Bilaspur latest news : शहर के बीच बसा गांव, बांस के खंबों से आती है बिजली रानी
Published: Mar 14, 2023, 5:53 PM


Bilaspur latest news : शहर के बीच बसा गांव, बांस के खंबों से आती है बिजली रानी
Published: Mar 14, 2023, 5:53 PM
बिलासपुर नगर निगम के वार्ड 47 मोपका में बिजली तारों को घर तक पहुंचाने के लिए बांस का उपयोग किया जाता है. यहां बिजली विभाग ने खंभे नहीं लगाए गए हैं. जिसकी वजह से उपभोक्ता अपने घरों तक बिजली तार पहुंचाने के लिए बांस का उपयोग कर रहे हैं. यहां बांस दो-चार नहीं बल्कि हजारों की संख्या में गांव में नजर आते हैं. सड़क किनारे हर एक मकान के कनेक्शन के लिए उनकी अपनी खंबे की लाइन लगी है. जिसे देखकर एक अलग ही नजारा सामने आता है. bilaspur latest news
बिलासपुर : नगर निगम के अंदर एक ऐसा वार्ड है जहां पर बिजली पहुंचाने के लिए बांस की मदद ली जाती है. बिना बांस के इस वार्ड में रहने वाले लोगों के लिए बिजली किसी सपने से कम नहीं होगी. वार्ड मोपका ग्राम पंचायत का हिस्सा था. जिसे 4 साल पहले ही नगर निगम में जोड़ा गया है.लेकिन निगम से जुड़ने के बाद भी गांव के तार बिजली के खंबों से नहीं जुड़ पाए.
अस्थाई कनेक्शन से चल रहा काम : यहां के रहवासी टेम्पररी मीटर कनेक्शन लिए हैं. सालों से बिजली विभाग ने इनके कनेक्शन को परमानेंट नहीं किया है. जिसकी वजह से लोहे के खंभे नहीं लगाएं जा सके हैं. मजबूरन उपभोगताओं को बिजली सप्लाई के लिए बांस के खम्बों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. जिसकी वजह से ये हर वक्त राहगीरों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.
वार्ड वासी भी हैं परेशान : मोपका वार्ड नंबर 43 में रहने वाले जवाहर लाल यादव ने कहा कि ''वह लगभग 12 साल से यहां मकान बनाकर रह रहे हैं. विद्युत कनेक्शन के लिए वे बिजली विभाग में आवेदन दिए थे, तब उन्हें कनेक्शन तो दिया गया. लेकिन टेंपरेरी कनेक्शन लगाया गया. इसे 1 साल तक उपयोग करने के लिए कहा गया. बाद में परमानेंट मीटर फिट किया जाएगा. यह कह कर विभाग में उन्हें आश्वासन दिया था. विभाग ने इलाके में लोहे का खंबा लगाने को कहा था.लेकिन आज तक खंबा नहीं लगा.''
रहवासियों ने खुद ही उठाया बीड़ा : रहवासियों की माने तो कलेक्टर, नगर निगम सहित मुख्यमंत्री तक को शिकायत कर चुके है, लेकिन उनकी सुनवाई नही हो रही है. बिजली की व्यवस्था नहीं होने पर अब कॉलोनीवासी आपस में मिलकर खुद के खर्चे से लोहे के खंबे लगवा रहे हैं. यहां रहने वाले ललित अग्रवाल ने बताया कि सड़क, नाली की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है और बिजली के खंभों के लिए वे बिजली विभाग सहित सभी अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ा चुके.लेकिन कोई हल होता ना देख खुद ही चंदा करके खंबा लगाने का काम किया जा रहा है
निगम बता रही अवैध कॉलोनी : मोपका के रामकृष्ण कॉलोनी में रहने वाले रहने वाले जंगबहादुर ने बताया कि '' वह कॉलोनाइजर से जमीन लेकर अपना मकान तैयार करवाएं हैं. तब कॉलोनाइजर ने सड़क, नाली, पानी, बिजली देने जैसे कई वायदे किए थे. लेकिन कॉलोनाइजर ने वायदे पूरे नहीं किए. लिहाजा बिजली के लिए वो भी बांस का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कॉलोनी में रहने वाले धनेश कुमार जांगड़े और राजेंद्र यादव ने बताया कि '' जिस समय वो जमीन खरीदे थे. उस समय कॉलोनाइजर ने उनसे विकास शुल्क के नाम पर पैसे भी लिए थे.उसके बाद ना तो ग्राम पंचायत में उनके इलाके में कोई काम करवाया और ना अब नगर निगम करवा रही है.
क्यों नहीं लग पाए खंबे : रामकृष्ण कॉलोनी में बिजली कनेक्शन बांस के माध्यम से घर तक पहुंचने के मामले में विधुत विभाग के कार्यपालन अभियंता पीवीएस राजकुमार ने बताया कि '' मोपका का रामकृष्ण कॉलोनी अवैध है. कॉलोनी के अवैध होने की वजह से आवेदन करने में पैसे ज्यादा लगते थे, क्योंकि पहले 1 किलो वाट के 56 सौ रुपए चार्ज था. लेकिन अब राज्य सरकार और नियामक आयोग ने इस शुल्क को कम कर दिया है.आवेदनों के आधार पर वह टेंपरेरी कनेक्शन को परमानेंट कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- साठ साल पुराने सामाजिक बहिष्कार में केस दर्ज
कैसे लगेंगे खंबे : कार्यपालन अभियंता राजकुमार ने कहा कि '' खंबे लगाने के लिए जितना खर्च होगा उसका 25% राशि अवैध कॉलोनी में रहने वालों को देना होता है. इस समय कॉलोनीवासी इसके लिए तैयार हो गए हैं. अब धीरे-धीरे कर खंबे लगाए जा रहे हैं. मोपका में कुछ बेजा कब्जाधारी भी हैं. उनके लिए कार्यपालन अभियंता ने कहा कि उनके लिए शासन की ओर से कोई व्यवस्था के प्रावधान नही है.''
