जानिये उस नैना पीक के बारे में, जिसकी चोटी पर पहुंचकर बालोद के दो होनहारों ने लहराया तिरंगा

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Published : Nov 20, 2021, 12:24 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 7:11 PM IST

Yashwant and Pallavi became the first mountaineers of the district

किसी जुनून (some passion) को पूरा करने का अगर जज्बा (Emotion) मिले तो गांव की प्रतिभा (village talent) सबसे ऊंची छलांग मार सकती है. बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के अन्तर्गत आने बाले एक छोटे से गांव डुड़िया के युवक-युवती ने पर्वतारोही (Mountaineer) के रूप में अपनी नई पहचान बना ली है. वह दोनों बालोद जिले के पहले पर्वतारोही बन गए हैं. दोनों युवक-युवती यशवंत कुमार और पल्लवी बारले तवेरा ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक (Naina Peak) या चाइना पीक (ऊंचाई, समुद्र तल से 8622फीट(2611 मीटर) पर तिरंगा लहराया (waved the tricolor) है. साथ ही वहां छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का नारा भी लगाया.

बालोदः सरोवर नगरी के नाम विश्वविख्यात नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक (Naina Peak Nainital) है. इस चोटी को कभी चीना पीक के नाम से भी जाना जाता था. यह नैनीताल शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 8622 फीट है. यह जगह पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है. नैना पीक की ऊंचाई तक पहुंचने के लिए नैनीताल में टंकी नाम की जगह से करीब 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.

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भौगोलिक रूप से मध्य हिमालय का हिस्सा है यह पर्वत चोटी

यह पर्वत चोटी भौगोलिक रूप से मध्य हिमालय का हिस्सा है. इस पर्वत की चोटी से जहां एक ओर बर्फ से ढके हिमालय का पश्चिम में बंदरपूंछ चोटी, पूर्व में नेपाल के अपि एवं नरी चोटी तक का विहंगम दृश्य दिखता है, वहीं दूसरी ओर नैनीताल शहर की सुंदरता का ‘बर्ड आई व्यू’ भी यहां से दिखता है. पहले इसकी चोटी से चीन का बॉर्डर भी दिखता था, लेकिन साल 1880 में इस चोटी पर हुए भूस्खलन के बाद वह दिखना बंद हो गया.

चीना नाम के बाबा के नाम पर चोटी का नाम पर हुआ नामकरण

इस चोटी के पश्चिम की ओर देवपाठा (2438 मीटर (7999 फुट) और दक्षिण में अयार पाठा (2278 मीटर (7474 फुट)) स्थित है. इन चोटियों से संपूर्ण क्षेत्र के मनोरम दृश्य दिखते हैं. यहां के स्थानीय कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यहां चीना नाम के एक बाबा रहते थे, जिस वजह से इस चोटी को चीना पीक कहा जाता था. आज भी चीना बाबा का एक छोटा सा मंदिर इसकी चोटी पर मौजूद है.

डुड़िया के यशवंत कुमार और पल्लवी बारले तवेरा ने लहराया यहां तिरंगा

बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के अन्तर्गत एक छोटे से गांव डुड़िया के यशवंत कुमार और पल्लवी बारले तवेरा ने पर्वतारोही के रूप में अपनी पहचान बनाई है और ये बालोद जिले के पहले पर्वतारोही बन कर सामने आए हैं. दोनों युवक-युवती ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक या चाइना पीक, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8622फीट(2611 मीटर) है, उस पर तिरंगा लहराया है. साथ ही वहां छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का नारा भी लगाया. पूरा जिला उनके इस कार्य से गौरवान्वित है.

इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के तत्वावधान में होनहारों ने हासिल किया लक्ष्य

यह पर्वत चोटी भौगोलिक रूप (geographical form) से मध्य हिमालय का हिस्सा (part of the middle Himalayas) है. इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन (Indian Adventure Foundation) के तत्वावधान में यशवंत कुमार टंडन और कु. पल्लवी बारले ने यह लक्ष्य हासिल किया है. यशवंत कुमार टंडन का सपना है कि वो विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह (high peak mount everest) करना है. समुद्र तल से 2611 मीटर(8622 फिट) की ऊंचाई पर स्थित नैना पीक नैनीताल शहर की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है.

इस पर्वत की चोटी से जहां एक ओर हिम से ढके हुए हिमालय का पश्चिम में बंदरपूंछ चोटी, पूर्व में नेपाल के अपि एवं नरी चोटी तक का विहंगम दृश्य दिखायी देता है, वहीं दूसरी ओर नैनीताल शहर की सुंदरता का ‘बर्ड आई व्यू’ देखाई देता है. उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में सात दिवसीय नैशनल एडवेंचर कैम्प का आयोजन किया गया था. जिसमें छत्तीसगढ़ से 7 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग लिया था. बालोद जिले से दो यशवंत और पल्लवी ने भाग लिया.

चट्टान की चढाई के लिए चाहिए 'चट्टान जैसे इरादे'

नैनीताल में सबसे ऊंची चोटी नैना पीक या चाईना पीक जिसकी ऊंचाई लगभग 8622 फीट(समुद्र तल से) है, उस पर सफलता पूर्वक चढ़ाई करके राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया और भारतमाता की जय, वन्देमातरम तथा छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िया के जयकारे लगा कर छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रौशन किया. जब दिल में आसमान छूने का हौसला हिलोरें मारता हो तो फिर संसार का कोई भी शिखर बड़ा नहीं लगता. यही वजह है कि करकोटक ट्रैक 1290 मीटर फतेह करने के बाद नैना पीक पर सफलता पूर्वक चढ़ाई कर तिरंगा लहराया. पिता बताते हैं कि चट्टान पर चढ़ने के लिए चट्टान जैसे ही मजबूत इरादे होने चाहिए. इरादे मजबूत थे, इसलिए उन्होंने यह साहसिक कार्य कर दिखाया है.
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देशभर के 30 प्रतिभागियों ने लिया था हिस्सा
विगत दिनों 5 नवंबर से 14 नवम्बर तक सात दिवसीय इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड में साहसिक कैंप का आयोजन किया गया था. राष्ट्रीय स्तर पर कराए गए इस आयोजन में देश भर के 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. इनमें से छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के यशवंत कुमार टंडन और पल्लवी बारले ने भी भाग लिया. समूह के साथियों को पीछे छोड़ यशवंत ने तय समय में सबसे पहले नैना पीक पर चढ़कर तिरंगा लहराया और अपना लोहा मनवाया. भारत माता की जय, वन्दे मातरम्, छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िया के नारों के साथ जयकारे लगाए.


अर्जुन्दा के छात्र हैं यशवंत
शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा में अभी यशवंत बी.ए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं. राष्ट्रीय सेवा योजना (National service Scheme) के सक्रिय स्वंय सेवक भी हैं. जिससे जुड़कर समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है.

गांव का भी बढ़ाया मान
ग्राम पंचायत डुड़िया के संरपच ललिता भुआर्य ने कहा कि यशवंत हमारे गांव का होनहार व प्रतिभावान युवा है. जो समय-समय पर निस्वार्थ भाव से देश एवं समाज हित में सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक कार्य करता है. यशवंत गांव के अन्य बच्चों के लिए एक प्रेरक बिंदु का स्रोत है.

पैरों में पड़ गए थे छाले, हार नहीं मानी
यशवंत कुमार और पल्लवी बारले तवेरा ने जब चढ़ाई शुरू की तो दोनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कई बार परिस्थितियां ऐसी बनी थीं कि किसी की भी हिम्मत टूट जाए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. यशवंत ने बताया कि कारकोटक ट्रैक व नैना पीक सबमिट करने के लिए कई दिनों की मेहनत रही है. इसके लिए विशेष प्रशिक्षण भी लिया. इसके बाद कठिन लक्ष्य को हासिल कर सके.

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चोटी पर तिरंगा लहराना किसी सपने से कम नहीं था
यशवंत और पल्लवी ने बताया कि करकोटक ट्रैक व नैना पीक (Karkotak Track and Naina Peak) तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रहा है. पहली बार यहां इतनी अधिक ऊंचाई पर पहुंचने के बाद तिरंगा लहराना हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं था.

माता-पिता ने कहा-गर्व है हमें अपने बेटे पर
यशवंत के पिता हूबलाल टंडन और मां सविता टंडन ने कहा कि हमारे बेटे राष्ट्रीय स्तर पर साहसिक कैंप में हिस्सा लेकर नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी पर देश की आन-बान-शान तिरंगा लहराया. छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित बालोद जिले और अपने ग्राम डुड़िया और हमारा नाम रोशन किया है. हमें गर्व है कि यशवंत हमारा बेटा है.

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सपनों के आगे आर्थिक समस्या बनी दीवार
यशवंत ने बताया कि जब उन्होंने कैंप जाने के लिए घर से पैसे मांगे तो आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें पैसे नहीं मिले. लेकिन यशवंत ने हार नहीं माना और उन्होंने अपने छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के प्रदेशाध्यक्ष युथ दीपक मिरी जी बात किया. इस बारे में बताया, तब उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ सतनामी के पदाधिकारियों ने यशवंत को आर्थिक रूप से मदद किया और यशवंत ने उनके विश्वास और भरोसा पर खरा उतरते हुए सबसे पहले चढ़ाई कर समाज का नाम रोशन किया.

जिले की प्रथम महिला पर्वतारोही
बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम तवेरा गांव की रहने वाली पल्लवी बारले ने उत्तराखंड के नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक पर 13 नवंबर 2021 की सुबह 2 बजकर 8 मिनट पर तिरंगा लहराया है और इसी के साथ पल्लवी ने जिले की पहली महिला पर्वतारोही का गौरव प्राप्त किया है‌. पल्लवी बताती हैं कि भविष्य में वो दुनिया की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट चोटी की चढ़ाई करना चाहती हैं.

Last Updated :Nov 20, 2021, 7:11 PM IST
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