वाह रे स्कूल... यहां बच्चे पढ़ाई नहीं, बल्कि करते हैं टाइम पास
Updated on: Jun 22, 2022, 7:51 PM IST

वाह रे स्कूल... यहां बच्चे पढ़ाई नहीं, बल्कि करते हैं टाइम पास
Updated on: Jun 22, 2022, 7:51 PM IST
बालोद नगर में एक ऐसा स्कूल संचालित है. जहां बच्चे पढ़ाई करने नहीं बल्कि खेलने के लिए आते हैं. इस स्कूल की दुर्दशा का खुद जिले के कलेक्टर को भी अंदाजा नहीं (Balod CBSE NCERT School) है.
बालोद : नगर के कुर्मी पारा में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल का विद्यालय संचालित तो है लेकिन यह भगवान भरोसे संचालित हो रहा (Bad condition of NCERT English Medium School in Balod)है. एनसीईआरटी के माध्यम से इसका संचालन किया जाना है .लेकिन पहली से पांचवी तक की कक्षाओं में लगभग 200 छात्र पढ़ रहे हैं. लेकिन इनकी जिम्मेदारी सिर्फ 2 शिक्षक और एक प्रधानपाठक पर है.
स्कूल या प्ले ग्राउंड : वैसे तो स्कूल में बच्चे पढ़ाई करने और अपना भविष्य गढ़ने आते हैं. लेकिन बालोद जिला मुख्यालय में संचालित होने वाले एनसीईआरटी अंग्रेजी माध्यम स्कूल इस समय बच्चों के खेलने के काम में आ रहा (Balod NCERT school education missing) है. स्कूल केवल नाम मात्र का है.यहां बच्चे पढ़ाई नहीं करते बल्कि खेलते रहते हैं क्योंकि 200 की संख्या वाले स्कूल में शिक्षक नहीं हैं. हैरानी की बात तो ये है कि बालोद जिले में 2 साल से अधिक समय तक रहने वाले कलेक्टर जनमेजय महोबे (Balod Collector Janmejay Mahobe) को खुद यह जानकारी नहीं थी कि बालोद जिला मुख्यालय में यह अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित हो रहा है.
क्या है पालकों की मांग : जब परिजनों ने शिक्षा की कमी यह फरियाद को लेकर कलेक्टर के दरवाजे में दस्तक दिए तब उन्हें स्कूल के बारे में पता चला. अब अगर जिलाधीश को ही जानकारी नहीं है तो भगवान भरोसे स्कूल संचालित होना लाजिमी है. वहीं जब शिक्षक की कमी की जानकारी देने के लिए परिजन स्कूल शिक्षामंत्री (Minister Premsay Singh Tekam) के पास जाना चाहा तो जिला शिक्षा अधिकारी ने कमी को दुरुस्त करने का हवाला देते हुए उन्हें जाने से मना कर दिया.
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सो रहा है विभाग : एनसीईआरटी के केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल के इस विद्यालय में बेहतर संचालन को लेकर शिक्षा विभागकिसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रहा है. विकास खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि ''यहां पर शिक्षकों की नियुक्ति तो होती है लेकिन वो आते हैं ज्वाइन करते हैं और हाजिरी लगाकर छुट्टी लेकर वापस चले जाते हैं. यह शिक्षकों का विवेक है. ''
