गौरेला पेंड्रा मरवाही में धान खरीदी केन्द्रों में किसानों के साथ ठगी कर रहे समिति प्रबंधक

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Published : Jan 8, 2022, 8:37 PM IST

Updated : Jan 8, 2022, 9:03 PM IST

Bilaspur Paddy Purchase Center

Committee managers cheating with farmers in gaurela Pendra Marwahi: जिले के धान खरीदी केन्द्रों में समिति प्रबंधक किसानों से वजन के नाम पर ठगी कर रहे हैं.

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले के लरकेनी धान खरीदी केंद्र में किसानों की मेहनत की गाढ़ी कमाई में प्रबंधक डाका डाल रहे है. प्रबंधक 100 से 150 ग्राम के बोरे के वजन के एवज में किसानों से 300 से 500 ग्राम ज्यादा धान हर बोरे के साथ तौल में अधिक ले रहे हैं. सैंपल जांच के नाम पर दो किलो के लगभग धान अलग से हर किसानों से लिया जा रहा है. किसानों को ये डर है कि अगर वे इसका विरोध करेंगे तो समिति प्रबंधक उनका धान रिजेक्ट कर सकते हैं. प्रबंधक मामले में खुद के ऊपर लग रहे आरोप को गलत करार दे रहे हैं.

किसानों के साथ ठगी कर रहे समिति प्रबंधक

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धान खरीदी केन्द्रों में समिति प्रबंधक कर रहे ठगी

बीते 1 दिसंबर से प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू हो गई है, जिसके बाद जिला प्रशासन भी अपनी ओर से कह रहा है कि किसानों को उनका उगाया धान बेचने में परेशानी नहीं होगी. हालांकि ये बात प्रदेश के 28वां नवगठित जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में साबित होता नहीं दिखा रहा. जिले के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति उपार्जन केंद्र लरकेनी की बात की जाए, तो यहां पर किसानों के मेहनत से उगाए धान पर समिति प्रबंधक डाका डाल रहा है. शासन के द्वारा किसानों को समिति से मिले प्लास्टिक के 1 बोरे का वजन 100 से 150 ग्राम ही है, लेकिन समिति प्रबंधक इसके एवज में हर बार के तौल पर किसानों से 300 से 500 ग्राम धान अधिक तौल कर ले रहा है.

शिकायत करने से डर रहे किसान

किसानों का आरोप है कि हर तौल के साथ धान सैंपल के नाम पर दो से ढाई किलोग्राम धान अलग से किसानों से लिया जाता है. जब ETV भारत ने किसानों से इस बारे में पूछताछ की तो किसानों ने बताया कि हम कुछ भी विरोध करेंगे तो समिति के लोग हमारे धान में खामी निकालकर उसे रिजेक्ट कर देंगे. इसलिए चुपचाप जैसा चल रहा है वैसा चला रहे हैं. मामले में धान खरीदी केंद्र के प्रबंधक से जानकारी ली, तो उन्होंने 40 किलो वास्तविक वजन होने की बात कही. हालांकि उन्होंने कैमरे पर अधिक धान खरीदी करने की बात भी स्वीकारी. बहरहाल किसानों के मेहनत की कमाई में उनके हक पर डाका डालने का सिलसिला कब तक जारी रहेगा ये तो समय ही बतलाएगा.

Last Updated :Jan 8, 2022, 9:03 PM IST
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