कोंडागांव जिला प्रशासन पर पांचवी अनुसूची और पेसा कानून के उल्लंघन का आरोप, ग्रामीण करेंगे प्रदर्शन

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Published : Jun 22, 2021, 11:02 AM IST

villagers will protest against kondagaon district administration

कोंडागांव में पांचवी अनुसूची (Fifth Schedule) और पेसा कानून (PESA) के नियमों के उल्लंघन का मामला आया है. जिसके विरोध में चिखलपुटी ग्राम पंचायत के ग्रामीण और जनप्रितिनिधि विरोध प्रदर्शन करेंगे. ग्रामीणों और जनप्रितिनिधियों ने कोंडागांव जिला प्रशासन पर नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

कोंडागांव: चिखलपुटी ग्राम पंचायत में संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और अपमान किए जाने के विरोध में ग्रामीण और जनप्रतिनिधि कोंडागांव जिला प्रशासन के खिलाफ धरना देंगे (villagers protest against kondagaon district administration). ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने पांचवीं अनुसूची (Fifth Schedule) और पेशा कानून (Panchayat Extension over Scheduled Areas, PESA) के नियमों का उल्लंघन किया है. जिसके विरोध में आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

राज्यपाल और सीएम के नाम सौपेंगे ज्ञापन

इस दौरान छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor of Chhattisgarh Anusuiya Uikey), मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम (Kondagaon MLA Mohan Markam) के नाम पर ज्ञापन सौंपा जाएगा.

नियमों की अनदेखी का आरोप

चिखलपुटी ग्राम पंचायत (Chikhalputi Gram Panchayat) के सरपंच विजय कुमार सोढ़ी ने अनुविभागीय अधिकारी को इस एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन की सूचना दी है. सरपंच का कहना है कि आदिवासी बाहुल्य चिखलपुटी ग्राम पंचायत क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण कर कोण्डागांव नगर पालिका परिषद (Kondagaon Municipal Council) नियमों की अनदेखी कर व्यावसायिक परिसर और अन्य भवनों का निर्माण करा रहा है.

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कई बार कर चुके हैं शिकायत

सरपंच ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में पांचवी अनुसूची और पेसा कानून लागू है. जनप्रतिनिधि और ग्रामीण इस मामले में कोंडागांव कलेक्टर पुष्पेंद्र सिंह मीणा (Kondagaon Collector Pushpendra Singh Meena), अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), थाना प्रभारी सहित संबंधित ठेकेदार को निर्माणकार्यों पर तत्काल रोक लगाने के लिए लिखित में आवेदन दे चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद निर्माण पर अब तक रोक नहीं लगाई गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है. सरपंच का कहना है कि आवेदन पर उचित कार्रवाई नहीं होने, निर्माण कार्य को जारी रखने को ग्रामीण और जनप्रतिनिधि इसे संविधान के प्रावधानों का अपमान मानती है.

क्या है पेसा कानून ?

पेसा कानून (पंचायत एक्सटेंशन ओवर शिड्यूल्ड एरियाज एक्ट,1996) अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को क्षेत्र के संसाधनों और गतिविधियों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है. पेसा कानून समुदाय की प्रथागत, धार्मिक और परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर जोर देता है. इसमें विवादों को ग्राम पंचायत के प्रथागत ढंग से सुलझाना और सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी शामिल है. कुल मिलाकर इस कानून के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्रों में बिना ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की अनुमति के कोई भी काम नहीं किया जा सकता. किसी भी काम के लिए ग्राम पंचायत की अनुमति जरूरी है. इस कानून के तहत क्षेत्र पर ग्राम पंचायतों का अधिकार होता है.

इन राज्यों में लागू है पेसा कानून

संसद ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्ताीर) अधिनियम, 1996 (पेसा) को 10 राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में लागू है.

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