस कारण भी जल जीवन मिशन के काम में विलंब हो रहा है. केंद्रीय पंचायत मंत्री ने अधिकारियों की मौजूदगी में इराक का उदाहरण दिया था और कहा था कि "इराक जैसे देश में भूजल है ही नहीं, फिर भी वहां घर-घर पानी पहुंचता है. 24 घंटे पानी पहुंचता है, इसलिए यह तर्क ठीक नहीं है.

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छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन का ऐसा है हाल, केंद्रीय मंत्री भी थे नाराज़: छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन की दुर्दशा केंद्रीय पंचायत मंत्री के दौरे को लेकर विधानसभा में भी गूंज रही है. विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मंत्री रुद्र गुरु ने जानकारी (Jal Jeevan Mission on verge of death) दी है. जिसमे बताया कि "केंद्र सरकार से भुगतान में देरी के कारण काम में विलंब हुआ है. जल जीवन मिशन का काम 25 % ही हो सका है. मंत्री ने सदन में जानकारी दी कि "प्रदेश भर में 65 लाख कनेक्शन देने का लक्ष्य था, जिसमें से 38 लाख 45 हजार कनेक्शन देने की प्रशासनिक स्वीकृति दे दी गई है. 30 जून 2022 तक की स्थिति में अब तक 6 लाख 25 हजार घरेलू नल कनेक्शन ही दिए गए हैं.



हर घर पेयजल का लक्ष्य : खुले में शौच मुक्त के लिए चलाए गए स्वच्छ भारत अभियान के तरह ही मोदी सरकार 2.0 का हर घर-नल जल नल कनेक्शन एक महत्वकांक्षी योजना है. इसके लिए मोदी सरकार ने 2024 तक का लक्ष्य दिया है. राज्य और केंद्र दोनों के ही के पैसे इसमें लगे हैं. केंद्र सरकार के मंत्री कहते हैं कि पैसे देने के बाद भी राज्यों में काम नहीं (Jal Jeevan Mission on verge of death) हो रहा है. आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोगों को पेयजल के लिए घरों से बाहर जाना पड़ता है. जबकि राज्य सरकार के मंत्री कहते हैं कि केंद्र से ही समय पर पैसे नहीं मिले, इसलिए योजना अधूरी है. अब इन सब के बीच सबसे बड़ा नुकसान आम जनता को हो रहा है, जो दुर्गम वनांचल क्षेत्र में बसे हैं. जिनके लिए घर में ही स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होना अब भी किसी सपने जैसा ही है.

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