balod latest news गुंडरदेही के चंडी मंदिर को लेकर फैली अफवाह, हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश

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Published : Feb 7, 2023, 11:35 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 5:17 PM IST

Trying to break Hindu Muslim unity in balod

गुंडरदेही नगर में एक मंदिर है. जिसे चंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को लेकर एक तस्वीर तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हुई है. उसे लेकर तरह तरह के तर्क वितर्क दिए जा रहे हैं. जिससे कहीं न कहीं सौहार्द्र बिगड़ सकता है.अफवाह को लेकर मंदिर से जुड़े समिति के सदस्यों ने अपनी बात ईटीवी भारत के माध्यम से सामने रखी है.

गुंडरदेही के चंडी मंदिर को लेकर फैली अफवाह

बालोद : पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने तफ्तीश की. जिसमें पता चला कि यह मंदिर एकता और अखंडता की एक जीती जागती मिसाल है. यहां पर हिंदू मुस्लिम दोनों एक साथ पूजा अर्चना करते हैं . मुसलमानों की चादर भी इसी मंदिर से ही निकलती है.यहां पर जब मंदिर का दरवाजा खोला जाता है तो उससे पहले सैयद बाबा को लोबान का धूप दिखाया जाता है. अब भला बताइए पूरे देश में गिनती के कुछ ही जगह ऐसे हैं जहां पर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती हैं.



मां चंडी के साथ सैय्यद बाबा : इस मंदिर पर जहां एक ओर चंडी मैया की पूजा अर्चना की जाती है. तो वहीं दूसरी ओर सैयद बाबा का हरे रंग का पवित्र 786 का पताका भी लहरा रहा है. यहां पर सभी धर्म मिलजुल कर पूजा अर्चना करते हैं. यहां के पूर्व विधायक और मंदिर के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि ''यहां पर अभी तक हिंदू मुस्लिम टकराव की कोई स्थिति नहीं बनी है. सभी मिलजुल कर यहां पूजा अर्चना करते हैं.''

कितना पुराना है मंदिर : लोगों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 100 वर्ष पुराना है. सैय्यद बाबा की पूजा भी उतनी ही होती है जितनी मां चंडी की. आज भी मुसलमान साथ में धूप लेकर अगरबत्तियां जला कर साथ में पूजा अर्चना कर रहे थे. यहां पर किसी तरह की कोई खटास हिंदू और मुसलमान के बीच में देखने को नहीं मिलेगी.मंदिर के पुजारी खोरबाहरा राम ने बताया कि ''सैयद बाबा को पूर्वजों ने यहां पर स्थापित किया था. जो बातें सोशल मीडिया में चल रही है. वह एकदम गलत है. यहां पर सभी मिलकर पूजा अर्चना करते हैं. सैयद बाबा के नाम से सभी दुख दर्द दूर होते हैं. नवरात्र पर विधि विधान से ज्योति कलश की स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है.''

गुंडरदेही नगर के सदर मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि '' यहां पर बाबा अलाउद्दीन बगदादी और चंडी मंदिर समिति का लगाव आपस में काफी बरसों से है. सब मिलजुल कर काम करते हैं. कभी कोई भेदभाव नहीं आया. पूरे हिंदुस्तान में यह नगर एक मिसाल है. यहां पर जो राजपरिवार है. राजा साहब है. उन्होंने मजार का एक टुकड़ा या फिर सेहरा मंदिर में रखा हुआ है. किंतु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि कभी किसी मुसलमान ने इसे अपना होने का दावा किया. ना किसी हिंदू ने इस मंदिर पर अपना अधिकार जताया. यह एक ऐसी जगह है जहां हिंदू मुस्लिम मिल जुलकर रहते हैं.''

एकजुटता को खत्म करने की साजिश : सदर मोहम्मद आरिफ खान ने आगे कहा कि '' जिन्होंने भी इस मंदिर की तस्वीरों को लेकर शब्दों में हेराफेरी करते हुए एकजुटता को खत्म करने की कोशिश की है. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.हम सब अमन पसंद लोग हैं. आवाम चाहती है कि हिंदू मुस्लिम हमेशा एक साथ रहे.लेकिन ये वो लोग हैं जो ना हिंदू से प्रेम करते हैं ना मुसलमान से. यह केवल एक दूसरे के बीच में नफरत फैला कर अपनी रोटियां सेकना चाहते हैं.''

अंतिम जमींदार ने की थी स्थापना : गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं मंदिर समिति के संस्थापक परिवार के सदस्य राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि '' मेरे दादाजी ठाकुर निहाल सिंह जो कि 52 गांव के जमींदार थे और इस क्षेत्र के अंतिम जमीदार हुए. उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी. हम राज परिवार से जुड़े हुए हैं.ठाकुर जमीदार निहाल सिंह उनका वर्चस्व काफी अच्छा था और जब वह मंदिर के आंगन में बैठते थे तो 20 से 25000 लोगों की भीड़ यहां पर लगी रहती थी.आज जो कोई भी इस मनसा से आगे बढ़ रहा है कि हम यहां एकता और अखंडता को तोड़ देंगे तो यह गलत है."'


पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार राय ने कहा कि '' यहां पर जिसने भी झगड़ा फैलाने की कोशिश की है. वह यहां के नहीं मुंबई और बाहर के लोग हैं. मंदिर की तस्वीर को गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं. हम मंदिर समिति की तरफ से जल्द ही स्थानीय थाने में एफ आई आर दर्ज कराएंगे. अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ ही कराएंगे ताकि इस तरह की मंशा आगे कोई ना रख पाए.''

जानिए क्या कहते हैं स्थानीय : स्थानीय लोगों ने बताया कि ''चंडी माता की यह मूर्ति स्थानीय रामसागर तालाब से निकली हुई थी. जब मूर्ति निकली तो वहां पर मुस्लिम समुदाय का पवित्र चांद भी उसी तालाब से निकला. इस तरह ठाकुर निहाल सिंह जी ने माता की स्थापना के साथ यहां पर एक हरा पवित्र सैयद बाबा साहब का 786 वाला चादर की भी स्थापना की. तब से आज तक यह मंदिर पूरे हिंदुस्तान में वसुधैव कुटुंबकम के तर्ज पर लोगों को जोड़ें हुए रखा है.''

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प्रशासन है अलर्ट : सोशल मीडिया में इस तरह की अफवाह फैलने के बाद स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी भी अलर्ट हैं. पूर्व विधायक सहित मंदिर समिति के सदस्य में स्थानीय जनता भी मंदिर में डटी है.लेकिन किसी तरह की अशांति वहां पर देखने को नहीं मिली. सभी मंदिर के पक्ष में एवं हिंदू मुसलमान एकता के पक्ष में अपनी अपनी बातों को रख रहे थे.

Last Updated :Feb 8, 2023, 5:17 PM IST
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