जांजगीर-चापा : जिले के सक्ती में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है.पंचायत की राशि में अनियमितता करने वाले सरपंच पर 5 माह बाद भी कोई कार्यवाही नही हुई (Doomarpara Sarpanch of Janjgir did corruption) है. जबकि 5 माह पूर्व अधिकारियों की जांच में 10 लाख 83 हजार रुपए से अधिक की गड़बड़ी डुमरपारा पंचायत में सामने आई थी.जिसके बाद आज तक दोषी सरपंच को पद से नही हटाया गया (No action taken from Dumarpara Sarpanch) है. यहां तक की पंचायत का वित्तीय अधिकार भी सरपंच के पास ही है. लिहाजा पिछले 5 माह से डुमरपारा पंचायत में धड़ल्ले से शासकीय राशि का दुरुपयोग हो रहा है.
पंचायत सचिव ने भी दिया बयान : वहीं अब इस पूरे मामले में डुमरपारा पंचायत के सचिव (Secretary of Dumarpara Panchayat accepted the mistake) का बयान भी सामने आ चुका है. जिसमें वो साफ कह रहा है कि गड़बड़ी हुई है और सरपंच के दबाव में उसने उसका साथ दिया. सारे तथ्य सामने आ चुके हैं. बावजूद इसके अधिकारी आंखों में पट्टी बांधे बैठे हैं. अब इसे जिम्मेदारों की लापरवाही कहे या दोषियों पर मेहरबानी फिलहाल अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
किसने की थी जांच : सक्ती ब्लॉक के ग्राम पंचायत डुमरपारा के पंच ओर ग्रामीणों ने मिलकर करीब 6 माह पूर्व गांव के सरपंच सचिव के खिलाफ पंचायत की 15वें वित्त की राशि में अनियमितता किये जाने के संबंध में सक्ती एसडीएम से शिकायत की थी. जिसके बाद सक्ती एसडीएम ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सक्ती नायाब तहसीलदार को जांच का जिम्मा सौंपा. सक्ती नायाब तहसीलदार ने टीम बनाकर शिकायत पर जांच की. जिसमे सरपंच सचिव के द्वारा 15वें वित्त की राशि मे करीब 10 लाख 83 हजार की गड़बड़ी पाई (Dumarpara sarpanch was found guilty in the investigation)गई. जांच अधिकारी ने करीब 5 माह पूर्व जनवरी में जांच प्रतिवेदन बनाकर एसडीएम को प्रेषित कर दिया. जिसमें सरपंच सचिव की अनियमितताओं का उल्लेख है.
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दोषी होने के बाद भी कार्रवाई नहीं : इस मामले में आज तक न तो एसडीएम ने और न ही पंचायत के अधिकारियों ने कोई कार्यवाई की है.यहां तक की भ्रष्ट सरपंच के वित्तीय अधिकार तक को नही हटाया गया है. जिसके कारण पिछले 5 माह से सरपंच लगातार पंचायत की राशि का आहरण कर रहा है. वहीं शिकायतकर्ता का कहना है कि ''भ्रष्ट सरपंच पर अधिकारी मेहरबान है. इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाई न होना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा कर रहा है.''